शैव साधना के सात चरण हैं : Yogesh Mishra

शैव साधना पद्धति के सात चरण हैं ! जो पूरी तरह से वैष्णव साधना पद्धति से भिन्न हैं ! शैव साधना में सबसे ज्यादा कार्य स्वयं अपने आप पर करना होता है, जबकि वैष्णव साधना पद्धति में सबसे अधिक कार्य भगवान अर्थात अवतार पर करना होता है !

जिन्हें वैष्णव प्रपंचकारियों ने अपने धार्मिक व्यवसाय के लाभ के लिए कुछ हिंसक, छली, षड्यंत्रकारी राजाओं को भगवान घोषित कर रखा है और उनके गुणगान के लिए तरह-तरह के चालीसा, स्त्रोत, कीर्तन, भजन, मंत्र आदि का निर्माण कर रखा है !

इसी वजह से वैष्णव उपासना पद्धति में व्यक्ति को सर्वप्रथम व्रत, उपवास, संयम, नियम आदि के द्वारा पहले स्वयं को मानसिक और शारीरिक रूप से निर्बल करना होता है ! इसके बाद वह भगवत कृपा प्राप्त कर सकता है !

इसे दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि एक स्वस्थ मन मस्तिष्क का व्यक्ति वैष्णव उपासना पद्धति के लिए फिट नहीं है क्योंकि स्वस्थ मन मस्तिष्क का व्यक्ति हजारों तरह से सत्य को खोजने के लिए तर्क करता है और वैष्णव उपासना पद्धति में तर्क का कोई स्थान नहीं है !

जो गुरु ने कह दिया या जो शास्त्रों में लिखा है वही सत्य है ! उसी को प्रमाण माना जाएगा ! भले ही गुरु स्वयं मानसिक रूप से बीमार हो या उन शास्त्रों को किसी मनोरोगी ने लिखा हो !

उस पर कोई भी व्यक्ति संदेह नहीं कर सकता है और यदि किसी व्यक्ति ने गुरु की वाणी या शास्त्रों पर संदेह प्रकट कर दिया तो उसके लिए बहुत कठोर प्राश्चित की व्यवस्था है !

यह सारी चीजें यह सिद्ध करती हैं कि वैष्णव परंपरा विशुद्ध रूप से एक संगठित धार्मिक गिरोह है ! जो लोगों को पुण्य, स्वर्ग और मोक्ष्य का प्रलोभन देकर धर्म के नाम पर अपने तरीके से अनुशासित करता है और जो व्यक्ति उस अनुशासन को भंग करता है, उसके लिए कठोर दंड के विधान बताए गए हैं !

जबकि इसके विपरीत शैव जीवन शैली में सीधा सरल सपाट उपासना पद्धति का वर्णन मिलता है ! जहां कोई भी वैष्णव प्रपंच नहीं है !

शिव जीवन शैली में व्यक्ति अपने स्वस्थ मन मस्तिष्क इसके साथ साधना के सात अलग-अलग चरणों में प्रवेश कर सकता है जिससे व्यक्ति का निरंतर विकास होता है और व्यक्ति संसार में भी सफलता प्राप्त करता है और मृत्यु के उपरांत भी उसे मुक्ति प्राप्त होती है !

इस तरह शैव जीवन शैली के उपासना के साथ चरण इस प्रकार हैं ! पहला आत्म शोधन अर्थात पूर्वाग्रह का त्याग, दूसरा सत्य के खोजने की तीव्र इच्छा, तीसरा कैवल्य, चौथा स्व की साधना, पांचवा विदेह की स्थिति, छठां समाधि और सातवाँ मुक्ति !

इस तरह शैव जीवन शैली की साधना पूरी तरह से प्राकृतिक है और मानव के कल्याण का स्पष्ट मार्ग है !!

विशेष : शैव उपासना पद्धति के लिए संस्थान में समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं ! जिसके लिए आप कार्यालय में सीधा संपर्क कर सकते हैं !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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