साधना से सही-सही पूरा लाभ कैसे उठायें ! कब करें साधना | Yogesh Mishra

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ज्योतिष में चंद्रमा की गति के अनुसार महादशा की गणना की जाती है | प्रत्येक ग्रह की महादशा के अंदर अंतर्दशा, अंतर्दशा के अंदर प्रत्यंतर दशा, प्रत्यंतर दशा के अंदर सूक्ष्म दशा और सूक्ष्म दशा के अंदर प्राण दशा होती है | हमारा पूरा का पूरा जीवन इन्हीं महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म दशा और प्राण दशा के प्रभाव से संचालित होता है | इनके प्रभाव में मस्तिष्क के अंदर तरह-तरह के रसायन बनते रहते हैं | जो हमारे दैनिक क्रिया कलापों को प्रभावित करते हैं | जब हम कोई विशेष साधना करते हैं तो उस विशेष साधना के कारण हमारे मस्तिष्क के अंदर भी उस विशेष साधना के प्रभाव से विशेष तरह के रसायन बनते रहते हैं | यदि महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा के प्रभाव से निर्मित मस्तिष्क के अंदर का रसायन और साधना के द्वारा निर्मित मस्तिष्क के अंदर के रसायन में यदि तालमेल नहीं होगा | तो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्तर पर बहुत बड़ी क्षति का सामना करना पड़ता है |

प्रायः देखा जाता है कि बिना सही समय को देखे हुए जो व्यक्ति मात्र महूर्त पर निर्भर होकर किसी विशेष प्रकार की साधना आरंभ कर देते हैं | वह प्रायः मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं या उनकी मानसिक या शारीरिक अस्वस्थता इस स्तर तक बढ़ जाती है कि निकट भविष्य में उनकी मृत्यु हो जाती है | इसलिए मैं अपने प्रिय साधकों से यह कहना चाहता हूं कि कभी भी कोई भी साधना आरंभ करने के पहले अपनी कुंडली के अंदर ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा अवश्य देखना चाहिए |

यदि कुंडली के अंदर 6, 8, 12 भाव के स्वामी की अंतर या प्रत्यंतर दशा चल रही है या मार्केश आदि की अंतर, प्रत्यंतर दशा चल रही है तो उस स्थिति में बिना योग्य गुरु के परामर्श के कभी भी कोई नई साधना स्वयं अपनी इच्छा से आरंभ नहीं करनी चाहिये |

किसी समय इन ग्रहों के प्रभाव में जो हमारे शरीर के अंदर गलत तरह के विपरीत रसायन बन रहे हैं और यदि आप अपनी साधना द्वारा उन रसायनों को उग्र कर देते हैं, तो वह गलत बनने वाले रसायन आपको ही शारीरिक और मानसिक क्षति प्रदान कर सकते हैं |

इसलिए कितनी भी सही साधना, किसी कितने भी योग्य व्यक्ति द्वारा बताई गई हो सदैव उसको आरंभ करने के पहले किसी भी योग्य ज्योतिषी से आप उस साधना के इष्ट की प्रवृत्ति, साधना का उद्देश्य, आपकी कुंडली के अंदर ग्रहों की स्थिति, वर्तमान समय में चल रही ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा के तालमेल को अवश्य देखिये |

जो लोग इस तरह के तालमेल को देखे बिना आवेग में या अन्य किसी की नकल में, कोई साधना आरंभ कर देते हैं तो वह साधना निश्चित रूप से उनके विकास में सहायक न होकर उनके विनाश का कारण बन जाती है |

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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