स्वामी अष्टावक्र के अनुसार भगवान ने जीव को सदैव से बंधन से मुक्त कर रखा है ! किंतु अपनी वासना और कामना के तहत नकारात्मक संस्कारों के प्रभाव से जीव ने स्वयं संसार को पकड़ रखा है ! अष्टावक्र के अनुसार यदि व्यक्ति अपने नकारात्मक संस्कारों को नष्ट कर दे …
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