एक बार बादशाह अकबर के दरबार में तानसेन और बैजू बावरा में एक प्रतियोगिता करायी गयी ! इस प्रतियोगिता में एक संगमरमर की शिला रखी गयी ! प्रतियोगिता में शर्त यह रखी गयी कि जो अपने गायन से उस संगमरमर की शिला को तोड़ देगा वही जीतेगा ! हथौड़ी या छैनी से नहीं, डण्डे-भाले से भी नहीं, कण्ठ से निकली हुई ध्वनि तरंगों से और बैजू ने यह कर दिखाया !
इसी तरह इटली वेफ संगीत की एक पद्घति है उसमें एक महिला होती है, उसको ‘सोपरानो’ कहते हैं ! उसकी गायकी का कमाल यह है कि वह इतने तीव्र सप्तक में गा सकती है कि उसवे सामने रखे हुए काँच के गिलास को वह अपनी आवाज़ से तोड़ देती है ! जो महिला ग्लास को तोड़ दे, उसे ‘बेस्ट सोपरानो’ माना जाता है !
ध्वनि की तरंगों में से बड़ी ऊर्जा, बड़ी शक्ति निकलती है ! जिस समय आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब मंत्र के द्वारा उत्पन्न की गयी ध्वनि तरंगों का सीधा प्रभाव आपवे मस्तिष्क की तीनों ग्रन्थियों हाइपोथेलेमस, पिट्यूटरी और पीनियल पर पड़ता है !
विशेषतः जब आप मंत्र की ध्वनि का गुंजन करते हैं, तब आप अंगूठे से कान बंद कर लेते हैं, ताकि बाहर की कोई आवाज़ भीतर जाये ही नहीं ! इस तरह अंगूठे से कान बंद करके जब आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब उसकी तरंगें सीधे आपके मस्तिष्क में पहुँच कर मस्तिष्क की सूक्ष्म संरचना को बदल सकती हैं !
मेडिकल साइन्स के पास हाइपरटेन्शन के कारणों को दूर करने की कोई दवा नहीं है ! हाइपरटेन्शन का सबसे बड़ा कारण है ‘तनाव’ ! ऐसी कोई दवा मेडिकल साइन्स के पास नहीं है, जिसको खाने से आप तनावमुक्त हो सकें ! अभी तक तो बनी नहीं है ! अभी तक जितनी दवाएँ बनी हैं या बन रही हैं, वे केवल तनाव के कारण शरीर में आने वाले लक्षणों को दूर करने के काम आती हैं !
वास्तव में दवाओं में कुछ केमिकल्स ही होते हैं ! उनमें से कुछ दवाएँ कैल्शियम के रूप में होती हैं ! कुछ दवाएँ नसों में से रक्त-प्रवाह सुचारु रूप से बहे इसलिये दी जाती हैं या फिर कोई दवा रक्त में बन रहे क्लॉट्स को पिघला कर पतला कर देती है !
मेडिकल साइन्स ने अभी तक ऐसी कोई गोली नहीं बनायी है, जिसके सेवन से मस्तिष्क में तनाव ही न रहे ! परंतु ऋषियों के पास ऐसी दवा है और उनकी इस दवा को हम मंत्र कहते हैं ! मंत्र की उपयोगिता अनदेखे ईश्वर को ख़ु़श करने के लिये नहीं है ! मेरी दृष्टि में मंत्र का उच्चारण यह कोई साधना भी नहीं है ! मंत्र का उच्चारण तुम्हारे शरीर, दिमाग़ और मन को संतुलित करने के लिये सर्वोत्तम उपाय है !
यदि हम अपने मस्तिष्क को स्वस्थ ढंग से कार्य करने में कुछ मदद दे सकते हैं ! तो वह है इसके दो उत्तम साधन, एक मंत्र-साधना और दूसरी योगनिद्रा ! जिस समय आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, तब ध्वनि की जो विशिष्ट आन्दोलनयुक्त तरंगें निर्मित होती हैं, उन तरंगों का सीधा प्रभाव आपके मस्तिष्क में आता है ! किन्हीं विशिष्ट ध्वनि-तरंगों को निर्मित कर पत्थर भी तोड़े जा सकते हैं ! जैसे लेज़र किरणों से पेट की पथरी को तोड़कर ख़त्म कर देते हैं ! इसी तरह ध्वनि की विशिष्ट तरंगों द्वारा किसी ठोस चीज़ को भी तोड़ा जा सकता है !
इसी तरह ध्यान के बाद जो योगनिद्रा आती है व्यक्ति यदि उसका सही तरह पोषण करें ! तो व्यक्ति के मानसिक शक्तियों में कई गुना वृद्धि होती है किंतु योगनिद्रा का पोषण एक आध्यात्मिक विज्ञान है ! जिसके लिए किसी न किसी गुरु का सानिध्य अत्यंत आवश्यक है !
यह वह चीजें हैं जिनसे आप इस संसार ही नहीं इस संसार से अतर दूसरे संसार की यात्रा और आनंद भी प्राप्त कर सकते हैं !