हम बचपन से अंग्रेजी का एक वाक्य पढते आ रहे है “India is a developing country.” मैं आज एक स्कूल में गया तो आज भी वही वाक्य मुझे फिर सुनने को मिला, बच्चे पढ़ रहे थे “India is growing country” मुझे कुछ नया नहीं लगा ! वही वाक्य जो मैं आज से 20 साल पहले पढता था उसी वाक्य को आज भी बच्चे को पढता देखा तो मुझे साधारण सा लगा लकिन जब मैंने दसवी कक्षा का पाठ्यक्रम (syllabus) देखा तो कुछ अजीब सा लगा ! पढाई का सारा पाठ्यक्रम बदल चूका था और जब मैंने अंग्रेजी की पुस्तक उठाई तो उस में शेक्सपीयर जैसे लोगो की कहानी छपी थी ! मुझे देख कर बहुत आस्चर्य हुआ और दुख हुआ की आज बच्चो को क्या पढाया जा रहा है और किस तरह हमारी संस्कृति को खत्म किया जा रहा है !
भारत आज भी विकासशील देश है यहाँ तक तो ठीक है लकिन जहा पर हमारे स्वंत्रता संग्राम सेनानीओ की गाथा का बखान होना चाहिए वही पर आज अंग्रेजो की कहानी पढाई जा रही है ! जहा बच्चो में भारतीयता की भावना भरनी चाहिए थी वही अंग्रजियत की भावना भरी जा रहा है ! यही बच्चे बढे हो कर भारतीय संस्कृति को भूल जाएगे और फिर हम ही बोलेगे शयद हमने ही इनकी शिक्षा में कोई कसर छोड़ दी है !
मैंने एक छात्र से पुछा आप किस कक्षा में पढते हो उसने कहा पाचवी कक्षा में मैंने फिर पुछा आपने लाला लाजपत राय का नाम सुना है उसे कहा नहीं सुना फिर पुछा आप ने उद्धम सिंह का नाम सुना है उसने फिर माना कर दिया मैंने फिर पुछा आप ने वीर सावरकर, गोपाल कृषण गोखले, सुखदेव थापर, राजगुरु, रानी लक्ष्मीबाई में से किसी का नाम सुना है तो उसने कहा लक्ष्मीबाई का नाम सुना है बाकि किसी का नाम नहीं सुना फिर मैंने पुछा आप ने कहा सुना लक्ष्मी बाई का नाम उस ने कहा हमे एक कविता है हिंदी में “झासी की रानी” बस वही सुना है ! फिर मैंने उससे कहा 14 फ़रवरी को आप क्या कर रहे थे आप को कुछ याद है तो उस ने मुझे ऐसे देखा जैसे पता नहीं मैंने क्या पूछलिया हो उसने तुरंत कहा भईया 14 फ़रवरी को तो वैलेंटाइन डे होता है आप को नहीं मालूम क्या ? हमलोग उस दिन घूमने गए थे ! मैं तो हैरान रह गया उस की बाते सुन कर और फिर मुझे लगा अगर यही सब चलता रहा तो ज्यादा समय नहीं लगेगा भारत की संस्कृति खत्म होने में !
हमारे पास अब भी समय है हम अपनी गलतियों का सुधर कर सकते है और यदि हमने अभी अपनी गलतियो का सुधार नहीं किया तो निश्चय की हमारे संस्कृति का विनाश हो जाएगा ! अब आप कहेगे कैसे ?
कुछ मुख्य बदलाव
पहला हम सभी एक साथ मिल कर सरकार से पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए माँग करे और अंग्रेजी पाठ्यक्रम को हटा कर भारतीय पाठ्यक्र को शामिल करवाए जिसमें स्वतंत्र संग्राम सैनानियो का इतिहास, भारतीय संस्कृति, भारतीय साहित्यकारो की कहानी एवं रचना को शामिल करवाया जाए !
दूसरा हम पाठ्यक्रम में ऐसे विषयो का चुनाव करे जिससे किसी भी बच्चे को बारवी या स्नातक होने के बाद किसी के सामने रोजगार के लिए हाथ न फैलाना पढ़े ! वे स्वयं ही इतना सक्षम हो की अपनी योग्यता अनुसार अपने कार्य को चुने और स्वयं रोजगार पैदा करे !
अपने बच्चो को अंग्रेजी स्कूलो से निकलवा कर हिंदी या फिर किसी भी स्थानिया मात्रभाषा की पाठशाला में दाखिला दिलवाए ! उसकी सारी पढाई मात्रभाषा मे ही करवाए ! और उसे हमारा इतिहास पढने के लिए प्ररित करे !
इससे कई लाभ होगे, कुछ लाभ इस प्रकार है बच्चे का मानसिक विकास होगा साथ ही साथ उसकी पढाई मे रूचि पैदा होगी ! वह किसी भी कार्य को अपनी मात्रभाषा में आसानी से कर पायेगा ! किसी भी कार्य को करने के लिए उसे उस कार्य को सिर्फ समझना पढेगा और रटने की जरुरत ही नहीं होगी ! वह अपना सारा कार्य कम से कम समय में कर सकेगा !
बच्चो को जैसे शिक्षा बचपन में दी जाएगी उसका विकास भी उसी दिशा में होगा और उसकी सोच भी उसी प्रकार विकसित होगी ! जैसे शिक्षा वैसा विकास और वैसा ही बदलाव !
अब आप कहेगे कि अगर मेरा बच्चा अंग्रेजी नहीं सीखेगा कान्वेंट स्कूल में पढाई नहीं करेगा तो वह पीछे रह जाएगा ! मगर सोचीऐ जितना समय अंग्रेजी को सीखने में लगाएगा उतने समय में तो वह मात्रभाषा मे कितना कुछ सीख चूका होगा ! आप को मालूम है फ्रांस, चाइना, जर्मनी, रूस आदि जैसे कितने ही देश है जहा पर पढाई मात्रभाषा में ही होती है और वे सारे विकसित देश है ! भाषा तो जनसंपर्क का मात्र एक श्रोत है कार्य तो दिमाग से ही होता है ! यदि हम सारी उम्र भाषा सीखने में लगा दे तो दिमाग का प्रयोग कब करेगे ! इसलिय पढाई मात्रभाषा में ही होनी चाहिए और हमे अपने संस्कार, इतिहास को हमेशा याद रखना चाहिए !
लकिन यहाँ पर धीरे-धीरे हमारे संस्कारो पर अंग्रेजीयत हावी हो रही है ! हम सिर्फ अंग्रेजी सीखने के बदले अंग्रेजी सोच और विचारो के गुलाम होते जा रहे है ! अगर अंग्रजी भाषा ही सीखनी है तो अंग्रेजी पुस्तको में भारतीय इतिहास को शामिल क्यू नहीं किया जाता? क्यू हम भगत सिंह की story के बदले शेक्सपियर की love story पढ़ रहे है? क्यू slow poison की तरह धीरे-धीर हमारे चरित्र को ख़राब करने की कोशिश की जा रही है ?
हमे आज के पाठ्यक्रम को बदलने के लिए और भारतीय संस्कृति को इस में शामिल करने के लिए हमे प्रथक प्रयास करने ही पढेगे !!