मैं श्रीमती इंदिरा गांधी को भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री क्यों मानता हूं ! : Yogesh Mishra

लेख पर पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरह के विचारों का स्वागत है ! लेकिन अपनी बात कहने के पहले मैं यह आग्रह करता हूं कि अंधभक्त और बीजेपी के हित चिंतकों में यदि पूरा लेख पढ़ने का धैर्य हो तभी वह नीचे कोई टिप्पणी करें ! अन्यथा बिना किसी तथ्य के मूर्खतापूर्ण टिप्पणी करने पर ऐसे मूर्खों को ब्लॉक कर दिया जायेगा !

मैंने कल फेसबुक पर एक स्टेटस डाला था कि “आप भारत के इतिहास में सबसे सशक्त प्रधानमंत्री किसको मानते हैं ! मैं इंदिरा गांधी को मानता हूं !” जिस पर मेरे बहुत से मित्रों ने बहुमत से भारत के सशक्त प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री जी को पसंद किया ! अत: मैं अपने इन सभी मित्रों की भावनाओं का स्वागत करता हूं ! किन्तु मैं भारत के सशक्त प्रधानमंत्री के रूप में श्रीमती इंदिरा गांधी को क्यों चयनित करता हूं ! इसके कारण नीचे अपने लेखों में दे रहा हूं !

मेरे इस चयन का सबसे पहला और महत्वपूर्ण आधार यह है कि भारत अंग्रेजों के अधीन लगभग 300 वर्ष तक रहा है ! इस दौरान कई स्वतंत्र संग्राम के छोटे-बड़े आंदोलन होते रहे और अंततः अंग्रेजों ने भारत के हर आंदोलन के बाद भविष्य में उसी तरह का दोबारा कोई नया आंदोलन खड़ा न हो, इसके लिये समय-समय पर इंग्लैंड की पार्लियामेंट में भारत के लिये नये-नये इतने कानून बना डाले कि जिन्हें याद रखना सामान्यतय: एक वकील के लिये भी संभव नहीं है !

इसी बीच ब्रिटेन ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिये प्रथम विश्वयुद्ध लड़ा ! जिसके परिणाम स्वरूप जर्मन के नायक एडोल्फ हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत कर दी और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को उस द्वितीय विश्वयुद्ध में इतनी बुरी तरह से नष्ट कर दिया कि धन के आभाव में अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा !

लेकिन सत्ता के कुछ लालची नेताओं ने भारत की तथाकथित आजादी के अवसर पर अंग्रेज सल्तनत के साथ एक गुप्त समझौता कर लिया और उस गुप्त समझौते के तहत भारत को औपनिवेशिक दर्जे की आजादी प्राप्त हुई ! जो ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन एक राज्य के रूप में थी ! जिसकी पुष्टि स्वयं भारत का संविधान करता है !

उसी संविधान के तहत एक विशेष उपबंध किया गया कि बंटवारे के बाद भी भारत में रहने वाले मुसलमान और ईसाइयों को अल्पसंख्यक स्तर का दर्जा दिया जायेगा ! जिसकी ओट में अल्पसंख्यकों के नाम पर ईसाइयों को चर्च और स्कूलों के नाम पर जो पूर्व में बड़ी-बड़ी संपत्तियां आवंटित कर दी गई थी ! उन्हें संविधान की विशेष व्यवस्था के तहत संरक्षित कर दिया गया और मुसलमानों तथा ईसाइयों की शिक्षा पद्धति तथा धर्मांतरण प्रक्रिया को भी अल्पसंख्यकों के दायरे में डालकर संविधान के तहत उनको मौलिक अधिकार बतलाकर संरक्षित कर दिया गया ! जो भारत की एकता अखंडता अस्तित्व के लिये बहुत बड़ा खतरा था !

क्योंकि भारत को आजादी औपनिवेशिक दर्जे की मिली थी ! इसलिये स्वाभाविक था कि भारत जब कॉमनवेल्थ के दायरे में इंग्लैंड के उपनिवेश के रूप में स्थान स्थापित करेगा तो वहां पर इंग्लैंड का राजधर्म ईसाइयत स्वत: ही भारत के राज्य धर्म के रूप में जाना जायेगा !

इस कलंक को धोने के लिये श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान के उद्देशिका में वर्ष 1976 में 42वें संशोधन किया और भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया और भारत को पंथनिरपेक्ष (धर्मनिरपेक्ष) राज्य घोषित किया ! जिसके पीछे बहुत बड़ा उद्देश्य था कि जब भारत पंथनिरपेक्ष राज्य घोषित हो जायेगा तो धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सुविधायें भी धीरे-धीरे राज घरानों के प्रिवी पर्स की तरह खत्म कर दी जायेंगी और भारत की संपत्ति जो अल्पसंख्यक होने के नाम पर ईसाइयों और मुसलमानों के पास है ! उन्हें भी एक एक करके भारत सरकार शासकीय संपत्ति घोषित कर देगी और उस पर अधिकार कर लेगी !

