राजा जनक के तीन शाश्वत प्रश्न : Yogesh Mishra

राजा जनक ने ब्राह्मण पुत्र अष्टावक्र से आत्मकल्याण के लिये तीन मौलिक प्रश्न किये !
1. ज्ञान कैसे प्राप्त होता है?

2. मुक्ति कैसे होगी? और

3. वैराग्य कैसे प्राप्त होगा?

और यह तीनों प्रश्न ही समस्त अध्यात्म का सार है ! अर्थात कहने का तात्पर्य है कि आज चार वेद, षड्दर्शन, 18 पुराण, 108 उपनिषद आदि सभी कुछ इन्हीं तीन मौलिक प्रश्नों के आसपास घूमते हैं !

अष्टावक्र ने राजा जनक को उनके तीनों मौलिक प्रश्नों के जो उत्तर दिये, उसमें न तो कोई मंदिर है, न कोई मूर्ति है, न कोई चालीसा ग्रन्थ हैं और न ही कोई ढोलक मजीरा है !

अष्टावक्र जी महाराज के अनुसार आज धर्म के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह सब एक धार्मिक व्यवसायिक प्रपंच है ! इससे किसी का कल्याण नहीं होता है !

कथावाचक रोज-रोज वहीं हजारों साल पुरानी कहानियां पैसे लेकर नये-नये तरीके से सुनाते हैं और समाज यह जानता है कि कथावाचक जो बतला रहा है वह भी एक व्यवसाय प्रपंच से अधिक और कुछ नहीं है ! इसीलिए श्रोता भी मात्र बौद्धिक मनोरंजन के लिये इन कथा वाचकों की कथाओं को सुनने जाता है !

इससे कथावाचक कुछ पैसे जरुर पा जाते हैं और समाज का भी बौद्धिक मनोरंजन हो जाता है ! पर इससे न तो कथावाचक का ही कोई आध्यात्मिक कल्याण होता है और न ही कथा सुनने वाले श्रोता का !

बल्कि सच्चाई तो यह है कि इन कथा कहानियों के प्रभाव में युवा वर्ग आध्यात्मिक होने के चक्कर में पुरुषार्थ को छोड़ देता है ! जिस वजह से भारत निरंतर बौद्धिक और आर्थिक पतन की ओर बढ़ता चला जा रहा है !

“होई है वही जो राम रचि राखा” ! जैसे नारे लगाकर कथावाचक युवाओं को उनके लक्ष्य के प्रति उत्साह विहीन बना देते हैं और जब आध्यात्मिक होने के चक्कर में यथार्थ जीवन अभाव से गुजरता है, तब यह युवा या तो परिस्थितियों से हार मान कर आत्महत्या कर लेते हैं या फिर नशे के शिकार हो जाते हैं !

लेकिन कल्याण किसी का नहीं होता है, न तो इस संसार में और न ही मृत्यु के बाद दूसरे लोक में !

इसलिए जीवन के यथार्थ को यदि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझना है, तो मंदिर, मूर्ति, धर्म ग्रंथ, ढोलक, मजीरा, आदि के प्रपंच से अलग हटकर जीवन के मौलिक प्रश्नों के उत्तर खोजने होंगे ! जैसे राजा जनक ने खोजे थे और जब तक इन मौलिक प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल जाते, तब तक कोई भी व्यक्ति किसी भी पूजा-पाठ, ग्रंथ, अनुष्ठान, आदि से आत्म कल्याण प्राप्त नहीं कर सकता है

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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