पढ़िये । साधना किसे कहते है ? साधना मार्ग भिन्न-भिन्न क्यों होते हैं ? । Yogesh Mishra

 

साधना मार्ग भिन्न-भिन्न क्यों होते हैं ?
ईश्वरप्राप्ति या आनंदप्राप्ति या आध्यात्मिक प्रगति हेतु प्रतिदिन जो भी हम तन, मन, धन, बुद्धि या कौशल्य से प्रयास करते हैं, उसे साधना कहते हैं | साधनाके अनेक मार्ग हैं, जैसे कर्मयोग, ज्ञानयोग, ध्यानयोग, भक्तियोग, राजयोग, शक्तिपातयोग, कुंडलिनियोग, भावयोग, क्रियायोग, गुरुकृपायोग इत्यादि | यह हिन्दू धर्म की विशेषता है और धर्म के मूलभूत सिद्धान्त भी, जो स्पष्ट रूप से कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का साधना मार्ग भिन्न होता है | प्रत्येक व्यक्ति अपने आपमें एक भिन्न अस्तित्व होता है | अतः उसके कर्म करने की गति, उसके विचार करने की प्रक्रिया, उसके पूर्व संचित, प्रारब्ध, आनुपातिक पंचतत्त्व और पंचमहाभूत, सब भिन्न होते हैं इसलिए साधना के मार्ग भी भिन्न-भिन्न होते हैं |

जितने व्यक्ति हैं, उतने ही ईश्‍वर तक पहुंचने के मार्ग भी हैं ।यदि किसी चिकित्सक के पास पांच भिन्न रोगों से ग्रस्त लोग आएं, तो पांचों को एक ही औषधि देने से वे स्वस्थ नहीं होंगे क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का शाररिक रसायन भिन्न है इसीलिए सभी को एक ही प्रकार की साधना नहीं सुझाई जा सकती । आध्यात्मिक दृष्टि से निम्नलिखित कारणों से प्रत्येक व्यक्ति भिन्न है । इसलिए साधनाएँ भी भिन्न हैं |

  • ३ प्रमुख सूक्ष्म घटकों का (त्रिगुणों सात्त्विक, राजसिक अथवा तामसिक का) संयोजन व्यक्ति का पूर्व संस्कारों के कारण अलग-अलग अनुपात में होता है ।
  • ५ सार्वभौमिक तत्त्व (पंचमहाभूत) अर्थात पृथ्वी, आप (जल), तेज (अग्नि), वायु, आकाश का पूर्व संस्कारों के कारण अलग-अलग अनुपात में होता है ।
  • पूर्वजन्मों में साधना के विभिन्न चरणों को कहां तक पूर्ण किया गया है । इसका पूर्व संस्कारों के कारण अलग-अलग अनुपात में होता है ।
  • प्रत्येक व्यक्ति का भिन्न संचित, प्रारब्ध एवं क्रियमाण कर्म अपने-अपने स्वभाव के पूर्व संस्कारों के कारण अलग-अलग होता है ।अत: साधना के मार्ग भी भिन्न-भिन्न होते हैं |

 

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

मनुष्य मृत्युंजयी कैसे बनता है : Yogesh Mishra

सनातन शैव संस्कृति अनादि है, अनंत है और काल से परे है ! क्योंकि इस …