रक्त वर्णीय चन्द्रमा महाविनाश का सूचक है : Yogesh Mishra

आज कल बार बार चन्द्रमा रक्त वर्णीय हो रहा है ! इस साल जून और जुलाई के महीने में करीब 30 दिन के अंदर तीन बड़े ग्रहण लगने जा रहे हैं ! ऐसी ही घटना महाभारत युद्ध के पहले भी घटी थी ! मेदिनी ज्योतिष के अनुसार में ग्रहण के समय बनाने वाली ग्रह स्थिति से मैं यह अनुमान लगता हूँ कि आने वाले 3 वर्ष विश्व के लिये अत्यंत कष्टप्रद रहेंगे !

इस वर्ष आषाढ़ के महीने में 6 जून से 5 जुलाई के बीच तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं ! इनमें से दो ग्रहण भारत में दृश्य होंगे ! 5/6 जून को रात्रि में लगने वाला चंद्र ग्रहण यूरोप, भारत सहित एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा ! 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारत सहित एशिया के कई दूसरे राज्यों, यूरोप और अफ्रीका में भी दिखेगा !

किन्तु 5 जुलाई को लगने जा रहा चंद्र ग्रहण अफ्रीका और अमेरिका में नजर आयेगा ! इन तीनों ग्रहणों में से पहले दो ग्रहण, जो कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में पड़ेंगे, वह भारत में दृश्य होंगे ! अंतिम ग्रहण जो कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष में है वह भारत में दिखाई नहीं देगा ! इन ग्रहणों का मिथुन और धनु राशि के अक्ष को पीड़ित करना अमेरिका और पश्चिम के देशों के लिए विशेष रूप से अशुभ होगा !

जून को सूर्य ग्रहण के समय 6 वक्री ग्रह रहेंगे अत: भारत और विश्व के लिए 21 जून का सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील है ! मिथुन राशि में होने जा रहे इस ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा ! इसके अलावा ग्रहण के समय 6 ग्रह शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्र होंगे ! राहु केतु हमेश वक्र चलते हैं इसलिए इनको मिलकर कुब 6 ग्रह वक्री रहेंगे, जो शुभ फलदायी नहीं है ! इस स्थिति में संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल-पुथल मचेगी !

इस दौरान राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और मौसम बहुत से उथल पुथल होंगे ! तरह तरह के विषाणु हमले तथा साक्षात युद्ध भी होंगे ! जब भी किसी एक महीने में दो से अधिक ग्रहण पड़ते हैं और पाप ग्रहों का भी उस पर प्रभाव रहे तो वह समय जनता के लिये विशेष कष्टकारी होता है ! इस दौरान कई प्रभावशाली राजनेताओं की हत्या व मृत्यु भी होती है !

पश्चिमी देशों में तनाव बढ़ेगा ! इस वर्ष मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे ऐसे में वर्षा काल में आसामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा ! ग्रहण के समय शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होना इस बात की आशंका को जन्म दे रहा है कि चीन के साथ पश्चिमी देशों के संबंध बेहद खराब हो सकते हैं !

ग्रहण के समय इन बड़े ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन-धन की हानि कर सकता है ! भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भयंकर वर्षा एवं बाढ़ से जूझना पड़ सकता है ! ऐसे में महामारी और भोजन का संकट इन देशों में कई स्थानों पर हो सकता है !

भारत के पश्चिमी हिस्सों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में राजनीतिक उठा-पटक चिंता का कारण बनेगी तथा हिंद महासागर में चीन की गतिविधयों से तनाव बढ़ेगा ! शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में भयंकर आर्थिक मंदी का असर अगले तीन वर्ष तक बना रहेगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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