हजार रोगों की जड़ है बिना समझे शास्त्रों का अति अध्ययन | : Yogesh Mishra

शास्त्र पढ़ने के कई कारण होते हैं ! कुछ लोग शास्त्रों का अध्ययन अपना समय पास करने के लिये करते हैं ! तो कुछ लोग अपने बौद्धिक मनोरंजन के लिये भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं ! कुछ लोग ईश्वर को और उसकी ईश्वरीय व्यवस्था को समझने के लिये शास्त्रों का अध्ययन करते हैं ! तो कुछ लोग समाज में अपने को विद्वान सिद्ध करने के लिये भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं !

कुछ ऐसे लोग भी हैं जो शास्त्रों का अध्ययन करने के उपरांत शास्त्र सम्मत प्रवचन या कथा करके अपना जीविकोपार्जन करने के लिये भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं ! इसी श्रेणी में वह लोग भी आते हैं जो दूसरों को शास्त्रों का ज्ञान देने के लिये भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं !

लेकिन कुछ लोग बहुत खतरनाक उद्देश्य से भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं ! जैसे कि किस शास्त्र के द्वारा व्यक्ति को उसके धर्म से कैसे च्युत किया जा सकता है ! इसके लिये भी लोक शास्त्रों का अध्ययन करते हैं ! कुछ लोग शास्त्रों की सत्यता पर शोध के लिये भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं ! और कुछ ऐसे भी हैं जो नये शास्त्रों के निर्माण के लिये भी शास्त्रों का अध्ययन करते हैं !

अब कौन किस उद्देश्य से शास्त्रों का अध्ययन कर रहा है ! यह शास्त्र का अध्ययन करने की प्रक्रिया से बिल्कुल पता नहीं लगाया जा सकता है ! किंतु शास्त्र के अध्ययन के उपरांत जब वह व्यक्ति उस शास्त्र के संदर्भ में अपना वक्तव्य रखता है या उसकी चर्चा करता है ! तब पता चलता है कि किस व्यक्ति ने किस उद्देश्य से शास्त्रों का अध्ययन किया है !

शास्त्र के अध्ययन करने में कहीं कोई बुराई नहीं है ! लेकिन शास्त्रों के अध्ययन की कुछ मूल शर्तें हैं ! जैसे कि आप जिस शास्त्र का अध्ययन कर रहे हैं ! उसमें कोई मिलावट तो नहीं की गई है या उस शास्त्र के किसी पक्ष को छुपाया तो नहीं गया है या फिर उस शास्त्र के महत्व को बताने के लिये किसी अनावश्यक ज्ञान को जबरजस्ती उस शास्त्र में जोड़ा तो नहीं दिया गया है ! यह सारी बातें आप जिस शास्त्र का अध्ययन करने जा रहे हैं ! उसके विषय में पहले जान लें तब ही उस शास्त्र का अध्ययन आरंभ करें !

आजकल विभिन्न प्रकाशकों के विभिन्न विभिन्न तरह के शास्त्र प्राचीन शास्त्रों के नाम पर बाजार में बिक रहे हैं ! जिनमें व्याख्या के नाम पर बहुत सी ऐसी अनर्गल चीजों को जोड़ दिया गया है ! जिसका मूल शास्त्र से कोई संबंध नहीं होता है ! ऐसी स्थिति में यदि इन दूषित शास्त्रों का आप अध्ययन करेंगे तो आपका मतिभ्रम हो जाना स्वाभाविक है !

और जब आप भ्रमित होते हैं तो अनेक तरह की शंकायें आपके मन में पैदा होती हैं ! उस स्थिति में व्यक्ति प्रकृति की विधा के अनुसार अपने को न तो शारीरिक ही विश्राम दे पाता है और न ही मानसिक विश्राम दे पाता है !

जिसका परिणाम यह होता है कि कुछ ही समय बाद व्यक्ति का शरीर विभिन्न रोगों से ग्रसित होना शुरू हो जाता है ! सबसे पहले अति चिंतन करने के कारण व्यक्ति अनिद्रा का पेशेंट होता है ! फिर जो उसने शास्त्र में पढ़ा है वैसा जब समाज में होता नहीं देखता है तो वह व्यक्ति मानसिक व्यथा के कारण ब्लड प्रेशर का पेशेंट हो जाता है ! थोड़े ही समय बाद उसे जरा जरा सी बातों पर आवेग आने लगता है और वह एक शार्ट टेम्पर्ड अर्थात शीघ्र क्रोधित होने वाला व्यक्ति के रूप में समाज में जाना जाने लगता है ! जिससे लोग उसके साथ संबंध रखना पसंद नहीं करते हैं ! परिणामत: वह व्यक्ति एकांगी हो जाता है और एकांत में चला जाता है !

जिससे कुछ समय बाद उसको उसका अकेलापन उसे हजार तरह के रोग देता है ! डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, पैंक्रियास फेल्योर, किडनी फेल्योर, पैरालिसिस, डिप्रेशन, न्यूरो सिस्टम का सही काम न करना, निरंतर चेहरे पर तनाव बना रहना और अपने को असहाय और लाचार महसूस करना आदि आदि यह सब शास्त्रों के अति अध्ययन का परिणाम है !

इसलिये मेरा यह परामर्श है कि व्यक्ति को शास्त्र अध्ययन के साथ साथ किसी तत्व ज्ञानी व्यक्ति के साथ संवाद भी करना चाहिये और बचे हुये समय में अपने इष्ट की आराधना करना चाहिये ! कोई व्रत या अनुष्ठान लेकर अपने को एक सफल साधक बनाते हुये सिद्धियों को प्राप्त करना चाहिये और अगर कुछ भी न हो सके तो शास्त्र अध्ययन के साथ साथ भगवान का भजन भी करना चाहिये !

यही कलयुग में एक मात्र छोटा सा उपाय है ! यदि आप शास्त्रों को बहुत अधिक पढेंगे तो 2 हजार तरह के रोग आप को घेर लेंगे ! मैंने बहुत बड़े-बड़े विद्वान और कथावाचकों को अनिद्रा, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर, पैंक्रियास और किडनी के खराब होने से बचने के लिये दवाइयों को खाते हुये देखा है

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …