राजीव दीक्षित का उतरता बुखार : Yogesh Mishra

30 नवम्बर 2010 को राजीव दीक्षित की मृत्यु के तुरंत उपरांत वर्ष 2011-12 में हर व्यक्ति राजीव दीक्षित की फोटो लगाकर देश के अंदर स्वदेशी का नेता बन जाना चाहता था !

लेकिन इन लोगों को यह नहीं मालूम था कि राजीव दीक्षित ने स्वदेशी की अपनी जो योजना अचानक मृत्यु के पहले समाज के सामने रखी थी, वह अधूरी थी !

अर्थात उस योजना का बस एक ही पक्ष “समस्या” को समाज को सामने रखा गया था और इस आंदोलन का समाधान पक्ष पर चर्चा राजीव दीक्षित ने कभी कहीं नहीं की !

इस बीच एक भगवा व्यवसायी ने राजीव दीक्षित के स्वदेशी आंदोलन का भावनात्मक दोहन किया और शासन सत्ता के सहयोग से स्वदेशी के नाम पर जो व्यापार धंधा स्थापित किया, उसे देखकर राजीव दीक्षित के अधूरे ज्ञान से प्रेरित होकर लोगों ने छोटे-छोटे स्तर पर धन कमाने की इच्छा से व्यापार व्यवसाय करना आरंभ कर दिया !

कोई देसी घी बेचने लगा, तो कोई हल्दी, धनिया, मिर्चा, मसाला, तेल, जड़ी-बूटी आदि बेचने लगा ! कुछ लोगों ने तो राजीव दीक्षित के नाम पर मर्दानगी की दवा और कोई ने तो नकली किताबें ही छाप कर बेचना शुरू कर दिया जबकि राजीव दीक्षित ने अपने जीवन में कभी कोई किताब नहीं लिखी थी !

और कुछ ही समय में एक अच्छी योजना के अभाव में, और लालच वश, अव्यवस्थित तरीके से चलकर लोग अपनी पूंजी को डुबो बैठे और धीरे-धीरे समाज से राजीव दीक्षित के स्वदेशी आंदोलन का बुखार मात्र 10 वर्ष के अंदर उतर गया !

और शायद अगले 10 वर्ष बाद राजीव दीक्षित एक किताब का हिस्सा बनकर रह जाएंगे ! जिन के बनाए हुए सिद्धांतों पर इतनी मनगढ़ंत कहानियां बना दी जाएंगी कि आने वाली पीढ़ीयां यह विश्वास ही न करें कि राजीव दीक्षित नाम का कोई व्यक्ति भी कभी इस धरती पर आया था !
यह भारत का दुर्भाग्य है कि राजीव दीक्षित असमय अपनी पूरी योजना को बतलाए बिना ही मर गये और उससे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि राजीव दीक्षित की फोटो लगाकर घूमने वालों ने कभी यह जानने की कोशिश भी नहीं की कि स्वदेशी को लेकर राजीव दीक्षित की आखिरकार पूरी योजना क्या थी ?

अनुभवहीनता, अज्ञान और गलत सूचनाओं के आधार पर विवेक बिंद्रा, उज्जवल पटानी जैसे यूट्यूबरें ने भी समाज को राजीव दीक्षित के नाम पर खूब गुमराह किया !

उनके विषय में गलत सलत वीडियो बनाये गये ! किताबें प्रकाशित की गई, लेख लिखे गए और इन सभी कार्यों ने अंततः राजीव दीक्षित के विषय में इतना समाज में भ्रम पैदा कर दिया कि राजीव दीक्षित के स्वदेशी का आंदोलन उस गंदगी में दबकर रह गया !

अब देखना यह है कि वक्त राजीव दीक्षित के विकल्प के रूप में किसको लाकर खड़ा करता है या भारतीय जनमानस के मानसिक परिपक्वता को देखते हुए भगवान ने अब भविष्य में राजीव दीक्षित जैसे विचारकों को भारत की भूमि पर भेजने का निर्णय ही समाप्त कर दिया है !

यह सभी कुछ भविष्य के गर्त में है, जो समय आने पर प्रकट होगा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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