जैसा कि बतलाया जाता है कि दुनिया भर में संक्रमण के 31.05 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और जिसमें 54.95 लाख से अधिक लोग इस महामारी के चलते जान गंवा चुके हैं ! यह संख्या आपको बहुत बड़ी लगती हो पर विश्व सत्ता की निगाह में बहुत कम है ! क्योंकि उनका उद्देश्य अभी 500 करोड़ लोगों को वर्ष 2030 तक इस दुनियां से विदा करने का है !
वैसे इसकी तैय्यारी भी वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से चल रही है ! हमारे देश में भी लगातार कोविड संक्रमण के डेढ़ लाख से अधिक मामले सामने आने के बाद अब विश्व में कोविड संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 3,58,75,790 हो गई है !
वैसे तो पूरी दुनिया में डेल्टा इतना भयानक नही था, जितना भारत में हुआ था ! जब वाइरस एक ही है तो भारत के लिए ही इतना खतरनाक क्यों ? यह एक विचारणीय प्रश्न है !
किन्तु दूसरी तरफ यह भी विचार करने योग्य विषय है कि जब डेल्टा वाइरस इतना खतरनाक था, तो डेल्टा की जान लेवा दूसरी लहर में किसान आंदोलन करने वाले लाखों लोग इसके संक्रमण से क्यों नहीं मरे !
दूसरी बात अस्पतालों में जाने वाले ही ज्यादातर लोग क्यों मरे ? घर पर कोरनटाइन होने वाले क्यों नही मरे, जब कोरोना लाइलाज बीमारी है तो डाक्टरों द्वारा इतनी महंगी दवाईया किस चीज़ की खिलायी गयी और अस्पतालों में किस चीज़ का इलाज चल रहा था !
दो-दो टिके लगने के बाद आज हम सुरक्षित नही हैं ! अब बूस्टर डोज़ भी लगाई जा रही है ! फिर भी न मास्क उतार सकते हैं न स्वतन्त्र रूप से कहीं आ जा सकते हैं, तो क्या यह टिका खुजली मिटाने के लिये लगाये गये थे ! और यदि हमारे टैक्स के पैसे से प्रायोजित इस कोरोना टिका से हम बच सकते हैं फिर से “दो गज की दूरी और मास्क है जरुरी” का नारा क्यों !
और यदि इस टिके से हम नहीं बचा सकते हैं तो जनता का अरबों रुपये खर्च करवाने की जबरजस्ती क्यों ?
वैसे आर.टी.आई में टिका स्वेछीक् कहा जा रहा है फिर टिके की अनिवार्यता पर इतना जोर क्यों ?
विचारणीय बात है कि गर्भवती महिला अगर मास्क लगाएगी तो उसके बच्चे को हानि होने की दशा में ज़िम्मेदारी किसकी होगी ? स्वस्थ्य इंसान अगर लगातार मास्क लगाये रहेगा और मास्क की वजह से उसको साँस की बीमारी हो जाये या फेफड़ो ख़राब हो जायें तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा !
जब मात्र मास्क लगाने से कोरोना रोका ही नहीं जा सकता है, तो जबरजस्ती मास्क क्यों लगवाया जा रहा है ! जबकि अनुभव में आया है कि भारत में ही नहीं पूरे विश्व में कहीं भी कोई भी झोपड़पट्टी वाली आबादी अभी तक कहीं भी कोरोना संक्रमण से ख़त्म नहीं हुई है !
अगर लोकडाउन लगाने से कोरोना नही रुकता तो फिर बार बार लोकडाउन लगा के हमारे व्यापार धंधे को बर्बाद क्यों किया जा रहा है ! लोकडाउन जबरजस्ती देश के करोड़ों उद्द्यामियों को दीवालिया बना कर उन्हें उन्हें आत्महत्या करवाने पर तुली हुई है !
लोकडाउन की वजह से देश में अपराध बढ़ें हैं ! चोरी. डकैती. लूट. हत्या आदि भी बढ़ी है ! यदि आर्थिक आभाव के कारण जनता एक दूसरे से लड़ने लगेगी और गृह युद्ध होगा तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा !
करोना का भय विश्व सत्ता का एक विश्व व्यापी षडयंत्र है ! जिसके ओट में 5 जी आदि तकनीकि के माध्यम से हमारे ऊपर हजारों अदृश्य नियंत्रण की तैय्यारी चल रही है और हम अपने राजनेताओं के सहयोग से विश्व सत्ता के षडयंत्र में नित्य प्रति फंसते जा रहे हैं ! जिसे हमें समझना होगा जबकि कोरोना से ज्यादा लोग तो अब तक सड़क दुर्घटना या कैंसर आदि गंभीर रोगों से मर गये पर उनकी चिंता किसी ने नहीं की !!