व्यक्ति कर्म से पूजनीय है जन्म से नहीं: वर्ण व्यवस्था हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से चले आ रहे सामाजिक गठन का अंग है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोगों के आध्यात्मिक विवेक के आधार पर काम निर्धारित होता था। प्रायः इन लोगों की संतानों के कार्य भी इन्हीं पर निर्भर करते …
Read More »