देश की संप्रभुता पर डब्लू.एच.ओ. का कब्ज़ा : Yogesh Mishra

कहने को तो सम्प्रभुता का अर्थ है – ‘सम्पूर्ण और असीमित सत्ता’ ! सम्प्रभुता के अर्थ संबंधी इसी तरह के विवादों के कारण उन्नीसवीं सदी से ही इसे दो भागों में बाँट कर समझा जाता रहा है ! विधिक सम्प्रभुता और राजनीतिक सम्प्रभुता ! इस अवधारणा को व्यावहारिक रूप से आंतरिक सम्प्रभुता और बाह्य सम्प्रभुता के तौर पर भी ग्रहण किया जाता है !

सम्प्रभुता के आंतरिक संस्करण का मतलब है राज्य के भीतर होने वाले सत्ता के बँटवारे में यानी राजनीतिक प्रणाली के भीतर सर्वोच्च सत्ता का मुकाम ! बाह्य संस्करण का तात्पर्य है अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के तहत राज्य द्वारा एक स्वतंत्र और स्वायत्त वजूद की तरह सक्रिय रह पाने की क्षमता का प्रदर्शन !

सम्प्रभुता की अवधारणा आधुनिक राष्ट्र और राष्ट्रवाद के आधार में भी निहित है ! राष्ट्रीय स्वतंत्रता, स्व-शासन और सम्प्रभुता के विचारों के मिले-जुले प्रभाव के बिना अ-उपनिवेशीकरण के उस सिलसिले की कल्पना भी नहीं की जा सकती है ! जिसके तहत द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद एशिया, अफ़्रीका और लातीनी अमेरिका में बड़े पैमाने पर नये राष्ट्रों की रचना हुई !

भारत के संदर्भ में संप्रभुता भारतीय संविधान के स्वरुप को दर्शाता है ! इसका मतलब यह है कि भारत अपने आंतरिक और बाह् निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र है उसमें कोई भी दूसरा देश दखल नहीं दे सकता है !

अब प्रश्न यह है कि भारत की सम्प्रभुता किसमें निहित है ? इसके उत्तर के लिये भारत के संविधान की उद्देश्यिका को देखना होगा ! वहाँ लिखा है :

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को :

न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिये तथा,

उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिये,

दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं !”

अर्थात भारत की संप्रभुता भारत के नागरिकों में निहित है !

अर्थात भारत को अपने आंतरिक और बाह्य मामले में कब, क्या निर्णय लेना है ! यह भारत का आम आवाम निर्धारित करेगा ! इसके लिये भारत में आम आवाम की ओर से एक संसद स्थापित की गई है ! जिसके अंदर बैठे हुये जनप्रतिनिधि भारत के आम आवाम की इच्छा शासन को बतलाते हैं और उसके आधार पर शासन सत्ता का मुखिया अर्थात देश का प्रधानमंत्री निर्णय लेता है कि भारत को किस दिशा में ले जाना है या भारत के आंतरिक और बाह्य मामलों में क्या निर्णय लेना है !

लेकिन देखने में ऐसा नहीं आ रहा है ! आज स्थिति यह है कि भारत अपने सभी आंतरिक और बाह्य मामलों में या तो अंतरराष्ट्रीय संगठन के निर्णय से ले रहे हैं या विश्व की महाशक्तियां भारत को संचालित करने का प्रयास कर रही हैं ! चाहे वह आधार कार्ड के द्वारा प्रत्येक नागरिक की व्यक्तिगत सूचनाओं को संग्रहित करने की बात हो या फिर डिजिटल इकोनामी के नाम पर भारत की पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था ही अंतर्राष्ट्रीय पटल पर खोलकर रख दी गई हो !

