राजीव भाई ने मिट्टी बर्तन के फायदे बतलाये लेकिन खुद मिट्टी के बर्तन बेचने का कारोबार कभी नही किया ! उन्होंने आयुर्वेद का फायदा बतलाया लेकिन खुद फार्मेसी कभी नही खोली ! दूध घी फायदा बतलाया लेकिन डेयरी कंपनी नही खोली ! जैविक खेती करने का फॉर्मूला बतलाया लेकिन खुद खाद बीज के व्यवसायी नहीं बने ! बैल कोल्हू का फायदा बतलाया लेकिन आयल मिल नही लगाया ! जानते क्यो ?
क्योंकि वह स्वदेशी के असली प्रचारक थे ! जो सनातन समाजिक व्यवस्था के स्वाभाविक अंग था ! वह उनके उत्पादों का महत्व बतलाया करते थे ! जिससे बड़े उद्योग के प्रभाव से उनके बन्द पड़े व्यवसाय फिर दुबारा चालू हो सकें ! अगर वह चाहते तो बड़ी-बड़ी कंपनी स्वयं खोल सकते थे ! जैसा कि अब उनके धूर्त अनुयायी स्वप्न देख रहे हैं !
आज चाहे देशी गौ पालन हो, मिट्टी के बर्तन हों, जैविक खेती हो, बैल कोल्हू का तेल हो या आयुर्वेद की तरफ लोगो का रूझान हो, सबके पीछे कहीं न कहीं राजीव भाई के प्रेरणा का हाथ है ! राजीव भाई को सुनकर कुछ लोग इस कारोबार में आगे बढ़ाने का ईमानदारी से प्रयास भी कर रहे है ! लेकिन ज्यादातर धूर्त खुद उत्पादन करके वह सब कुछ राजीव भाई के नाम पर स्वदेशी कह कर मनमाने कीमत पर अपना सामान बेचना चाह रहे हैं ! न कि जो लोग मूल उत्पादक के रूप में समाज पहले से इस काम मे लगे हैं ! उन्हें प्रोत्साहित कर कहे हैं !
इसमें भी राजीव भाई के नाम पर स्वदेशी का धंधा करने वाले ज्यादातर लोग असफल हैं ! वह इसलिये सफल नही हो पा रहे है क्योंकि उनके पास उन कार्यो का कोई अनुभव नही है ! वह बेरोजगार लोग एक बार राजीव भाई को सुनकर जोश में कार्य करने का प्रयास करते है ! फिर असफल और निराश होकर दूसरों के हंसी का पात्र बनते हैं ! या फिर स्वदेशी के नाम पर अपने ही देश की जनता को लूटने लगते हैं !
अपना रसायन निर्मित सामग्री जैविक और स्वदेशी बतलाकर राजीव भाई के नाम पर बेच रहे हैं या फिर किसान और मजदूरों से उनका उत्पादन कम कीमत पर लेकर उनका शोषण करके उस पर अपना लेबल लगा कर मंहगे से मंहगे कीमत में बेच रहे हैं ! कुछ लोग इस इस धंधे में सफल भी हो रहे है ! तो कुछ खराब सामान देने पर पकड़े भी जा रहे हैं उर अपने साथ राजीव भाई का नाम भी ख़राब कर रहे हैं !
फिर भी मिट्टी के बर्तन, जैविक भोजन, गौ पालन, परंपरागत बर्तन आदि का प्रयोग बढ़ा है ! लोगों में स्वस्थ्य, शिक्षा, जीवन शैली आदि को लेकर जागरूकता बढ़ी है ! लोग एलोपैथी को छोड़ कर आयुर्वेद, पंचगव्य को तेजी से अपना रहे हैं ! यही राजीव भाई की इच्छा थी !!