हर व्यक्ति के अंदर एक आकर्षण ऊर्जा होती है ! यह ऊर्जा जन्म जन्मांतर के साधना के परिणाम स्वरुप विकसित होती है ! जिस व्यक्ति के अंदर जितनी आकर्षण ऊर्जा होती है, वह व्यक्ति समाज के इतने बड़े वर्ग को अपनी तरफ प्रभावित कर लेता है ! जैसे विवेकानंद, भगवान रजनीश, अदि गुरु शंकराचार्य, गौतम बुद्ध, महावीर जैन आदि !
व्यापार या व्यवसाय के लिए व्यक्ति की योग्यता के साथ साथ उसके अंदर आकर्षण ऊर्जा का होना भी परम आवश्यक है ! जिस व्यक्ति में आकर्षण ऊर्जा की कमी होती है वह व्यक्ति अपने कार्य में चाहे जितना भी योग्य क्यों न हो किंतु उसे व्यापार या व्यवसाय में सफलता प्राप्त नहीं होती है !
आकर्षण ऊर्जा प्रकृति के कारण ऊर्जा के सहयोग से विकसित होती है ! जब प्रकृति की कारण ऊर्जा आप के “कारण शरीर” को सहयोग करने लगती है तो आप के कारण शरीर के माध्यम से आपके भौतिक शरीर में इस तरह की प्राकृतिक ऊर्जा उत्पन्न होने लगेगी कि जो भी व्यक्ति आपकी तरफ देखेता है, आपकी बात सुनता है या आपसे नजरों का संबंध बनाता है, वह व्यक्ति आपसे प्रभावित हो जाता है !
इसी को शैव या शक्ति तंत्र में मोहिनी और वशीकरण आदि के नाम से बतलाया गया है ! किंतु तंत्र द्वारा उत्पन्न इस तरह की मोहनी-वशीकरण ऊर्जा अस्थाई प्रभाव छोड़ती है ! यह किसी व्यक्ति विशेष के लिये या किसी निर्धारित समय के लिए प्रयोग की जाती है !
जब हम प्रकृति द्वारा प्रदत्त आकर्षण ऊर्जा का उपयोग करते हैं तो हमारे आसपास जो भी व्यक्ति, जीव-जंतु, पेड़ पौधे आदि होते हैं ! वह सभी हम से प्रभावित होने लगते हैं ! जैसे भगवान श्री कृष्ण की आकर्षण ऊर्जा के प्रभाव में आकर सभी ग्वाल-बाल, गोपीयां, गाय आदि, यहां तक की वृक्ष, पौधे, प्रकृति आदि भी भगवान श्री कृष्ण के आकर्षक ऊर्जा के प्रभाव में रहती थी और इसी के कारण उन्होंने अपने जीवन में ईश्वर का स्थान प्राप्त किया था !
आज बड़े-बड़े साधु महात्मा, व्यवसायी, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी आदि इसी आकर्षण ऊर्जा को जागृत करने में लगे हुए हैं ! यह आकर्षण ऊर्जा “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” साधना के द्वारा बहुत ही आसानी से जागृत की जा सकती है ! इसकी बहुत ही सरल और छोटी सी विधि है !
यदि उस विधि के अनुसार कोई व्यक्ति निरंतर “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना करता रहे तो कुछ ही समय में उसके अंदर आकर्षण ऊर्जा पैदा होने लगेगी और वह व्यक्ति अपने सांसारिक जीवन में ही नहीं बल्कि व्यापार-व्यवसाय में भी सफलता प्राप्त करने लगेगा ! इसलिए यदि आप अपने व्यापार-व्यवसाय को एक ऊंचाई पर पहुंचाना चाहते हैं तो आप नियमित रूप से “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” साधना अवश्य कीजिये !