सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते करते मनुष्य कब संबंधों के बंधन में बंध जाता है ! उसे पता ही नहीं चलता है ! प्रायः देखा जाता है कि आपके जन्म लेते ही आपके दर्जनों संबंध समाज में स्वत: विकसित हो जाते हैं ! आप किसी के भाई बन जाते हैं, …
Read More »शिक्षित गरीबी से कैसे निपटें : Yogesh Mishra
अंग्रेजों द्वारा स्थापित किये गये स्कूलों का एक मात्र उद्देश्य था कि अंग्रेज सरकार के लिए बौद्धिक मजदूर पैदा करना ! जिनसे अंग्रेज कानून, तकनीक, प्रशासन सेवा और चिकित्सा के क्षेत्र में अपने लाभ के लिये कार्य ले सकें ! अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई इस शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य …
Read More »तीसरे नेत्र का भोजन ध्यान है : Yogesh Mishra
तंत्र के प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि ध्यान ही तीसरी आँख का भोजन है ! यह तीसरा नेत्र ध्यान के आभाव में जन्मों-जन्मों से भूखा है ! यही हमारे जीवनी ऊर्जा के पतन का कारण है ! यदि तुम उस पर ध्यान लगा कर उसकी भूख मिटाओगे तो …
Read More »पूर्वजों का साहित्यिक ज्ञान अद्भुत था : Yogesh Mishra
पश्चिम के विचारकों के अनुसार वैदिक ग्रंथों को लिपि के उपयोग के बिना ही मौखिक रूप से रचा और प्रसारित किया गया था ! जिसमें शिक्षक से लेकर छात्र तक एक अटूट संचरण रेखा मौजूद थी ! जिसे समाज द्वारा पूर्ण स्वीकृति प्राप्त थी ! क्योंकि उस समय वही विद्या …
Read More »नाभि स्थल को शरीर का दसवां गुप्त द्वार : Yogesh Mishra
इस सृष्टि में परमात्मा ने मनुष्य को एक अद्भुत प्राकृतिक खजाना दिया है ! जिसे मणिपुर चक्र कहते हैं अर्थात नाभि स्थल ! इस नाभि स्थल की उत्पत्ति से ही गर्भ काल शुरू होता है ! अर्थात इस शरीर रूपी पिण्ड के निर्माण की सर्वप्रथम अवस्था ! यह नाभि स्थल …
Read More »हिन्दुओं को धार्मिक साहित्य लिखने की जरुरत क्यों पड़ी : Yogesh Mishra
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बाँटा गया है- श्रुति और स्मृति ! श्रुति (शाब्दिक अर्थ “सुना हुआ” है) संस्कृत ग्रंथों का एक वर्ग है जिसे रहस्योद्घाटन के रूप में माना जाता है ! वहीं स्मृति (शाब्दिक रूप से ‘याद किया हुआ’) ग्रंथों का एक वर्ग है …
Read More »पितृ पक्ष स्थापना का रहस्य : Yogesh Mishra
मनुस्मृति के अध्याय 3 के श्लोक 201 के अनुसार पितृ शब्द की उत्पत्ति पा रक्षणे धातु से है ! जो पालन या रक्षण करे वह पितृ है ! कर्मकाण्डी पंडितों के अनुसार पितृ शब्द का अर्थ एकवचन रूप पिता = जन्म या पालन करने वाला पुरुष है ! द्विवचन पितरौ …
Read More »गोस्वामी तुलसीदास हिंदू समाज के लिये आदर्श क्यों हैं ? : Yogesh Mishra
गोस्वामी तुलसीदास का नाम लेते ही व्यक्ति के ध्यान में रामचरितमानस का नाम स्वत: ही प्रगट हो जाता है लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, रामलला नहछू, गीतावली, दोहावली, विनय पत्रिका, बरवै रामायण और हनुमान बाहुक आदि जैसे 24 से अधिक ग्रन्थ गोस्वामी तुलसीदास …
Read More »तर्पण मात्र अपने पूर्वजों से जुड़ी प्रक्रिया नहीं है : Yogesh Mishra
यह शास्त्रीय अवधारणा है कि तर्पण में पूर्वजों को अर्पित किया जाने वाले जल में दूध, जौ, चावल, तिल, चंदन, फूल आदि से हमारे पूर्वज तृप्त होकर हमें आशीर्वाद देते हैं ! इसके लिये कुशा के सहारे से जल की छोटी-सी अंजलि मंत्रोच्चार पूर्वक इस भाव के साथ पात्र में …
Read More »लंकेश काल रक्षिणी साधना : Yogesh Mishra
विशेष : इस लेख को बस सिर्फ शैव विचारक ही पढ़ें ! रावण ने कभी भी धन की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी की आराधना नहीं की ! जबकि लक्ष्मी रावण के परम मित्र दक्षिण भारत के तटीय राजा सागर की बेटी थी ! जिसका विवाह विष्णु के साथ हुआ था …
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