क्या अब हमें कथावाचकों के भगवान नहीं चाहिये : Yogesh Mishra

आज हमें कथावाचकों के भगवान की नहीं बल्कि उनके चरित्र विश्लेषण और कार्य शैली को जानने की आवश्यकता है !

भगवान के जीवन गाथा के दो पक्ष होते हैं पहला वह जिसे कथावाचक ढोलक मजीरा के साथ गा गा कर पूरे देश को सुनाते फिरते हैं और दूसरा पक्ष वह होता है जिसमें भगवान के चरित्र और कार्यशैली का वर्णन किया जाता है !

हम जब तक भगवान को चमत्कारों से जोड़ कर देखेंगे तब तक कभी भी भगवान के वास्तविक चरित्र और कार्यशैली को नहीं समझ पाएंगे !

उदाहरण के लिये भगवान राम रावण के अत्याचार से मानवता को मुक्त कराने के लिये विष्णु अवतार के रूप में पृथ्वी पर आये थे और उन्होंने रावण का वध कर मानवता को भय से मुक्त करा दिया ! यह भगवान का गुणगान है ! जिसका वर्णन आज कथावाचक मंचों से करके लोगों से दान वसूल रहे हैं ! कुछ व्यवसायिक कथावाचक तो पहले पैसा रखवा लेते हैं ! तब ईश्वर का ज्ञान देने मंच पर आते हैं और दुनिया को बतलाते हैं कि व्यक्ति को माया मोह से दूर रहना चाहिए !

जबकि वास्तव में भगवान के गुणगान से अधिक आवश्यकता है ! उनके चरित्र और कार्यशैली के विश्लेषण की है ! जिसका अनुकरण करके आप भी भगवान बन सकते हैं ! जिसका वर्णन किसी भी कथावाचक के द्वारा कहीं भी कहीं नहीं किया जाता है ! जैसे कि भगवान श्रीराम ने कितनी मुश्किल से किन-किन व्यक्तियों को किन-किन विषयों पर कन्वेंस किया होगा ! तब जाकर वह रावण के विरुद्ध इतनी बड़ी सेना का निर्माण कर पाएंगे होंगे !

दूसरी तरफ रावण के पास एक अति आधुनिक प्रशिक्षित सेना थी ! किंतु राम ने वन नर अर्थात जंगलों में रहने वाले आदिवासी व्यक्तियों के सहयोग से एक गैर अप्रशिक्षित सेना खड़ी कर उनसे किस तरह कार्य लिया होगा कि उन्होंने रावण जैसी महाशक्तिशाली सेना को हरा दिया !

इतना ही नहीं उनका सामन्जस्य, विवेक, साहस, धैर्य, रणनीति, त्याग आदि बहुत कुछ अनुकरणीय है ! लेकिन ने कथावाचकों ने उन्हें विष्णु का अवतार बतला कर उन्हें किसी दूसरे लोक का निवासी अर्थात एलियन घोषित कर दिया और हमें समझा दिया कि यह सब काम राम ही कर सकते हैं ! आम जनमानस के बस की बात नहीं है ! तुम तो उनका नाम लेकर बस सिर्फ मजीरा पीटो बस !

और सारे अत्याचार अपने भाग्य का दोष समझ कर बर्दास्त करो ! क्योंकि तुम्हारी रक्षा के लिये भगवान विष्णु कल्गी अवतार लेंगे ! तबतक तुम करोना के नाम पर अपने परिवार की हत्या होते देखते रहो ! भ्रष्टाचार के नाम पर ठगे जाते रहो ! अपने बहन बेटी की इज्जत लुटवाते रहो ! अपने मेहनत से अर्जित संपत्ति पर दूसरों को कब्ज़ा करने दो ! तुम विरोध मत करो ! हर अत्याचार को ईश्वर की इच्छा समझ कर बर्दास्त करो बस क्योंकि तुम वह कुछ नहीं कर सकते हो जो भगवान कर सकता है ! क्योंकि वह किसी दूसरे लोक में रहता है और जब तुम्हारा सब कुछ नष्ट हो जायेगा तब वह अवतार लेगा और सब कुछ सही कर देगा ! इस भ्रम और इस भ्रान्ति ने ही हमारा सर्वनाश कर दिया ! उस भगवान के इंतजार ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा !

जबकि भगवान की कार्यशैली के सभी विषय आज आम जनमानस के लिये प्रशिक्षण के विषय हैं लेकिन इसे कथावाचकों ने राम को भगवान और विष्णु का अवतार बतला कर उन्हें अद्भुत, मायावी, सर्वशक्तिमान, दिव्य शक्तियों से संपन्न, तीनो लोकों का स्वामी घोषित कर आम जनमानस को रामचरितमानस की चौपाई सुना सुना कर यह सिद्ध कर दिया कि भगवान मनुष्य से अलग बिरादरी के, कोई अलग एलियन जीव हैं ! जो हम कभी नहीं बन सकते !

शायद यही कारण है कि इस देश में हजारों राम कथा और भागवत कथा होने के बाद भी आज तक यह कथा वाचक एक भी आम व्यक्ति को भगवान जैसा नहीं बना पाए या दूसरे शब्दों में कहें कि दुनिया को प्रवचन देने वाले कथावाचकों का अपना चरित्र भी भगवान जैसा नहीं है !

यह व्यवसायिक कथावाचक ही आज भगवान के मूल चरित्र को समझने में हमारे लिये सबसे बड़े बाधक हैं ! शायद यही कारण है कि भगवान के मूल चरित्र को समझने के लिये जब मैं कोई लेख लिखता हूं तो लोग कथावाचकों की कथाओं से उन लेखों का मूल्यांकन करते हैं और विरोध करना शुरू कर देते हैं क्योंकि आम जनमानस अध्ययनशील नहीं होता है ! इसलिये वह लोग कथावाचकों के मनगढ़ंत रोचक कथाओं पर विश्वास करते हैं और भ्रमित होकर अत्याचार सहते रहते हैं ! जिससे हमारे सनातन धर्म का निरंतर पतन हो रहा है !

इसलिये यदि हमें अपने धर्म, अपने राष्ट्र, अपने समाज और परिवार की रक्षा करनी है तो कथावाचकों की कहानियों के अलावा ईश्वर के उस मूल चरित्र को भी समझना होगा ! जिस चरित्र के कारण आज हम उन्हें ईश्वर की श्रेणी में रखते हैं और यदि हम उन जैसा बनने का प्रयास करें तो मात्र एक व्यक्ति ही संपूर्ण पृथ्वी की घातक राजनीति को बदल सकता है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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