भारत में लोकतंत्र की अन्तेष्ठी : Yogesh Mishra

भारत की राजनैतिक व्यवस्था में कही कुछ गंभीर कमी है, यदि इसे समय रहते सुधारा नही गया तो पूरी से भी ज्यादा संभावना है कि भारत फिर से कुछ ही वर्षो में या तो गुलाम बन जाएगा या भिखारी ! यह कमी लोकतंत्र का अभाव है ! कुछ वर्षो पहले तक मेरा मानना था कि चूंकि भारत में लोकतंत्र है अत: लोकतंत्र एक ओछी और निकम्मी व्यवस्था है ! मैं ऐसा इसलिए मानता था क्योंकि पेड पाठ्य पुस्तको, पेड बुद्धिजीवियों और मक्कार नेताओं ने मेरे दिमाग में यह झूठ बहुत गहराई तक घुसा दिया था कि भारत में लोकतंत्र है !

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अब मैं यह मानता हूँ कि सभी राजनैतिक व्यवस्थाओं में लोकतंत्र एक मात्र ज्ञात सबसे बेहतरीन राजनैतिक व्यवस्था है, किन्तु लोकतंत्र के अभाव में हम बदतरीन भविष्य की और बढ़ रहे है !

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लोकतंत्र के चारो स्तंभों के बारे में भ्रामक अवधारणा :
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1. विधायिका को जनता एक निश्चित अवधि के लिए चुनेगी, तथा भ्रष्ट आचरण के बावजूद जनता के पास प्रतिनिधियों को नौकरी से निकालने का अधिकार नही होगा !
नतीजा : सत्ता में आने के दुसरे दिन ही विधायिका/जनप्रतिनिधि भ्रष्ट और निरंकुश हो जायेंगे !
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2. कार्यपालिका : विधायिका कार्यपालिका की नियुक्ति, पदोन्नति और निलम्बन करेगी तथा जनता के पास कार्यपालको को नौकरी से निकालने का अधिकार नही होगा !
नतीजा : कार्यपालिका/प्रशासन विधायिका की चापलूसी करेगा और जनता को 12 के भाव भी नही पूछेगा !
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3. न्यायपालिका : न्यायधीशो की नियुक्ति विधायिका और स्वंय न्यायपालिका करेगी !
नतीजा : न्यायधीश और विधायिका आपस में गठजोड़ बना कर अपने साझा हितो का साधन करेंगे !
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मिडिया : निष्पक्ष सूचना देने वाली संस्था दूरदर्शन/आकाशवाणी के अध्यक्ष की नियुक्ति तथा निलंबन विधायिका करेगी
नतीजा : मिडिया विधायिका का प्रचार समूह बन कर रह जाएगा और जनता को सत्ता के काले कारनामो के बारे में सूचना नही देगा !

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उपरोक्त वर्णित व्यवस्था में जनता का एक बार वोट देने के बाद इन चारो समूहों से अगले चुनाव तक किसी प्रकार का कोई लेना देना नही रहता ! या तो अगले चुनाव का इंतिजार करो या अनशन, धरने, प्रदर्शन करने के लिए सड़को पर उतर कर धक्के खाओ !

लोकतंत्र की वास्तविक अवधारणा :
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1. विधायिका : मतदाताओं के पास अपने राजनैतिक प्रतिनिधियों जैसे सांसद, विधायक, पीएम, सीएम तथा मंत्रियो को चुनने के साथ ही किसी भी समय नौकरी से निकालने का अधिकार भी होना चाहिए !
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2. प्रशासनिक कार्यपालिका : मतदाताओं के पास क़ानून व्यवस्था बनाए रखने वाले प्रशानिक अधिकारियों जैसे पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी, सीबीआई प्रमुख, रिजर्व बेंक गवर्नर आदि को नौकरी से निकालने का अधिकार होना चाहिए !
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3. न्यायपालिका : न्याय करने और दंड देने की शक्ति नागरिको के पास होनी चाहिए !
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4. मिडिया : शासन और जनता के बीच संवाद का कार्य करने वाले मिडिया को मतदाताओं के अधीन होना चाहिए !
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उपरोक्त चार में से तीन प्रक्रियाएं राईट टू रिकाल कानूनों से और एक प्रक्रिया ज्यूरी प्रथा लागू करके लायी जा सकती है ! जूरी प्रथा और राईट टू रिकाल प्रक्रियाओं से युक्त राजनैतिक व्यवस्था ही लोकतंत्र है, तथा इनका अभाव ही लोकतंत्र का अभाव है !
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व्यावहारिक तौर पर इसे समझने के लिए हम अमेरिका और ब्रिटेन का उदाहरण ले सकते है ! अमेरिका में पुलिस प्रमुख, शिक्षा अधिकारी और गवर्नर को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया वहां के आम नागरिको के पास है, तथा मुकदमो की सुनवाई तथा फैसले नागरिको की ज्यूरी द्वारा दिए जाते है ! इन कानूनों ने अमेरिका में लोकतंत्र स्थापित किया जिससे उनकी शिक्षा व्यवस्था सुधरी, तकनीक और औद्योगिक विकास हुआ फलस्वरूप वे आर्थिक और सैन्य दृष्टी से सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरे !
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भारत में नेताओं को जनता चुनती है तथा प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायधिशो की नियुक्ति नेता करते है ! अधिकारी और न्यायधीश नेताओं की चापलूसी करते है क्योंकि उनके ट्रांसफर, निलम्बन और पदोन्नति का अधिकार नेताओं के पास है ! चूंकि भारत के नागरिको के पास अगले पांच वर्ष तक नेताओं को नौकरी से निकालने का अधिकार नही है अत: ये तीनो वर्ग अपने हितो की पूर्ती के लिये आपस में गठजोड़ बना लेते है और करोड़ो नागरिको की स्थिति मूक दर्शक की हो जाती है ! जहाँ तक मिडिया का प्रश्न है भारतीय मिडिया पूरी तरह से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और मिशनरीज़ द्वारा संचालित है अत: उनके हितो की रक्षा के लिए कार्य करता है !
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इस प्रकार यह चारो शक्ति पुंज एक दुसरे से गठजोड़ बनाकर अपना हित साधन करते है ! ऐसा एक भी कारण मौजूद नही है, जिससे ये वर्ग प्रजा हित के लिए कार्य करने को प्रेरित हो ! भारत में लोकतंत्र के अभाव का दुष्परिणाम यह हुआ कि भारत के सभी क्षेत्रो को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपने नियंत्रण में ले लिया है फलस्वरूप हमारी सेना लगातार कमजोर हो रही है, डॉलर के कर्ज़ में हम गहरे धंस चुके है, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और शोषण लगातार बढ़ रहा है, तकनीक के क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे है और समर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता खो चुके है ! ऐसा लगता है भारत में लोकतंत्र मर चुका है बस अन्तेष्ठी होना बाकी है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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