जिसका अहसास होते ही ईसाई प्रधान केरल राज्य के उच्च न्यायालय में केशवानंद भारती के द्वारा इस पंथनिरपेक्ष शब्द को भारत के संविधान की उद्देशिका में जोड़े जाने के विरुद्ध याचिका दाखिल कर दी गई ! जो याचिका कालांतर में सुप्रीम कोर्ट चली गई और आपको यह जानकर ताज्जुब होगा ! कि सुप्रीम कोर्ट में 13 जजों ने एक साथ बैठकर इस विषय पर विचार किया कि क्या भारतीय संसद भारत के संविधान की उद्देशिका में पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ सकता है या नहीं ! जिस पर न्यायाधिपति गण दो मत हो गये और बहुमत से संविधान की उद्देशिका में पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े जाने को स्वीकृति मिल गयी ! इस स्वीकृति को प्राप्त करने का भी अपना एक बहुत बड़ा इतिहास है ! इसके लिये न जाने कितनी कुर्बानियां श्रीमती इंदिरा गांधी ने दी ! लेकिन सबसे बड़ी बात जो उस निर्णय में निकल कर आयी वह यह थी कि “भारत का संविधान भारत की स्वदेशी उपज नहीं है !” यह निर्धारित हो गया !

इसके साथ ही उन्होंने भारत के राजघरानों के प्रिवी पर्स की व्यवस्था भी 1971 सरकारी धन की बर्बादी बतला कर खत्म कर दिया ! जो अंग्रेजों की चाटुकारिता के कारण उन्हें संवैधानिक व्यवस्था के तहत मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त थी ! जो आज नहीं तो कल जम्मू कश्मीर के 370 की तरह पूरे देश के लिये एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती थी ! क्योंकि राजघरानों को प्रिवी पर्स का अधिकार देने का मतलब यह था कि हम स्वतंत्र भारत में राजघराने के अस्तित्व को स्वीकार रहे हैं ! जो आज नहीं तो कल अपने अधिकारों के विस्तार के लिये पुनः भारत की एकता और अखंडता के लिये खतरा बन सकते थे !

तीसरा सबसे महत्वपूर्ण निर्णय श्रीमती इंदिरा गांधी का पाकिस्तान जो कि भारत के पूरब और पश्चिम दोनों तरफ ही था ! उसको 1971 में ही तोड़कर दो देशों में बांट दिया और पूर्व के पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में अलग स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी ! विचार कीजिये यदि मात्र पश्चिम का पाकिस्तान भारत के लिये जब इतनी आतंकवादी घटनायें लेकर आ सकता है तो यह पाकिस्तान यदि भारत के दोनों तरफ होता तो भविष्य में भारत के लिये कितना बड़ा खतरा बन सकता था ! इस खतरे को श्रीमती इंदिरा गांधी ने समय रहते भांपा और विश्व की महाशक्तियों के विरोध के बाद भी पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया ! जिसमें भारत की सम्मान जनक जीत हुई !

श्रीमती इंदिरा गांधी अल्पसंख्यकों के अधिकार के रूप में मुस्लिम वर्ग की अत्यधिक बढ़ती हुई जनसंख्या को वह लोकतंत्र में हिंदुओं के लिये खतरा मानती थी ! उनका मत था कि देश के विकास में हिंदू और मुसलमान की भागीदारी बराबर की होनी चाहिये ! लेकिन स्थिति यह थी कि हिंदुओं द्वारा संग्रहित टैक्स का बहुत बड़ा हिस्सा उन अल्पसंख्यक मुसलमानों के लिये खर्च हो जाता था जो लोकतंत्र में राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिये निरंकुश होकर योजना बध्य तरीके से अत्यधिक संतानें पैदा कर रहे थे !

ऐसी स्थिति में श्रीमती इंदिरा गांधी ने जिनके पास दो से अधिक बच्चे थे ! उनकी नसबंदी का एक विस्तृत अभियान चलाया ! जिसमें उन्हें अल्पसंख्यकों के भारी जन विरोध का सामना करना पड़ा ! जिसके चलते इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगा दिया और बड़ी संख्या में विरोधियों के गिरफ्तारी का आदेश दिया ! जिसे भारतीय लोकतंत्र में ‘काला दिन’ कहा जाता है ! यह आपातकाल करीब 19 महीने तक चला ! उन्होंने इस आपातकाल के दौरान भयंकर मानसिक तनाव बर्दाश्त किया लेकर राष्ट्र के मुद्दे पर किसी के साथ भी कोई समझौता कभी नहीं किया !

फिर 18 मई 1974 को भारतीय इतिहास का अहम दिन था ! जिस दिन विश्व की महा शक्तियों के लाख विरोध के बाद भी श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को हैरत में डाल दिया ! इस ऑपरेशन का नाम स्माइलिंग बुद्धा का नाम दिया गया था ! जिस योजना का विस्तार अटल जी की सरकार में 11 और 13 मई 1998 में हुआ !

इसी तरह 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था और पाकिस्तान की कब्र खोदी थी ! दरअसल पाकिस्तान ने 17 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई थी ! जिसकी जानकारी लगते ही श्रीमती इंदिरा गांधी के निर्देश पर भारत ने उससे पहले सियाचिन पर कब्जा कर लिया और इस ऑपरेशन का कोड नाम था ‘ऑपरेशन मेघदूत’ !

