आखिर इन “हिन्दू गौ रक्षकों” से खतरा किसको है ? Yogesh Mishra

देश के प्रधानमंत्री ने दो टूक निर्देश देते हुए राज्य सरकारों को यह कहा है कि “यदि गौरक्षा के नाम पर कोई भी व्यक्ति देश की कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेता है, तो उसके विरुद्ध “सख्त से सख्त कार्यवाही” की जाये !” स्वागत है प्रधानमंत्री के इस राष्ट्रप्रेमी राजनैतिक “बयान” का ! लेकिन यदि इसके साथ ही हमारे प्रधानमंत्री यह भी कह देते कि “यदि भारत के अंदर कोई भी व्यक्ति “गौ हत्या या गौ तस्करी” करेगा, तो उसके विरुद्ध भी भारत की “विधि व्यवस्था के तहत कठोर से कठोर कार्यवाही” की जाएगी और जो प्रशासनिक अधिकारी इस गौ हत्या या गौ तस्करी में सहयोग या संलिप्तता रखते हैं ! उनके विरुद्ध भी शासन अपना कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगा !” तो शायद “विषय” संतुलित और न्याय संगत होता !

किन्तु सत्ताधीश आज अपने राजनीतिक लाभ के लिए अपने कर्तव्य से विमुख होकर मात्र “गौ रक्षकों” के विरुद्ध ही कार्यवाही करने की बात कह कर “गौ हत्यारों और गौ तस्करों” को राजनीतिक संरक्षण प्रदान कर रहे हैं ! पर ऐसा कर क्यों रहे हैं ? क्या ये “गौरक्षकों” देश के तथाकथित “राष्ट्रवादी राजनैतिक दल की छवि” को खतरा पैदा कर रहे हैं ? “गौरक्षकों” के कार्यों से “सबका का साथ सबका विकास” का नारा अधूरा छूट गया है ! आखिरकार देश की राजनीति में इन “गौ हत्यारों या गौ तस्करों” के साथ से ही देश का विकास होगा !

दूसरी बात जैसाकि सभी जानते हैं कि जो लोग तस्करी में मौके पर पकड़े जाते हैं ! वे सिर्फ मजदूर हैं, उनकी यह औकात नहीं है कि वह इतने बड़े पैमाने पर पैसा लगाकर गौ तस्करी कर सकें ! इस गौ तस्करी में पैसा लगाने वाले बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो तथाकथित “राष्ट्रवादी राजनीतिक दलों में बड़ी-बड़ी भूमिका” अदा करते हैं !

आज जब स्वप्रेरणा से गौरक्षकों द्वारा “गौ हत्यारों और गौ तस्करों” के विरुद्ध कार्यवाही की जाती है तो क्या उन पूंजी लगाने वालों को यह भय होता है कि कहीं गौरक्षकों की इस कार्यवाही से उनकी पूंजी अनावश्यक रूप से नष्ट न हो जाए ! जो कि निरन्तर रूप से अभी तक पुलिस, प्रशासन और गौ तस्करों के सहयोग से प्रति सप्ताह 10% बढ़ती जा रही है ! क्या इस “पूंजी का विकास” इन गौरक्षकों के सड़क पर उतर आने की वजह से खतरे में है ! इन्हीं पूंजीपतियों के आर्थिक और प्रभाव के सहयोग से चुनाव भी लड़े जाते हैं !

यह भी एक बहुत बड़ा प्रश्न है कि आज भारत के अंदर “प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस प्रशासन” के सहयोग और मिली भगत से ही “गौ हत्या या गौ तस्करी” हो रही है ! उस पर अंकुश लगाना इस देश के प्रधान मंत्री का कर्तव्य है ! जिस पर सब कुछ जानते हुये भी देश के प्रधानमंत्री मौन हैं !

अब प्रश्न यह है कि आजाद हिंदुस्तान के अंदर “क्या हिंदुओं की नजरों के सामने गौ हत्या और गौ तस्करी होती रहेगी” ! जिन प्रशासनिक अधिकारियों को इसे रोकने का दायित्व दिया गया है ! वह आज स्वयं इन गौ हत्यारों और गौ तस्करों के साथ ही मिलकर गौ हत्या और गौ तस्करी करते हैं ! आज तक सैकड़ों धर-पकड़ के बाद भी संलिप्त किसी भी “प्रशासनिक अधिकारी” को गौ हत्या या गौ तस्करी में संलिप्त होने के कारण जेल क्यों नहीं जाना पड़ा ! आखिर इन्हें कौन बचाता है ! क्या जेल जाने के लिए अपनी जान पर खेलकर गौरक्षा करने वाला मात्र “हिन्दू गौरक्षक” ही है ! क्या इन गौ रक्षकों से इन भ्रष्ट “प्रशासनिक अधिकारीयों” को खतरा है !

इस संदर्भ में मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं कि “ब्रह्म वैवर्त पुराण” के अनुसार “गाय” देव लोक की प्राणी है ! कोई भी व्यक्ति यदि अपनी “राजनीतिक महत्वाकांक्षा” के लिये इन “गौ हत्यारों और गौ तस्करों” को एक पक्षीय संरक्षण प्रदान करेगा, तो निश्चित ही प्रकृति अपना हस्तक्षेप प्रारंभ करेगी !

इसी तरह एक स्पष्ट उदाहरण है जब बहुत साल पहले “गोपाष्टमी के दिन” संसद पर “गौ हत्या” रोकने के लिए जब “संतों” ने प्रदर्शन किया था ! तो इसी भारत के एक अत्यंत प्रभावशाली प्रधानमंत्री ने उन सन्तों पर गोलियां चलवा दी थी ! इस गोली काण्ड में 66 साधू-सन्त मरे गये थे ! जिसका प्रकृति की व्यवस्था में परिणाम यह हुआ के कुछ वर्षों बाद “गोपाष्टमी के दिन ही” उस प्रधानमंत्री को उसके ही घर में उसके ही अंगरक्षकों द्वारा गोलियों से भून दिया गया !

“गाय” मात्र सामान्य पशु नहीं बल्कि यह “समुद्र मंथन में प्राप्त ईश्वरी उर्जा से ओतप्रोत” पृथ्वी पर विचरण करने वाली प्राणी है ! राम के साथ राजनीति करने वाले यदि गाय के साथ भी राजनीति करेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि प्रकृति इस तरह की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगी !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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