जीवन के संघर्ष को समाप्त करने के लिये ज्योतिष में अनेक विधायें हैं | जिनके द्वारा व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है | उसी में एक विधा है सही नाम का चयन | अर्थात प्रत्येक अक्षर की अपनी एक निजी ऊर्जा होती है | ठीक इसी तरह प्रत्येक शब्द की भी अपनी एक निजी ऊर्जा होती है | व्यक्ति का नाम किसी विशेष अक्षर या अक्षरों के समूह से बने हुए शब्द से होता है | नामों के अंदर जिन शब्दों का समूह प्रयोग किया जाता है उनमें से प्रत्येक अक्षर की अपनी एक अलग-अलग विशेष ऊर्जा होती है | जिस ऊर्जा को गणितीय भाषा में समझने के लिए हमारे विद्वानों ने अक्षरों का सम्बन्ध गणित के अंको के साथ जोड़ा है |
परिणामत: कोई नाम किसी व्यक्ति को लाभ पहुंचा रहा है या जीवन में अवरोध पैदा कर रहा है | इस बात की सूचना उसके नाम में प्रयोग होने वाले अक्षरों के प्रत्येक गणितीय अंक से प्राप्त की जा सकती है और उस गणितीय अंक से प्राप्त होने वाली संख्या जिस ग्रह का प्रतिनिधित्व कर रही है उस ग्रह का स्वामी व्यक्ति की कुंडली में किस स्थान पर बैठा है या जिस नक्षत्र में व्यक्ति का जन्म हुआ है उससे नाम के अंकों के स्वामी का तालमेल कैसा है | इस बात के द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि व्यक्ति का नाम उसके कुंडली के ग्रह के अनुरूप है या नहीं |
प्राचीन काल में लोग संतान के नाम के चयन के लिये किसी योग्य ब्राम्हण से परामर्श करते थे | ब्राह्मण अपनी ज्योतिष और गणित विद्या के आधार पर उस बच्चे का नामकरण करता था | जिसे धर्म में “नामकरण संस्कार” कहा जाता है किंतु कालांतर में बच्चे का नाम अब माता-पिता अपनी स्वेच्छा से रखने लगे हैं | इससे प्रायः नामों का चयन कुछ इस तरह हो जाता है कि उस नाम के अक्षर के अंदर छुपी हुई ऊर्जा का तालमेल कुंडली के अनुकूल ग्रह या अनुकूल नक्षत्रों से यदि नहीं बन पाता है तो उस व्यक्ति को जीवन भर संघर्ष का सामना करना पड़ता है | यदि कोई व्यक्ति इस तरह की परेशानी से जूझ रहा है तो उसके लिए यह परामर्श है कि वह किसी भी योग्य ज्योतिषी से इस विषय में परामर्श अवश्य ले |