इसी वर्ष जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सैनिक भारत का बंटवारा करवाना चाहते थे ! उन लोगों की मांग थी कि पंजाबियों के लिये अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाया जाये ! भिंडरावाले के साथी गोल्डन टेंपल में छिपे हुये थे ! उन आतंकियों को मार गिराने के लिये भारतीय सेना ने श्रीमती इंदिरा गांधी के निर्देश पर ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ चलाया ! इस ऑपरेशन में भिंडरावाले और उसके साथियों को मार गिराया गया ! बाद में इसी ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के मकसद से इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के सरदार अंग रक्षकों द्वारा उन्हीं के घर पर कर दी गई थी !

अपने जीवन काल में श्रीमती गांधी ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, बर्मा, चीन, नेपाल और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देश तथा फ्रांस, जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य, जर्मनी के संघीय गणराज्य, गुयाना, हंगरी, ईरान, इराक और इटली जैसे देशों से आधिकारिक सम्बन्ध स्थापित किये !

श्रीमती गांधी ने अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया बेल्जियम, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, चेकोस्लोवाकिया, बोलीविया, मिस्र, इंडोनेशिया, जापान, जमैका, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, ओमान, पोलैंड, रोमानिया, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, सीरिया, स्वीडन, तंजानिया, थाईलैंड,त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, सोवियत संघ, उरुग्वे, वेनेजुएला, यूगोस्लाविया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे जैसे कई यूरोपीय अमेरिकी और एशियाई देशों के साथ कूटनीतिक सम्बन्ध भी स्थापित किये और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी !

उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त की ! उन्हें 1972 में भारत रत्न पुरस्कार, 1972 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार, 1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार से सम्मानित किया गया ! 1953 में श्रीमती गाँधी को अमरीका ने मदर पुरस्कार, कूटनीति में उत्कृष्ट कार्य के लिए इटली ने इसाबेला डी ‘एस्टे पुरस्कार और येल विश्वविद्यालय ने होलैंड मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया !

फ्रांस जनमत संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार वह 1967 और 1968 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी ! 1971 में अमेरिका के विशेष गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी !पशुओं के संरक्षण के लिए 1971 में अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा उन्हें सम्मानित उपाधि दी गई ! उनके मुख्य प्रकाशनों में ‘द इयर्स ऑफ़ चैलेंज’ (1966-69), ‘द इयर्स ऑफ़ एंडेवर’ (1969-72), ‘इंडिया’ (लन्दन) 1975, ‘इंडे’ (लौस्सैन) 1979 एवं लेखों एवं भाषणों के विभिन्न संग्रह शामिल हैं !

इतने सब के बाद भी श्रीमती इंदिरा गांधी ने कुछ बडी गलतियां भी की हैं ! जिन्हें भी स्वीकार जाना चाहिये ! जैसे उन्होंने पाकिस्तान को तोड़ कर बांग्लादेश तो बना दिया ! पर उसका सीमा विवाद हल नही किया !

पकिस्तान के हराने पर पाकिस्तान के 93 लाख सैनिकों को तीन महीने खिलाकर वापस कर दिया पर पाकिस्तान की जेलों में जो भारतीय सैनिक बंद थे उनको रिहा नही करवा पायी ! पी.ओ.के. विवाद भी उन्होंने नहीं सुलझाया ! जबकि लाहौर तक घुसी सेना के बदले पी.ओ.के. विवाद सुलझाया जा सकता था ! आजाद करने के एक साल के भीतर उनका बंगलादेश पर नियंत्रण ख़त्म हो गया ! जो भारी कूटनीतिक असफलता थी !

इन असफलताओं के पीछे कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियों की मजबूरियां भी कार्य कर रही थी ! फिर भी मैं यह मानता हूं कि संसाधन विहीन अवस्था श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत के हित में जो कर दिखाया ! वह आज के सक्षम राजनेता भी शायद नहीं कर पायेंगे ! इसीलिये मैं उन्हें आज तक के सबसे प्रभावशाली प्रधानमंत्री के रूप में मानता हूँ !

और इस सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने अपने विरोधी राजनीतिक दल जनसंघ के प्रथम नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति के क्षेत्र में सदैव संरक्षण, स्नेह, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान किया ! जो उनके बड़े व्यक्तित्व के होने का परिचायक है !

हत्या के पूर्व श्रीमती इंदिरा गांधी के राष्ट्र को समर्पित अंतिम शब्द थे ! मेरे खून की एक-एक बूंद देश के विकास में योगदान देगी और देश को मजबूत एवं गतिशील बनायेगी ! – इंदिरा गांधी

इसीलिये मैं श्रीमती इंदिरा गांधी को एक महिला होते हुये भी भारत के सबसे सशक्त प्रधानमंत्री के रूप में मांनता हूं ! क्योंकि इस तरह के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के राष्ट्र हित में महत्वपूर्ण निर्णय अभी तक अन्य किसी प्रधानमंत्री ने नहीं लिया !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …