साधक तंत्र शक्ति का प्रयोग सभी के हित में क्यों नहीं करते हैं : Yogesh Mishra

आजकल कोविड-19 के प्रभाव से समाज में बहुत बड़े पैमाने में लोगों की आकस्मिक मृत्यु हो रही है ! जिसको लेकर प्राय: लोग यह प्रश्न करते हैं कि यदि मंत्र तंत्र में शक्ति है तो भारत के ऋषि, मुनि, ज्ञानी, तंत्र विशेषज्ञ समाज की रक्षा के लिये इसको नियंत्रित क्यों नहीं करते हैं या फिर मंत्र तंत्र की शक्ति व्यर्थ की बात है !
जिसका उत्तर मैं अपने इस लेख में दे रहा हूं ! पहली चीज मंत्र तंत्र की शक्ति पूर्णतया शाश्वत विज्ञान है ! इसमें कोई संदेह नहीं है ! दूसरा इसके प्रभाव से व्यक्ति को पूर्ण मृत्यु से भी उभारा जा सकता है आकस्मिक मृत्यु से उबारना तो सामान्य बात है !

किंतु मंत्र और तंत्र की शक्ति को जानने वाले विद्वान के समक्ष जब किसी आकस्मिक मृत्यु वाले व्यक्ति का वर्णन आता है, तो वह सर्वप्रथम साधक उस व्यक्ति के “प्रारब्ध कर्म” को देखता है ! यदि वह व्यक्ति प्रकृति और समाज के सिद्धांतों के विपरीत है तो साधक उस व्यक्ति की मदद नहीं करता है !

क्योंकि ऐसे व्यक्ति की मदद करने पर उसके प्रारब्ध की नकारात्मक ऊर्जा का एक अंश उस साधक को भी भोगना पड़ता है तथा भविष्य में भी वह व्यक्ति जो जो नकारात्मक कार्य करता है ! उसका अंश भी उस साधक को भोगना पड़ता है ! इसीलिये प्राय: साधक किसी नकारात्मक व्यक्ति के झमेले में अपनी साधना की ऊर्जा को नहीं लगते हैं !
लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने प्रारब्ध संस्कारों के अनुरूप समाज या धर्म के लिए अनुकूल है और वह अपने पूर्व के किसी अनुचित कर्म का फल भोग रहा होता है, तो उस स्थिति में साधक उस व्यक्ति के उस अनुचित कर्म के फल के भोग को स्वयं अपने ऊपर ले कर उसे जला देता है और उस व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर देता है ! ऐसे सैकड़ों उदाहरण मैंने अपने जीवन में किये और देखे हैं ! इसलिए मंत्र तंत्र की शक्ति पर संदेह नहीं करना चाहिए !

यदि कोई साधक किसी व्यक्ति में रुचि नहीं ले रहा है तो इसका मतलब यह मानना चाहिए कि वह साधक तंत्र मंत्र की शक्ति का प्रयोग इसलिए नहीं करना चाहता है कि जो व्यक्ति अपने प्रारब्ध कर्म को भोग रहा है वह स्वस्थ होने के बाद निश्चित रूप से व्यक्ति या समाज के लिये घातक होगा या ईश्वरीय व्यवस्था में अवरोधक होगा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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