पूरी दुनियां में एक साथ भूखमरी फैलाने का विश्व सत्ता का षड्यंत्र : Yogesh Mishra

कोरोना महामारी के इस दौर में सबसे बुरी स्थिती रोज कमाकर खाने वाले मजदूरों की है ! जिनकी अब इस दुनियां में विश्व सत्ता को कोई आवश्यकता नहीं है ! इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आइ.एल.ओ.) का दावा है कि मौजूदा दौर में दुनिया में हर पांच में से चार यानी 80 फीसदी मजदूर बेरोजगारी व भूख से प्रभावित हैं !

दुनिया में ऐसे परिवारों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है ! जो भुखमरी की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं ! लॉकडाउन के चलते तंग हाल मजदूरों की संख्या में प्रतिदिन लाखों का इजाफा हो रहा है ! आई.एल.ओ. का दावा है कि वर्तमान में दुनिया में ऐसे मजदूरों की संख्या 330 करोड़ तक पहुँच गयी है ! जो दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं !

वहीं 106 करोड़ कामगारों के परिवारों के सिर पर भी इस बात का खतरा मंडरा रहा है कि रोजी-रोटी का उनका जरिया कभी भी पूरी तरह से तबाह हो जायेगा !

विश्व में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसे कोरोना का डंक रोजगार पर पड़ता महसूस हो रहा है ! ब्रिटिश रिसर्च कंपनी क्रार्सबी टेक्स्टर ग्रुप के सर्वे के दौरान ब्रिटेन में 31 फीसदी, आस्ट्रेलिया में 33, अमेरिका में 41, भारत में 56 और हांगकांग में 71 फीसदी लोगों को नौकरी जाने का डर सता रहा है ! सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक खतरा आईटी, निर्माण और मीडिया कंपनियों पर मंडरा रहा है !

रेटिंग एजेंसी ‘क्रिसिल’ के मुताबिक विमानन क्षेत्र के हालात सामान्य होने में दो साल लग सकते हैं ! प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से इस क्षेत्र में करीब 75 लाख नौकरियां खतरे में आ गई हैं ! इससे जुड़े होटल, ट्रैवल, टैक्सी और अन्य रोजगारों पर संकट के बादल छाये हुये हैं !

मौजूदा संकट ने अमेरिका को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है ! अकेले अप्रैल माह में ही 2.05 करोड़ अमेरिकियों को नौकरी गंवानी पड़ी ! वहां बेरोजगारी दर बढ़ कर 14.7 फीसदी हो गई है ! अमेरिकी श्रम विभाग के अनुसार अकेले अप्रैल के बेरोजगारी के आंकड़ों ने अक्तूबर-2009 में आई वैश्विक मंदी को भी पीछे छोड़ दिया है ! वर्ष 1929 की महाबंदी के दौरान भी कुछ ऐसे ही हालात थे ! 1933 में अमेरिका में बेरोजगारी दर 25 फीसदी थी ! हालांकि इस साल फरवरी में अमेरिका में बेरोजगारी दर 50 साल के न्यूनतम स्तर 3.5 फीसदी पर आ गई थी !

अर्जेंटीना में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं ! कुल 4 करोड़ 40 लाख की आबादी में एक तिहाई लोग गुरबत में जी रहे हैं ! महामारी के पहले से 80 लाख लोग भोजन की गुहार लगा रहे थे ! इनमें 30 लाख नए लोग और आ जुटे हैं ! मिस्र में भी हालात खराब हो चुके हैं ! आईएलओ का दावा है कि राजधानी काहिरा में ही दो करोड़ लोगों का रोजगार बंद हो चुका है !

दिनोंदिन भयावह हो रही स्थिति के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र ने कमजोर देशों में जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए सरकारों, कंपनियों और अरबपतियों से 6.7 अरब डॉलर दान करने की अपील की है ! विशेषज्ञों का कहना है कि मदद न होने का अर्थ भुखमरी की वैश्विक महामारी को बढ़ावा देना होगी जिसके चलते दुनिया को अकाल, दंगे, संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है !

एक आकलन के अनुसार हालात यदि यही रहे तो इस साल के अंत तक 26.6 करोड़ लोग भुखमरी के कगार तक पहुंच जाएंगे ! जिसे रोकने के दो ही तरीके हैं ! पहला, आर्थिक मदद उपलब्ध करवाना और दूसरा, आपूर्ति शृंखला को सुचारु रूप से जारी रखना है !

दुनिया के निचले स्तर पर ही नहीं उच्च स्तर पर भी बेरोजगारी की मार पड़ेगी ! अमेरिका जैसे देशों में बेरोजगारी की दर साल 1940 के स्तर पर पहुंच गई है ! बीते छह सप्ताह के दौरान तीन लाख लोग बेरोजगार हुये हैं ! सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) के अनुसार कोरोना संकट के चलते विभिन्न देशों में मई के पहले सप्ताह के दौरान बेरोजगारी की दर बढ़कर 27.11 फीसदी हो गई थी ! जो मार्च मध्य तक 7 प्रतिशत से कम थी ! शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 29.22 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 26.69 फीसदी आंकी गई !

