गलत रत्न आपकी जान भी ले सकते हैं | सोच समझकर धारण कीजिये : Yogesh mishra

रत्न एक घातक औषधि की तरह है | यदि इसका प्रयोग सही पद्धति से सही समय पर न किया जाये, तो यह जानलेवा भी सिद्ध हो सकते हैं | क्योंकि रत्नों के अंदर की ऊर्जा यदि आपके शरीर के अंदर की ऊर्जा के साथ सही तरह से तालमेल नहीं बिठा पाती है | तो रत्नों की ऊर्जा आपके शरीर की जीवनी ऊर्जा को नष्ट करने लगती है | जिसके आपको स्थाई रूप से बहुत से घातक परिणाम भोगने पड़ते हैं | शायद इसी वजह से हमारे ऋषियों-मुनियों ने ग्रहों के ज्योतिषीय उपचार के लिए कभी भी रत्नों के प्रयोग की आज्ञा नहीं दी थी |

 

ज्योतिषीय उपचारों में रत्नों के प्रयोग की पद्धति “वराहमिहिर” के ज्योतिष काल में यूनान से भारत आई थी | इसके पूर्व रत्नों को एक धन के रूप में मात्र तिजोरियों में संग्रहित किया जाता था | न की ग्रहों के ज्योतिषीय उपचार के लिए इनका प्रयोग किया जाता था |

 

कालांतर में जब रत्न महंगी कीमतों पर बाजार में बिकने लगे | तब रत्नों के व्यवसाई और लोभी ज्योतिषियों ने मिलकर रत्नों के धंधे को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया | परिणामत: ग्रहों की शांति के लिए प्रयोग किए जाने वाली  वनस्पति, मंत्र, जप, और अनुष्ठान आदि द्वितीय श्रेणी के उपचारों में गिने जाने लगे और ग्रह शांति के लिए रत्नों का प्रयोग प्रथम श्रेणी के उपचार में गिना जाने लगा | लेकिन यह उपचार पद्धति अत्यंत घातक है |

 

इस पृथ्वी पर जिस तरह दो व्यक्तियों के अंगूठे के निशान एक जैसे नहीं हो सकते | दो व्यक्तियों के आंख की रेटिना का डिजाइन एक जैसे नहीं हो सकते हैं | ठीक उसी तरह कभी भी दो व्यक्तियों के शरीर की रासायनिक उर्जा एक जैसी नहीं हो सकती है | इसलिए ग्रहों के माध्यम से शरीर के रसायन की बारीक गणना किये बगैर किसी भी व्यक्ति को रत्न धारण करने की सलाह देना उसे विष देने के समान है |

 

रत्न को धारण करने के लिए शरीर रसायन के अनुरूप एक निश्चित वर्ण का रत्न होना चाहिए | एक निश्चित वजन का रत्न होना चाहिए तथा निश्चित समय में उस रत्न की प्राण प्रतिष्ठा करवाई जानी चाहिए तथा एक निश्चित समय पर कुंडली की ग्रह स्थिति एवं गोचर की ग्रह स्थिति का विश्लेषण करने के उपरांत ही किसी व्यक्ति को रत्न धारण करने की सलाह देनी चाहिए | अन्यथा वह रत्न उस व्यक्ति के सर्वनाश का कारण भी बन सकता है |

 

इसके अलावा प्रत्येक रत्न धारण करने वाले व्यक्ति को रत्न धारण करने के उपरांत अपने खान-पान, पहनावे, पूजा पद्धति एवं जीवन शैली में बहुत से महत्वपूर्ण परिवर्तन करने पड़ते हैं | जिससे उस व्यक्ति के अंदर की जीवनी ऊर्जा रत्न की ऊर्जा के साथ तालमेल बिठा सके | जैसे कि किसी व्यक्ति को जब कोई गंभीर रोग हो जाता है तब उसके ठीक हो जाने के बाद भी उसे एक लंबे समय तक डॉक्टर के परामर्श के अनुसार अपने भोजन और जीवनशैली में परिवर्तन करना पड़ता है |

 

प्रायः देखा जाता है कि लोक मान्यता के अनुसार प्रचलित रत्नों को ज्योतिषी परामर्श में अपने यजमान को धारण करने की सलाह देते हैं | लेकिन यह सदैव जान लीजिए की लोक मान्यता के अनुसार प्रचलित रत्नों को धारण करने का जो परामर्श आप को दिया जा रहा है | वह जब तक आपके शरीर रसायन और जीवनी ऊर्जा के अनुकूल नहीं है तब तक वह रत्न आपके लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है | इसलिए बिना सोचे समझे या बिना किसी योग्य ज्योतिषी के परामर्श के व्यक्ति को कभी भी रत्न नहीं धारण करना चाहिए | क्योंकि रत्न एक अत्यंत घातक औषधि की तरह हैं |

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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