जानिये अटल जी के राजनीति से संन्यास की वजह क्या थी ? Yogesh Mishra

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति को कभी मानवता पर हावी नहीं होने दिया। यही वजह है कि उन्होंने हमेशा गलत को गलत ही बताया और सही को सही। यही वजह है कि आज भी उनके विरोधी उनकी इसी बात का लोहा मानते हैं। खास तौर पर जब भी गुजरात दंगों का जिक्र होता है तो माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था “मोदी के राजधर्म पर चर्चा की जरूर है।“ यह वाकया 17 जून, 2004 का है जब गुजरात पहुंचे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने तात्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पाठ पढ़ाया था।

ये वह वक्त था जब गुजरात में हुई हिंसा के बाद हर तरफ से मोदी के इस्तीफे की मांग उठ रही थी । इसी पर अटल जी ने गुजरात दौरा किया था । जब अटल जी पत्रकारों से रूबरू हुए तो एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि क्या आप मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई संदेश लेकर आए हैं ।

इस सवाल के जवाब में अटल ने अपनी चीरपरिचित अंदाज में जवाब दिया…बोले “मैं इतना ही कहूंगा कि वह राजधर्म का पालन करें । मैं उसी का पालन कर रहा हूं । पालन करने का प्रयास कर रहा हूं । राजा के लिए शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता । न जन्म के आधार पर और न जाति या संप्रदाय के आधार पर। जब वाजपेयी जी मोदी को राजधर्म का संदेश दे रहे थे, तब तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी उनके बगल में भी बैठे थे ।“

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ज़ोर देकर कहा था कि मुंबई में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गुजरात पर चर्चा होगी | भारतीय जनता पार्टी के शासन में गुजरात में वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को न हटाये जाने को वह 2004 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की हार का मुख्य कारण मानते थे | उन्होंने यह भी कहा था कि “गुजरात दंगों के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को न हटाना भी एक ग़लती थी जिससे लोक सभा का चुनाव हारना पड़ा |” इसके बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद नरेंद्र मोदी के बचाव में मैदान में उतर आये | जिससे अटल जी को बड़ी हताशा हुई |

कहा जाता है कि आगे चल कर अटल जी ने इसी विषय को ले कर राजनीति से संन्यास ले लिया था |

योगेश कुमार मिश्र
9453092553

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