कभी अमेरिका सनातन भारत का हिस्सा था !! Yogesh Mishra

मेक्सिकॊ का सबसे बड़ा शिव मंदिर है !

सनातन भारत में “यक्ष”, उदार आत्माओं या अलौकिक शक्तियों के एक वर्ग के लोग थे जो पृथ्वी में और पेड़ों की जड़ों में छिपे हुए खजाने के संरक्षक हुआ करते थे ! “कुबेर” जिसे सम्पत्ति का देवता कहा जाता है वह इन यक्षों का नायक हुआ करता था ! ये लोग पहले लंका में निवास करते थे लेकिन रावण द्वारा लंका में आक्रमण करने के पश्चात वह कहीं दूर जाकर बस गये ! पुराणॊं में यक्षॊं की ही तरह “माया” का भी उल्लेख मिलता है ! माया असुर कुल से संबंध रखते थे और उन दिनों में अलौकिक शक्तियों वाले वास्तुकार हुआ करते थे !

जिन नल और नील ने रामसेतू का निर्माण किया था वह भी माया ही थे ! इंद्रप्रस्थ को भी माया नामक असुर ने ही बनाया था, जिसमें मयसभा नामक एक विशाल और भव्य सभा भी हुआ करती थी ! “असुर” रचनात्मक या विनाशकारी प्रकृति वाले आध्यात्मिक और अलौकिक दैवीय शक्ती वाले व्यक्ती थे ! माना जाता है कि इन्ही मयों (असुर) के वजह से मेक्सिकॊ, ग्वाटेमला और हॊन्डुरास में “मयन नागरिकता” की स्थापना हुई थी ! माया नागरिकता और भारतीय सनातन धर्म में कई समानंतर सांस्कृतिक आचरण हैं ! जैसे मूर्ती पूजा करना, मंदिरों का निर्माण, प्राणी बली और पुनर्जन्म में विश्वास इत्यादी ! पुराणॊं में उल्लेख है कि सुर-असुर देव-दानव पृथ्वी के विपरीत दिशा में निवास करते थे ! सुर और असुरों के दिन और रात्री में अंतर होता था ! यद्यपी मेक्सिको ही वह स्थान होगा जहां असुर कुल से संबंधित “माया” नागरिक रहते थे !

दुनिया के सभी अचंबित कर देने वाली वास्तुकला के पीछे इन्ही “माया” लोगों का हाथ है ऐसा संशॊधन कर्ताओं का मानना है ! मेक्सिको में इन्ही के द्वारा बनाई गयी ‘यक्ष शिला’ नामक जगह है ! मेक्सिकॊ के चिपास में उसुमासिन्ता नदी के तट पर ‘यक्सिलान’ (यक्ष शिला) नामक एक नगर है ! जानकार कहते हैं कि इसका पुराना नाम “पाषाण” रहा होगा ! संस्कृत में पाषाण का अर्थ है पत्थर ! प्राचीन काल में यह पत्थरॊं से बनाई गयी नगरी हुई होगी !

मेक्सिको के यक्ष शिला और भारत के यक्शों के वास्तुकला में बहुत साम्यता है ! भारतीय कला में, पुरुष यक्षों को डरावने योद्धाओं के रूप में चित्रित किया जाता है, ये लोग आकार में बौने होते हैं लेकिन बहुत तेज़ बुद्दीवाले होते हैं ! स्त्रीयों को यक्षिणि कहा जाता था उन्हें सदा प्रसन्न मुखवाले सुंदर अंग सौष्टव वाले युवा महिलाओं के रूप में चित्रित किया गया है ! मेक्सिको के यक्सीलियन सरदल और भारत के यक्ष-यक्षिणि एक प्रकार के दिखते हैं ! थाय जनपद के बुद्दिस्ट लोगों में भी यक्ष और यक्षिणियों का उल्लेख है ! जैन समुदाय में भी यक्षों को आदर और सम्मान से देखा जाता है !

माना जाता है कि दक्षिण भारत की एक अनुपम जनपद संस्कृती “यक्षगान” यक्षों की ही देन है ! महाभारत में भी यक्षों का उल्लेख हैं जहां यक्षों के देवता ने युधिष्टिर के चारॊं भाइयों को बंधी बना लिया था ! इसी प्रकार मेक्सिको में “उक्समल मंदिर” है जो राहु, शिवा और गणेश को अर्पित है ! उक्समल शब्द की उत्पत्ती ऒक्समल शब्द से हुआ है जिसका अर्थ है “तीन बार बनाया गया” ! कहा जाता है कि मायावी बौने राजा ने इस मंदिर को अदृश्य रूप से एक ही रात के भीतर बना दिया था! मध्य और दक्षिण अमरीका में सूर्य, गणॆश, इंद्र, विष्णु, हनुमान और विष्णु के कूर्मावतार की पूजा की जाती है !

उक्समल मंदिर मेक्सिकॊ का सबसे बड़ा शिव मंदिर है ! इस मंदिर के अंदर राहू को सूरज को निगलते हुए दर्शाया गया है ! पुराणॊं में चंद्रमा की छाया को राहु कहा जाता था जिसकी छाया से सूर्यग्रहण होता था ! इसी सूर्यग्रहण को वास्तुकला के रूप में इस मंदिर के मूर्तियों में दर्शाया गया है ! यह मंदिर ‘गॊपुरम’ वास्तुकला के आधार पर बनाई गयी थी जिसे स्पॆनियार्ड लोगों ने द्वंस किया था ! माया लोककथाओं में माया द्वारा बनाई गयी इन सभी वास्तुकलाओं का उल्लेख है ! गुट्मल में अष्ट भुजावाली एक देवता की सुंदर छवि प्राप्त हुई है ! जिसे माया सभ्यता में ‘एजटेक’ कहा कया गया है वह वास्तव में संस्कृत का अष्टक है! Piedras Negras अर्थ है “प्रियदर्श नागराज”! नागराज का उल्लेख भारत के सनातन धर्म में ही मिलता है !

इन सभी तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्श निकाला जा सकता है कि पुराणॊं में उल्लिखित यक्ष और माया केवल काल्पनिक पात्र नहीं, अपितु वास्तव में दो अलग अलग सभ्यतावाले लोग थे जिनके पास अलौकिक शक्तियां थीं ! अब पश्चिम के देशों ने भी इस बात पर मुहर लगाई है कि माया और यक्ष भारतीय मूल के ही लोग थे ! इससे हमें यह ज्ञात होता है कि सनातन काल से ही हमारे पूर्वज पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण किया करते थे ! वह द और पुराण सत्य हैं, वह केवल मिथक नहीं है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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