आखिर पूरी दुनियां में इंटरनेट फ्री क्यों है ! : Yogesh Mishra

कलयुग में राहु की नाजायज औलाद इन्टरनेट नेटवर्क के महाजाल को हिंदी भाषा में “अंतरजाल” कहा जाता है ! इसका कोई माई बाप नहीं है ! इसे कलयुग के तकनीकि बौद्धिक राक्षसों ने पैदा करके लावारिस छोड़ दिया और आज यह संपूर्ण विश्व अर्थात विश्व के पूरे 198 देशों में अपना कब्जा किये बैठा है !

विश्व के किसी भी देश में कोई भी धर्म हो, कोई भी संस्कृति हो, कोई भी जाति हो या वहां पर किसी भी तरह का वातावरण या जलवायु हो, हर देश इस कलयुगी राक्षस का स्वागत करने के लिये तैयार बैठे है !

निस्संदेह यह सूचना के आदान-प्रदान के लिये बहुत ही सशक्त और शीघ्र सूचना संप्रेषण करने का माध्यम है लेकिन इसके नकारात्मक परिणामों में जो सबसे बड़ा परिणाम है वह यह है कि अब आपकी कोई भी व्यक्तिगत सूचना व्यक्तिगत नहीं रह गई है ! व्यक्ति संवेदना शून्य होकर अपनी निजी उधेड़बुन में ही व्यस्त रहता है !

व्यक्ति अपने दोस्त, यार, परिवार, पत्नी, बच्चे आदि किसी को भी इस महामायावी के कारण समय नहीं दे पा रहा है और उससे बड़ी बात यह है कि यह महाराक्षस किसी भी समय विश्राम नहीं करता है और न ही आपको करने देता है ! यह आज के मनुष्य के दिल दिमाग में इतना हावी है कि व्यक्ति को अपने ही विषय में सोचने समझने का समय नहीं है !

किन्तु इस महामायावी राक्षस की शक्तियों का उपयोग आने वाली विश्व सत्ता बहुत खूबी से कर रही है ! इंटरनेट के माध्यम से अब विश्व सत्ता के नुमाइंदे विश्व में कहीं भी बैठकर विश्व के प्रत्येक नागरिक के विषय में सारी जानकारी इकट्ठा कर सकेंगे ! व्यक्ति के द्वारा किये गये अच्छे और बुरे दोनों ही तरह के कार्यों का विश्लेषण कर सकेंगे और अच्छे कार्यों के लिये उसे इंटरनेट से ही पुरस्कृत कर देंगे और बुरे कार्यों के लिये उसे इंटरनेट से ही दंडित भी कर देंगे !

हम से लाखों किलोमीटर दूर अज्ञात स्थानों पर बैठे हमारे शासक चाहे भले ही एक बार निर्णय लेने में कोई गलती कर दें लेकिन यह इंटरनेट रूपी राक्षस का नवोदित पुत्र कृतिम बौद्धिकता (आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस) कभी कोई गलती नहीं करेगा और अगर कभी इतनी गलती कर दी तो वह दिन इस पृथ्वी पर मनुष्य का आखरी दिन होगा !

इसलिये इस खतरनाक, निरंकुश, संस्कारविहीन, लज्जाविहीन, राक्षस से जितनी दूरी बनाकर रखा जाये उतना ही अच्छा है और अगर मजबूरी में इसके संपर्क में आना ही पड़े तो अपने काम से काम मतलब से मतलब रखिये जैसे व्यक्ति अपने शौचालय से रखता है !

वरना यह घातक राक्षस आपको खत्म कर के ही दम लेगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा ! क्योंकि इसका जन्म ही 1960 की दशक में विनाश के लिये हुआ था ! उस समय सेना को सूचना पहुचना एक बहुत कठिन काम हुआ करता था ! अत: विश्व विजय की इच्छा रखने वाले अमेरिका के वैज्ञानिकों ने युद्ध के दौरान तत्काल हमला आदि की सूचना देने के लिये इस माध्यम की खोज की थी !

और पूरी दुनिया में अमेरिका द्वारा इस इंटरनेट का जाल बिछा दिया गया और ट्रायल भी शुरू हो गया था ! लेकिन बाद में समझ में आया कि सूचना संप्रेषण का यह आधार बिल्कुल भी गुप्त और सुरक्षित नहीं है ! अत: इसको पूरी विश्व की जासूसी करने के लिये प्रयोग करने का निर्णय लिया गया और इस तकनीक को युद्ध व्यवस्था से तुरंत हटाकर औद्योगिक जगत को दे दिया गया और इसे औद्योगिक जगत के माध्यम से व्यापार करने के बहाने विश्व के कोने-कोने में पहुंचा दिया गया ! जहां पर आज यह व्यापार कम पर किसी भी देश की जासूसी अधिक करता है !

और कहने को यह उद्योग धंधों से संबंधित सूचनाओं का पूरे विश्व में आदान प्रदान करता है ! लेकिन सत्य कुछ और ही है और अब धीरे-धीरे इस तकनीक में बहुत तेजी से विकास किया जा रहा है ! आज सब कुछ पूरी दुनिया में इसी इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है ! आप और आपके देश की जासूसी भी ! जिसे सत्ता में बैठे हुये सभी राजनेता भी जानते हैं !

विचार कीजिये कि सूचना संप्रेषण का सबसे सक्रिय आधार इंटरनेट जो आज पूरी दुनिया के लिये फ्री है ! उसके मेंटेनेंस का खर्च बड़ी-बड़ी औद्योगिक कंपनियां आपसी सहयोग से क्यों करती हैं ! जवाब है जिस वजह से वह औद्योगिक कंपनियों अरबों खरबों का व्यवसाय कर सकें ! जिस पर विश्वास करके आज हमने अपने परंपरागत पुरानी सूचनाओं के संसाधनों को त्याग दिया है ! अगर आज अचानक यह इंटरनेट बंद हो जाये ! जो कभी भी किया जा सकता है ! तो हमारे पास सूचनाओं के आदान-प्रदान का क्या माध्यम रह जायेगा ! फिर इन उद्योग धन्धों का क्या होगा ! और क्या ऐसा युद्ध काल में हमें हराने के लिये नहीं किया जा सकता है !

तब क्या हम फिर से उस आदिमकाल में नहीं चले जायेंगे ! जहां पर कबूतर और तोते के द्वारा सूचनायें भेजी जाती थी ! इसके साथ ही यह भी विचार करने योग्य विषय है कि इंटरनेट पूरी दुनिया में होने के बाद भी चीन ने अपने परंपरागत सूचनओं के साधनों को आज भी जीवित क्यों बनाये रखा है ! शायद वह जानता है कि इंटरनेट के भरोसे सूचनाओं के आदान-प्रदान का भविष्य सुरक्षित नहीं है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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