किसी जातक विशेष के व्यवसाय इत्यादि के बारे में जानने के लिये सर्वप्रथम लग्न के सब-सब लार्ड को जानें । अगर इसका संबंध/योग/लिंकेज 6ठे भाव से, 7वें भाव से, 10वें भाव से बन रहा है तो जातक विशेष को 6ठे, 7वें और 10वें भाव के फल मिलना निश्चित है। ऐसे ही आप 10वें भाव के सब-सब लार्ड की स्टडी करें और देखें कि क्या 10वें भाव का सब-सब लार्ड 2रे, 6ठे, 7वें भाव से लिंकेज बना रहा है? अगर 10वें भाव के संबंध 2रे, 6ठे या 7वें भाव से बनते हैं तो आप यह कह सकते हैं कि वह जातक अपनी जिंदगी में कुछ काम / व्यवसाय / नौकरी अवश्य करेगा अगर दशा काल के ग्रह तथा गोचर उसे सपोर्ट करेंगे ।
अपनी जिंदगी में नौकरी करेगा अथवा स्वयं का कारोबार या फिर यह जातक दोनों ही काम करने में सक्षम होगा? इसको जानने का कस्पल कुंडली में बहुत ही आसान तरीका है। अगर जातक के लग्न का सब-सब लार्ड 6ठे और 10वें भाव से और साथ में 10वें भाव का सब-सब लार्ड 6ठे और दूसरे भाव से संबंध बनाता है तथा 6ठे भाव का सब-सब लार्ड भी 10वें भाव से लिंकेज बनाये तो यह योग यह इंगित करता है कि उक्त जातक के नौकरी करने के संकेत अधिक हैं। ऐसे ही अगर लग्न और 10वें भाव के सब-सब लार्ड की लिंकेज 7वें भाव से और 7वें भाव के सब सब लार्ड की लिंकेज 10वें भाव से बने तो वह व्यक्ति स्वयं का व्यवसाय करने में ज्यादा सक्षम होगा।
ऐसे ही अगर लग्न और 10वें भाव के सब-सब लार्ड अगर 6ठे और 7वें भाव (दोनों) से संबंध बनायें तो समझिये उस जातक में नौकरी और स्वयं का कारोबार करने दोनों की क्षमता है वह दोनों काम करने में सक्षम है। वह जातक नौकरी कब करेगा और अपना व्यवसाय कब करेगा यह दशा काल के ग्रह सुनिश्चित करेंगे।
अगर दशा काल के ग्रह 6ठे और 10वें भाव से प्रबल योग बनायेंगे तो वह जातक उस दशा विशेष में नौकरी करेगा और अगर दशा काल के ग्रह 10वें और सातवें भाव से ज्यादा प्रबल योग बनायेंगे तो वह जातक उस दशा विशेष में स्वयं का व्यवसाय करेगा और अगर दशा काल के ग्रह 6ठे, 7वें और 10वें भावों से लिंकेज बनायेंगे तो वह जातक एक साथ नौकरी तथा स्वयं का कारोबार करने में सक्षम होगा बशर्ते गोचर भी फेवर करे।
ज्योतिष का एक स्वर्णिम नियम है कि कोई भी सांकेतिक घटना उन ग्रहों के संयुक्त काल में घटित/फलित होगी जो ग्रह उस विशिष्ट घटना/ वृत्तांत/इवेंट के परिपूर्ण कारक ग्रह होंगे बशर्ते ग्रहों का गोचर भी इवेंट देने को सपोर्ट करें। जीवन-यापन करने के लिए अर्थ त्रिकोण 2, 6, 10 भावों का कुंडली में जागृत होना बहुत अनिवार्य है। जब तक किसी जातक की कुंडली में (2, 6, 10) भाव जागृत नही होंगे वह जातक काम नहीं कर पायेगा। इसलिये कुंडली में लग्न मूल भाव, 10वां व्यवसाय का भाव और 6ठे भाव का संबंध 2रे और 10वें भाव से बनना जरूरी है।