क्रूर सिकंदर नहीं उदार पोरस महान योद्धा थे : Yogesh Mishra

क्या डकैत सिकंदर ने पोरस के अलावा अपने विश्व डकैती अभियान में किसी भी राजा को उदारता और सम्मान के साथ छोड़ा ! यदि नहीं उसके तो पोरस को ही क्यों छोड़ दिया ! यह बहुत बड़ा प्रश्न आज के फर्जी इतिहासकारों के सीने पर चढ़ कर पूंछा जाना चाहिये !

और यह झूठ है या सच इसकी फिर से खोज की जानी चाहिये ! यदि इसमें भ्रम है तो दोनों ही तरह की मान्यताओं को उजागर किया जाना चाहिये ! जिससे सत्य सामने आ सके और आने वाली पीढ़ियों को भ्रम से बचाया जा सके !

वर्तमान इतिहास में बताया जाता है कि जब महान सम्राट पोरस को हराकर बंधक बनाकर जब सिकंदर के सामने पेश किया गया तो सिकंदर ने पूछा- ‘तुम्हारे साथ क्या किया जाए तो पोरस ने कहा- ‘मेरे साथ वो व्यवहार करो, जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है !’ सचमुच यह एक अच्छा वाक्य है लेकिन क्या इसमें सचाई है ! क्या यह यूनानी इतिहासकारों ने सिकंदर को महान बनाने के लिये तो नहीं लिखा !

सम्राट पुरु का नाम यूनानी इतिहासकारों ने ‘पोरस’ लिखा है ! इतिहास को निष्पक्ष लिखने वाले प्लूटार्क ने लिखा- ‘सिकंदर सम्राट पुरु की 20,000 की सेना के सामने तो ठहर नहीं पाया ! आगे विश्व की महानतम राजधानी मगध के महान सम्राट धनानंद की सेना 3,50,000 की सेना उसका स्वागत करने के लिये तैयार थी जिसमें 80,000 घुड़सवार, 80,000 युद्धक रथ एवं 70,000 विध्वंसक हाथी सेना थी ! उसके क्रूर सैनिक दुश्मन के सैनिकों को मुर्गी-तीतर जैसा काट देते हैं !

क्या सिकंदर (अलक्षेन्द्र) एक महान विजेता था ! ग्रीस के प्रभाव से लिखी गई पश्चिम के इतिहास की किताबों में यही बताया जाता है और पश्चिम जो कहता है दुनिया उसे आंख मूंदकर मान लेती है ! मगर ईरानी और चीनी इतिहास के नजरिये से देखा जाए तो यह छवि कुछ अलग ही दिखती है !’

सिकंदर के हमले की कहानी बुनने में पश्चिमी देशों को ग्रीक भाषा और संस्कृति से मदद मिली, जो ये कहती है कि सिकंदर का अभियान उन पश्चिमी अभियानों में पहला था, जो पूरब के बर्बर समाज को सभ्य और सुसंस्कृत बनाने के लिये किये गये ! अब यह कहां होगा की बर्बर तो वह लोग थे ! जो आक्रमणकारी थे !

अजीब लगता है ‍जबकि भारत में सिकंदर को महान कहा जाता है और उस पर गीत लिखे जाते हैं ! उस पर तो फिल्में भी बनी हैं जिसमें उसे महान बताया गया और एक कहावत भी निर्मित हो गई है ! ‘जो जीता वही सिकंदर’ ! यदि सचमुच ही भारतीयों ने पश्चिम नहीं, भारतीय इतिहासकारों को पढ़ा होता तो वह कहते ‘जो जीता वही पोरस’ ! लेकिन अंग्रेजों की 200 वर्षों की गुलामी ने अंग्रेज भक्त जो बना दिया है !

सिकंदर अपने पिता की मृत्यु के पश्चात अपने सौतेले व चचेरे भाइयों का कत्ल करने के बाद मेसेडोनिया के सिन्हासन पर बैठा था ! अपनी महत्वाकांक्षा के कारण वह विश्व विजय को निकला ! यूनान के मकदूनिया का यह राजा सिकंदर कभी भी महान नहीं रहा ! यूनानी योद्धा सिकंदर एक क्रूर, अत्याचारी और शराब पीने वाला व्यक्ति था !

इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर ने कभी भी उदारता नहीं दिखाई ! उसने अपने अनेक सहयोगियों को उनकी छोटी-सी भूल से रुष्ट होकर तड़पा-तड़पाकर मारा था ! इसमें उसका एक योद्धा बसूस, अपनी धाय का भाई क्लीटोस और पर्मीनियन आदि का नाम उल्लेखनीय है ! क्या एक क्रूर और हत्यारा व्यक्ति महान कहलाने लायक है ! गांधार के राजा आम्भी ने सिकंदर का स्वागत किया ! आम्भी ने भारत के साथ गद्दारी की !

प्रसिद्ध इतिहासकार एर्रियन लिखते हैं, जब बैक्ट्रिया के राजा बसूस को बंदी बनाकर लाया गया, तब सिकंदर ने उनको कोड़े लगवाए और उनकी नाक-कान कटवा डाले ! इतने पर भी उसे संतोष नहीं हुआ ! उसने अंत में उनकी हत्या करवा दी ! उसने अपने गुरु अरस्तू के भतीजे कलास्थनीज को मारने में संकोच नहीं किया !

एक बार किसी छोटी-सी बात पर उसने अपने सबसे करीबी मित्र क्लीटोस को मार डाला था ! अपने पिता के मित्र पर्मीनियन जिनकी गोद में सिकंदर खेला था उसने उनको भी मरवा दिया ! सिकंदर की सेना जहां भी जाती, पूरे के पूरे नगर जला दिए जाते, सुन्दर महिलाओं का अपहरण कर लिया जाता और बच्चों को भालों की नोक पर टांगकर शहर में घुमाया जाता था !

ऐसा क्रूर सिकंदर अपने क्या, महान सम्राट पोरस के प्रति उदार हो सकता था ! यदि पोरस हार जाते तो क्या वह जिंदा बचते और क्या उनका साम्राज्य यूनानियों का साम्राज्य नहीं हो जाता !

इतिहास में यह झूठ लिखा गया कि सिकंदर ने पोरस को हरा दिया था ! यदि ऐसा होता तो सिकंदर मगध तक पहुंच जाता और इतिहास कुछ और होता ! लेकिन इतिहास लिखने वाले यूनानियों ने सिकंदर की हार को पोरस की हार में बदल दिया !

हारे हुए सिकंदर का सम्मान और उसकी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिये यूनानी लेखकों ने यह सारा झूठा जाल रचा ! स्ट्रेबो, श्वानबेक आदि विदेशी विद्वानों ने तो कई स्थानों पर इस बात का उल्लेख किया है कि मेगस्थनीज आदि प्राचीन यूनानी लेखकों के विवरण झूठे हैं ! ऐसे विवरणों के कारण ही सिकंदर को महान समझा जाने लगा और पोरस को एक हारा हुआ योद्धा, जबकि सचाई इसके ठीक उलट थी ! सिकंदर को हराने के बाद पोरस ने उसे छोड़ दिया था और बाद में चाणक्य के साथ मिलकर उसने मगध पर आक्रमण किया था !

यूनानी इतिहासकारों के झूठ को पकड़ने के लिये ईरानी और चीनी विवरण और भारतीय इतिहास के विवरणों को भी पढ़ा जाना चाहिये ! यूनानी इतिहासकारों ने सिकंदर के बारे में झूठ लिखा था, ऐसा करके उन्होंने अपने महान योद्धा और देश के सम्मान को बचाया !

जवाहरलाल नेहरू अपनी पुस्तक ‘ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में लिखते हैं- ‘सिकंदर अभिमानी, उद्दंड, अत्यंत क्रूर और हिंसक था ! वह स्वयं को ईश्वर के समान समझता था ! क्रोध में आकर उसने अपने निकटतम मित्रों और सगे-संबंधियों की हत्या की और महान नगरों को उसके निवासियों सहित पूर्णतः ध्वस्त कर दिया !’

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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