राम को पिनाक धनुष तोड़ना क्यों जरुरी था : Yogesh Mishra

वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का कोई वर्णन नहीं है ! महर्षि वाल्मीकि के अनुसार रावण की नानी केतुमती जिसे तुलसीदास ने ताड़का कहा, उसकी अकारण विश्वामित्र के उकसाने पर राम द्वारा हत्या कर दी गयी थी !

उस समय विश्वामित्र को यह पता था कि रावण इसका बदला जरुर लेगा ! जिसके लिये महाराजा जनक जी के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवरात को जो पिनाक धनुष शिवजी ने धरोहर के रूप में दिया था ! जो अभी तक जनक के पास सुरक्षित है उसे तत्काल नष्ट करना आवश्यक है !

क्योंकि उत्तर भारत में यह एक मात्र ऐसा शस्त्र था ! जिसके प्रयोग की विधि इस पृथ्वी पर दो ही लोग जानते थे ! एक रावण और दूसरा परशुराम जी और यदि इन दोनों में से किसी एक के भी हाथ में यह शस्त्र आ जाता, तो अकेला यह शस्त्र समस्त वैष्णव शासकों को युद्ध में नष्ट करने के लिये पर्याप्त था ! इसलिए इसे यथाशीघ्र नष्ट किया जाना परम आवश्यक था !

जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार राजा निमि भी इक्ष्वाकु वंश के सूर्यवंशी क्षत्री थे ! जिन्हें भगवान शिव का अनन्य भक्त होने के कारण वैष्णव परम्परा से अलग कर दिया गया था !

अत: विश्वामित्र राम को लेकर राजा जनक के पास मिथिला आये और राम ने भगवान शिव के धनुष पिनाक को देखने की इच्छा व्यक्त की ! राजा जनक ने अपने सहज भाव में अपने ही कुल के वंशज पुत्र राम और लक्ष्मण को भगवान शिव का पिनाक धनुष दिखला दिया ! जिसे विश्वामित्र द्वारा उकसाये जाने पर अवसर पाकर राम और लक्ष्मण ने नष्ट कर दिया !

जो ऊपर से देखने में तो वैसा ही धनुष दिख रहा था, किंतु अब उसके यांत्रिक असंतुलन के कारण वह प्रयोग करने योग्य नहीं बचा था ! जिसकी जानकारी राम विवाह तक राजा जनक को नहीं हो पायी थी !

किंतु इस घटना से एक खतरा और पैदा हो गया था कि इस धनुष के टूटने की सूचना मिलते ही क्षत्रियों को संयमित करने वाले भगवान शिव के अनन्य भक्त परशुराम भी अब राम और लक्ष्मण से नाराज थे !

जिसे संतुलित करने के लिए राम और लक्ष्मण का शिव भक्त कुल में संबंध स्थापित करना परम आवश्यक था ! जिससे कि राम और लक्ष्मण शिव भक्त कुल के दमाद घोषित किये जा सकें और उनके जीवन की रक्षा हो सके !

अब यही एक मात्र रास्ता था कि रावण और परशुराम के क्रोध से राम और लक्ष्मण को बचाने इनका विवाह राजा जनक की पुत्री से करावा दिया जाये !

अतः अवसर को देखते हुए विश्वामित्र ने राजा जनक को राम लक्ष्मण सहित चारों भाई के साथ अपनी 4 पुत्रियों के विवाह के लिए तैयार कर लिया !

और दूसरी तरफ राजा दशरथ को भी तत्काल प्रभाव से अपने चारों बेटों का विवाह राजा जनक की पुत्रियों से करने के लिए तैयार कर लिया गया ! जिसमें वशिष्ठ की बड़ी भूमिका थी और परशुराम के मिथिला पहुंचने के पहले ही उनका विवाह संपन्न करवा दिया गया !

इस तरह भगवान शिव के पवित्र धनुष पिनाक को तोड़ने से उत्पन्न परशुराम और रावण के क्रोध से राम सहित चारों भाइयों की जीवन रक्षा की जा सकी !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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