अनुभवी पूर्वज और शास्त्र बतलाते हैं कि यह लेह तथा तिब्बत के बीच में पूरे विश्व के सर्वोच्च सूक्ष्म आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र “शंग्रीला घाटी” मौजूद है ! जैसे पश्चिम जगत में बरमूडा ट्राएंगल ! जिसमें कोई वस्तु अगर चली जाती है तो वह दुबारा लौट के नहीं आ सकती है ! ठीक वैसे ही शंग्रीलाघाटी के बारे में कहा जाता है कि यह इसीलिये इतनी रहस्यमई है कि यहाँ आज तक जो भी गया वह लौट कर नहीं आया है ! जब तक कि वहां के आध्यात्मिक गुरु न चाहें !
इस घाटी को बिना किसी सूक्ष्म आध्यात्मिक ऊर्जा के नहीं देख सकते हैं ! कहा जाता है कि यह घाटी चौथे आयाम अर्थात समय से प्रभावित होने के कारण रहस्यमई बनी हुई है ! इस घाटी के बारे में और जानने के लिये आपको “काल विज्ञान” नामक किताब को पढ़ना होगा ! जो कि आज भी तिब्बत के “तवांग मठ” के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई है !
इस पुस्तक में लिखा हुआ गई कि यह चौथे आयामी दुनिया का एक निश्चित केन्द्र है ! जो अलग ही स्थान, समय और तरीके से काम करती है ! जैसा कि मनुष्य के अनुभव में रिकार्ड नहीं है ! शंग्रीला घाटी में समय नगण्य है अर्थात समय रुका हुआ है ! इसका मतलब यह है कि अगर आप वहां जाकर रहते हैं तो आपकी आयु बहुत ही धीमी गति से बढ़ेगी ! आप उसी उम्र में जितने साल चाहें जी सकते हैं ! यह वहां के अति गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से संभव है ! क्योंकि समय का सम्बन्ध गुरुत्वाकर्षण से होता है ! इसीलिये हर ग्रह पर अलग अलग गुरुत्वाकर्षण होने के कारण हर ग्रह के काल क्रम में अंतर है !
शंग्रीलाघाटी में प्राण, मन और विचारों की शक्ति सूक्ष्म आध्यात्मिक ऊर्जाओं के प्रभाव से अत्यंत उच्च स्तर तक बढ़ जाती है ! जिससे जीवनी शक्ति भी बढ़ जाती है और आयु को खाने वाला काल निश्प्रभावी हो जाता है ! इसलिये मनुष्य की आयु बढ़ जाती है ! इसीलिये इसे हम सूक्ष्म आध्यात्मिक शक्ति का एक मात्र केंद्र कहते हैं !
यह भी कहा जाता है कि शंग्रीला घाटी के लोगों का दूसरे ब्रह्माण्ड के लोगों से सम्पर्क है ! वह लोग दिव्य ऊर्जा के आधार पर दूसरे ब्रह्माण्ड और लोकों में आते जाते भी हैं !
कुछ लोग इसे कुबेर लोक की राजधानी भी बतलाते हैं ! रावण द्वारा लंका छीने जाने के बाद कुबेर ने इन्द्र आदि देवताओं के धन को रावण से छिपाने के लिये विश्वकर्मा जी की मदद से इस गुप्त स्थल का निर्माण करवाया था ! जो लगभग 2400 वर्ग किलोमीटर में फैला है ! जहाँ आज भी देवताओं का खजाना सुरक्षित है ! जो देव शक्तियां लोक कल्याण के लिये योग्य पात्र के माध्यम से समय समय पर प्रयोग करती हैं !
तिब्बत के लोग तो यह भी कहते हैं कि चीन ने भारत पर हमला ही इसी शंग्रीला घाटी के खजाने को पाने की वजह से ही किया था ! क्योंकि उनको भरोसा था कि यहाँ बहुत सोना है ! जो भारत के पूर्वजों ने भारत ही किसी हिमालय क्षेत्र में रखा हुआ है ! पर उन्हें कभी कुछ मिला ही नहीं ! जो अभियान अपने 3,000 सैनिकों के रहस्यमय ठंग से गायब होने के बाद चीन ने बंद कर दिया था ! पर ताज्जुब की बात यह थी कि सैनिक तो गायब हो गये पर उनका समान और हथियार वहीँ पड़े मिले जहाँ से वह सैनिक गायब हुये थे !!