ऋग्वेद 10.173.1 !! ॠचा 2-4 के अनुसार राज्य सत्ता में एक “पुरोहित” होता था ! कोई जरुरी नहीं कि यह ब्राहमण ही हो ! पुरोहित सत्ता क्षेत्र में “प्रजा का प्रतिनिधित्व” करता था ! राजा का चुनाव होने के पश्चात यह पुरोहित नवनिर्वाचित शासक को सम्बोधित करते हुये यह कहता …
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