आज सत्य सनातन हिंदू धर्म में कुछ ऐसे छद्म राक्षस भी धर्म का प्रचार कर रहे हैं ! जिनके हाव-भाव, व्यक्तित्व से तो वह संत लगते हैं ! लेकिन प्रचार-प्रसार वह लोग विधर्मियों का करते हैं ! कोई सफेद दाढ़ी का बाबा राम कथा के मंच पर बैठ कर व्यास गद्दी से अल्लाह अल्लाह करता है तो कहीं दूसरी जगह कोई महिला अपने मंच पर भगवान के नाम पर उत्तेजक नृत्य करवा रहीं हैं !
एक तरफ दंडी धारी स्वामी मुसलमानों के मंच पर बैठकर कुरान को हिंदू धर्म ग्रंथों से बेहतर बतला रहा है तो दूसरी तरफ कहीं सड़कों पर जनेऊ पहनकर एक कपटी भगवाधारी चर्च के पादरी के साथ जीसस क्राइस्ट की रथयात्रा निकाल रहा है !
यह सभी वह लोग हैं जो काम तो भगवान का करते हैं लेकिन दाम शैतान से लेते हैं क्योंकि दाम शैतान से लिया है इसलिये अब काम भी भगवान के सेवा के नाम पर शैतान का ही करना पड़ेगा !
और उससे ज्यादा ताज्जुब की बात तो यह है कि वह मूर्ख हिंदू जो ऐसे धूर्त, कपटी, बेईमान, व्यभिचारी, कथावाचकों की कथा में जाकर उनकी भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ! धिक्कार है ऐसे हिंदुओं को जो ऐसे धूर्तों की कथा में इन शैतान प्रवक्ताओं का विरोध नहीं करते हैं !
आज कोई भगवा पहन कर संसद की राजनीति कर रहा है, तो कोई दूसरा उसी भगवे के ओट में हत्या, डकैती, बलात्कार में लिप्त है ! एक तरफ काला धन लाने का दावा करने वाले राजनीतिक दल के मुखिया अब सत्ता में आने के बाद काला धन की जगह भगवान के मंदिरों में रखी हुई ईश्वर की संपत्ति को ही लूट लेने के लिये नित्य नई-नई योजनायें बना रहे हैं ! खैर कोई बात नहीं राजनीतिज्ञों का काम ही ऐसा है !
किंतु धिक्कार तो है उन अंध भक्तों को जो आज हिन्दू होकर भी ईश्वर की संपत्ति लूटने वालों और ईश्वर के मंदिर तोड़ने वाले इन धूर्त अपराधी राजनीतिज्ञों के साथ खड़े हैं ! आखिरकार यह अंधभक्त इतने विवेक शून्य और भावना विहीन कैसे हो जाते हैं कि इन्हें अब ईश्वर से भी डर नहीं लगता है ! निश्चित तौर से यह अंध भक्त वर्णसंकर और संस्कार विहीन कुलों के होंगे !
क्योंकि एक धर्मनिष्ट राष्ट्रभक्त कभी भी इस तरह से सनातन धर्म के छद्म राक्षसों के साथ खड़ा नहीं हो सकता है और न ही भगवान के मंदिरों को तोड़ने वालों या भगवान की संपत्ति लूटने वालों के प्रति वह अपनी निष्ठा दिखला सकता है !
शर्म आनी चाहिये ऐसे दोगले धर्मविहीन और संस्कारविहीन हिंदुओं को ! जो आज इन धर्म अपराधियों के साथ खड़े हैं !
हिंदुओं सुनो तुम्हारे अस्तित्व की रक्षा बस सिर्फ तुम्हारा संस्कारवान विवेक ही कर सकता है ! इसलिये किसी के प्रभाव में मत आओ ! कोई भ्रष्ट कथा वाचक या राजनीतिज्ञ तुम्हें कभी भी धर्म का वह मार्ग नहीं दिखा सकता है ! जो सत्य सनातन शास्त्रों में वर्णित है !
मात्र लंबी चोटी रख लेने से, मस्तक पर ऊंचा टीका लगा लेने से या रामनामी ओढ़ कर खड़ाऊं पहन लेने से कोई व्यक्ति हिंदू नहीं हो जाता है ! हिंदू होने की सबसे पहली शर्त यह है कि जहां पर धर्म विरुद्ध वार्ता हो रही हो वहां पर मृत्यु के अंतिम क्षण तक अपना विरोध जारी रखो ! तभी ईश्वर के प्रति तुम्हारा समर्पण होगा और तुम एक सत्य सनातन हिंदू कहलाने योग्य बनोंगे !!
जागो हिंदू जागो वरना तुम नष्ट हो जाओगे !