सच्चाई तो यह है कि भारत के व्यापारिक निर्णय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी आज विश्व की महाशक्तियां संचालित कर रही हैं और भारत के राजनेता भी मात्र एक कठपुतली के रूप में इन अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों के निर्देश पर कार्य कर रहे हैं ! यह स्थिति अब यहां तक पहुंच गई है कि भारत के अंदर भारत के आम आवाम के स्वास्थ्य संबंधी अस्तित्व को भी विश्व स्वास्थ्य संगठन निर्देशित और मार्गदशित कर रहा है !

आज हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन यह बताता है कि हमें कब, कहां, कितने दिन के लिये लॉक डाउन बनाये रखना है ! हमारे देश के अंदर कितने व्यक्ति कोरोनावायरस से पीड़ित हैं और कितने व्यक्ति स्वस्थ हो गये हैं और कितनों की मृत्यु हो गई है ! प्रश्न यह है कि क्या भारत में मेडिकल काउंसिल या भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय जब सारी सूचना विश्व स्वास्थ्य संगठन को दे सकता है ती यह डाटा आम जनमानस को बताने में अक्षम क्यों है ! जो आज इस सूचना को प्राप्त करने के लिये हम विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आश्रित हैं !

विश्व स्वास्थ्य संगठन आज हमें यह बतला रहा है कि हमें क्या खाना चाहिये और क्या नहीं खाना चाहिये ! हमें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिये ! हम कौन सा दस्ताना कैसे पहने ! हम सैनिटाइजर का प्रयोग करें या न करें ! हम चेहरे पर मास्क लगायें या न लगाये ! या फिर हम किसी व्यक्ति से कब, कहां, कितने दिन तक नहीं मिल सकते हैं ! हम सड़कों पर घूमें या ना घूमें हम अपने परिवार के पास जायें या न जायें ! यह सारे निर्णय आज हम को स्वस्थ रखने के नाम पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ले रहा है और भारत के मुखिया एक मासूम बच्चे की तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन के उस निर्देश का पालन कर रहे हैं !

विश्व स्वास्थ्य संगठन का इस तरह का फरमान भारत की संप्रभुता पर सीधा सीधा हमला है ! क्योंकि विश्व के किसी भी सशक्त देश ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के किसी भी फरमान को मानने से इंकार कर दिया है ! इसके लिये सबसे जीता जागता उदाहरण है चीन जो कोरोनावायरस के झंझावात को चरम पर झेल रहा है लेकिन उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन के दर्जनों निर्देश के बाद भी उसने चीन में कोई लॉक डाउन नहीं किया ! विश्व की दूसरी महाशक्ति अमेरिका ने भी अपने यहां कोई लॉक डाउन नहीं किया ! रूस, इजराइल, टर्की, ब्राजील, अफ्रीका जैसे कई देशों ने अपने यहां कोई लॉक डाउन नहीं किया है !

लेकिन आयुर्वेद का धनी भारत आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर लॉक डाउन करने के बाद किसी भी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से कोरोनावायरस से निपटने हेतु कोई परामर्श विश्व स्वास्थ्य संगठन के दबाव में नहीं ले पा रहा है और न ही कोरोना वायरस के निस्तारण हेतु एलोपैथी से अन्य किसी पैथी का सहयोग लेने का साहस इकट्ठा कर पा रहा है !

जबकि भारत के अनेक विद्वान यूट्यूब व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के माध्यम से दावा कर रहे हैं कि वह कोरोना वायरस के पेशेंट को मात्र 5 दिन के अंदर ठीक कर सकते हैं ! लेकिन भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय और देश के मुखिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के दबाव में ऐसा कोई भी प्रयोग करने में अक्षम हैं !

यह सीधा सीधा भारत की संप्रभुता पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का हमला है ! जिसे भारत के नागरिकों को समझना होगा और भारत के अंदर कब, कहां, कैसा, कौन सा निर्णय लेना है ! यह भारत का आम आवाम ही निर्धारित करेगा या भारत के आम आवाम का प्रतिनिधित्व करने वाला राष्ट्र का मुखिया ! न कि विश्व स्वास्थ्य संगठन !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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