आदि में जब एकमात्र परमात्मा ही थे, तब तो केवल प्रभाव ही प्रभाव था। उसके बाद परमात्मा ने अपने में से ही ‘आत्म’ शब्द को ज्योति रूपा शक्ति तथा उसको प्रभाव से युक्त करते हुये प्रकट करते हुए पृथक कर दिया। जिससे ज्योति रूपा शक्ति ने पृथक होकर अपने सूक्ष्म …
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