सी.एमआई.ई. द्वारा लगातार जारी किये जा रहे हैं ! आंकड़े बतलाते हैं कि कोरोना की शुरुआत के बाद से बेरोजगारी दर में निरंतर इजाफा हो रहा है ! 29 मार्च को देश में यह दर 23.81 फीसदी थी ! अप्रैल के अंत में दक्षिण भारत के पुड्डुचेरी में यह दर सर्वाधिक 75.8 फीसदी थी ! इसके बाद तमिलनाडु में 49.8, झारखंड में 47.1, बिहार में 46.6, हरियाणा में 43.2, कर्नाटक में 29.8, उत्तर प्रदेश में 21.5 और महाराष्ट्र में 20.9 फीसदी थी !

भारत के बहुसंख्यक लोगों की लाचारी एक वीभत्स संरचनात्मक षडयंत्र है ! जिस दिन इस सनातनी षडयंत्र को समझकर ये मेहनतकश उत्पादक लोग खुशहाल, स्वनिर्मित एवं स्वनिर्भर होने लगेंगे वो अपनी मानवीय गरिमा, सम्मान तथा स्वाभिमान का महत्व समझने लगेंगे ! इससे बहुत हद तक ऊंच-नीच की भावनाओं का अन्त हो सकता है जिस कारण कुछ लोगों का वर्षों से चला आ रहा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक और सबसे बढ़कर मनोवैज्ञानिक वर्चस्व ध्वस्त हो सकता है !

भारत में मुट्ठीभर लोगों का वर्ग गरीबी, भुखमरी अशिक्षा, बीमारी तथा बेरोजगारी जैसी अन्यायी अत्याचारी एवं अपराधिक गुलामी को अपनी सत्ता एवं सुरक्षा के स्वार्थवश किसी भी कीमत पर बनाये रखने पर आमादा है ! दूसरों के श्रम पर पलने वाला यह वर्ग जो कि आज तक सिर्फ अपनी बात की रोटी खाता आया है ! अपनी धूर्तता से हर गलत कार्य का औचित्य सिद्ध करने का प्रयास करता है ! जिसे इस देश का बहुजन समाज जो सदियों से श्रमण संस्कृति का पालन करते हुये अपने श्रम पर जीता आया है ! वह आज तक इन षडयंत्रकारियों की चाल समझ नहीं पाया है !

यह षडयंत्रकारियों का षडयंत्र मात्र राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रीय है जो विश्व सत्ता के इशारे पर पूरे विश्व की वर्तमान 700 करोड़ की आबादी मात्र 50 करोड़ के अन्दर समेटने में लगा है ! जिसके लिये पहले तो शिक्षा को माध्यम बनाया गया है ! जिसमें छोटे परिवार की अच्छायियाँ बतलायी जाती हैं ! जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से छोटे परिवार के लिये तैयार हो सके !

फिर कृतिम गर्भ निरोध के उपाय, गर्भपात, विलम्ब विवाह, समलैंगिकता को बढ़ावा, आदि आदि दर्जनों तरीके हैं जिनसे बढ़ती आबादी को रोकने पर विचार और कार्यवाही की जा रही है ! फिर विषाणु जैविक हमला और आर्थिक हमले किये जाते हैं ! इसके बाद साक्षात युद्ध प्रायोजित किया जाता है ! इन सब प्रक्रिया में कृतिम भुखमरी भी एक महत्वपूर्ण हथियार है ! जिसके लिये बहुत सी छद्म योजनायें तैयार हैं ! जो बहुत जल्द ही आपके सामने आयेंगी ! 1943 में कृतिम अकाल बंगाल में फैलाया गया था ! जिसमें लाखों लोग मरे थे !

इसमें पूरी दुनियां में खाद्यानों पर नये-नये कर लगेंगे ! अनाज जानबूझ कर सडा दिया जायेगा ! समुद्र में डुबा दिया जायेगा ! बैंक फेल होंगे ! लोगों की पूंजी गलत नीतियों से डुबा दी जायेगी ! शेयर बाजार डूबेगा ! संपत्ति के खरीददार नहीं होंगे ! रोजगार ख़त्म होंगे ! आदि आदि

हमारा संघर्ष इस आर्थिक परनिर्भरता, राजनीतिक परतंत्रता और सामाजिक गुलामी को नेस्तनाबूद करके एक स्वतंत्र, स्वनिर्मित, स्वनिर्भर, शक्तिशाली एवं नैतिक यानि कि प्रबुद्ध व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र बनने एवं बनाने का है ! किसी की दया का पात्र बनने का नहीं ! हमारा यही भाव हमें विश्व के इस संकट से बचा पायेगा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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