भगवान श्री कृष्ण और बुद्ध दोनों ही कहते हैं कि आज आप जो भी हैं, वह आपके पिछले विचारों का परिणाम हैं ! विचार ही काल के प्रवाह में भाग्य बन जाते हैं ! इसका सीधा-सा मतलब यह है कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही भविष्य का निर्माण करते हैं !
अब आप अपनी सोच पर ध्यान देकर जान सकते हैं कि आप किस ओर जा रहे हैं ! यदि आपकी सोच में नकारात्मकता ज्यादा है तो भविष्य भी कष्टमय ही होगा और यदि आप सकारात्मक हैं तो आपके निश्चित तौर से बहुत से सहयोगी होंगे और आप अपने जीवन में सफल होंगे ! आकर्षण का नियम यही कहता है कि आप जिस चीज़ पर फोकस करते हैं वह ऊर्जा सक्रिय हो जाती है !
वैज्ञानिक कहते हैं कि मानव मस्तिष्क में 24 घंटे में लगभग 60 हजार विचार आते हैं ! उनमें से ज्यादातर नकारात्मक होते हैं ! नकारात्मक विचारों का पलड़ा भारी है तो फिर भविष्य भी कष्टदाई ही होगा और यदि मिश्रित विचार हैं तो भविष्य सुख दुःख का मिश्रण होगा और यदि आप सकारात्मक हैं तो आपके निश्चित तौर से आपके जीवन में सफलता होंगी !
अधिकतर लोग नकारात्मक फिल्में, सीरियल और गाने देखते रहते हैं इससे उनका मन और मस्तिष्क वैसा ही निर्मित हो जाता है ! वह गंदे या जासूसी उपन्यास पढ़कर भी वैसा ही सोचने लगते हैं ! आजकल तो इंटरनेट हैं, जहां हर तरह की नकारात्मक चीजें ढूंढी जा सकती हैं ! न्यूज चैनल दिनभर नकारात्मक खबरें ही दिखाते रहते हैं जिन्हें देखकर सामूहिक रूप से समाज का मन और मस्तिष्क खराब होता जा रहता है !
इसीलिए समाज को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिये धर्म के आश्रय की जरूरत पड़ती है क्योंकि धर्म में एक सकारात्मक ऊर्जा होती है ! जो व्यक्ति और समाज दोनों को दोनों का विकास करती है ! जो व्यक्ति धर्म के सिद्धांतों का अनुकरण नहीं करता निश्चित रूप से वह पतन की ओर जा रहा है !
इसी तरह जो समाज या राष्ट्र धर्म का अनुकरण नहीं करता है ! वह समाज या राष्ट्र भी निश्चित तौर से एक दिन नष्ट हो जाता है ! इसीलिए हमारे ऋषियों, मुनियों और विचारकों ने धर्म की स्थापना पर बहुत बल दिया है !
धर्म ही हमारे प्रगति का आधार है और यह हमारी रक्षा करता है ! इसीलिए शास्त्र में कहा गया है कि “धर्मो रक्षति रक्षितः” अर्थात जब हम धर्म की रक्षा करते हैं उसका अनुकरण करते हैं तो धर्म हमारी रक्षा करता है ! इसलिये व्यक्ति को धर्मशील अवश्य होना चाहिये !
यही आत्मरक्षा का एकमात्र मार्ग है ! क्योंकि जब व्यक्ति धर्म का अनुकरण करता है तो उसके संस्कार शुद्ध होते हैं ! और एक संस्कारवान व्यक्ति ही समाज, परिवार और राष्ट्र को सकारात्मकता दे सकता है ! अन्य कोई भी मार्ग व्यक्ति या राष्ट्र के निर्माण के लिये नहीं है ! इसलिये हम सभी को धर्म का अनुकरण करना चाहिये !