वास्तु दोष और कारावास योग: क्यों फसता है व्यक्ति मुकदमे, जेल और कानूनी कार्यवाहियों में?
बहुत से वास्तु दोष ऐसे हैं जिनके कारण भूखण्ड में ऊर्जा वितरण में असमानता आ जाती हैं। ऊर्जा नाड़ीयां जब विकृत हो जाती हैं या ऊर्जा प्रवाह में रूकावट आती हैं तो विनाश के लक्षण दिखने लगते हैं।
भूखण्ड में नैऋत्य कोण का जब विस्तार है तो प्रायः कानूनी विवाद चलते रहते हैं। अग्निकोण के विस्तार से भी कानून का भय लगा रहता है। नैऋत्य कोण का विस्तार भी कानूनी समस्याओं को जन्म देता है। पश्चिम दिशा मध्य में यदि भूखण्ड कटा हुआ हो तो राजा का प्रकोप आता है। पश्चिम दिशा मध्य से तुरंत बायीं ओर वाला द्वार न केवल राजभय देता है बल्कि कानूनी कार्यवाहियों में कई बार राज्य द्वारा मनुष्य का मकान जब्त कर लिया जाता है या निर्माण धवस्त कर दिया जाता है।
यदि इशान कोण कटा हुआ हो अर्थात वास्तु पुरुष का सिर आंशिक या पूर्ण रूप से भूखण्ड में उपलब्ध न हो तो भाईयों में या साझेदारों में भयंकर कानूनी झगड़े आते हैं। ऐसे व्यक्ति एक-दुसरे को समूल नष्ट करने पर उतारू हो जाते हैं।
वायव्य कोण में यदि विस्तार हो तो भू-स्वामी को भूखण्ड बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है। इस भूखण्ड पर कानूनी कार्यवाहियां चलती रहती हैं।
यधि भूखण्ड के मध्य में गढ़ा या ताल हो या बीचोंबीच गहरी फाउंडेशन हो तो मुक़दमे और झगडे चलते ही रहते हैं। यदि पूर्व दिशा और उत्तर दिशा में भरी निर्माण हो तो भी कानूनी विवाद रहते ही हैं।
यदि ठीक वायव्य कोण में द्वार हो तो व्यक्ति को या तो सजा हो जाती है या दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है।