आलोचना और समालोचना में अन्तर !

प्राय: आलोचना और समालोचना का अन्तर नहीं जानते हैं ! और लोग अक्सर ऐसा कहा करते हैं कि अमुक (व्यक्ति, वस्तु या कार्य) की आलोचना मत कीजिए !

ऐसा कहने वाले लोग आलोचना और समालोचना दोनों को एक ही एक ही मानते हैं ! जबकि दोनों में बहुत से मूलभूत अंतर हैं ! जिसका कुछ-कुछ आभास नाम से ही होता है ! कुछ में अपने लेख में स्पस्ट करने का प्रयास करूँगा !

आलोचना अर्थात असहमति व्यक्त करते हुए किसी व्यक्ति के विचारों में दोष निकाल कर उसका विरोध करना या उसकी निंदा करना है !

समालोचना अर्थात किसी व्यक्ति/वस्तु/विषय के गुण-दोषों एवं उपयुक्तता का विवेचन करना है ! इसमें अध्ययन, विश्लेषण, मूल्यांकन एवं अर्थ निगमन की प्रक्रिया शामिल है‌ !

इसमें निंदा, घृणा, द्वेष, ईष्या, पक्षपात, अहंकार का भाव नहीं होता है बल्कि निष्पक्ष मूल्यांकन का भाव होता है ! इस तरह से देखें तो समालोचना का उद्देश्य, प्रशंसा अथवा निंदा करना न होकर सम्बद्ध व्यक्ति, वस्तु या कृति का वास्तविक मूल्यांकन करना होता है !

समालोचना के अंतर्गत सूक्ष्म विश्लेषण और तर्क पूर्ण विवेचन आता है ! उत्कृष्ट समालोचना में लोक कल्याण का भाव छिपा होता है ! जिसका आधार नैतिक मूल्य और आदर्श जीवन शैली होता है !

प्राय: आलोचना और समालोचना का प्रयोग समानार्थी रूप में किया जाता है ! इनमें दो शब्द सन्निहित हैं ! दोनों में लोचन शब्द का प्रयोग किया जाता है !

लोचन अर्थात चारों ओर सम्यक रूप से देखते हुए जांचना या छानबीन करना ! लोचना’ शब्द ‘लुच’ धातु से बना है ! ‘लुच’ का अर्थ है ‘देखना’ ! लोचन का अर्थ है ! नेत्र, आँख, चक्षु, नयन से देखने की प्रक्रिया !

किन्तु जब यह लोचन अर्थात परिक्षण हठ धर्मिता से भरा होता है तो व्यक्ति का परिक्षण निंदा, घृणा, द्वेष, ईष्या, पक्षपात, अहंकार के भाव होता है ! ऐसी स्थिती में व्यक्ति सही परिणाम तक नहीं पहुँच पता है ! क्योंकि वह पूर्वाग्रह से भरा होता है ! तब इसे आलोचना कहते हैं !

समालोचना में व्यक्ति निष्पक्ष होता है ! उसमें कोई हठ धर्मिता नहीं होती है ! परिक्षण के समय वह पूर्वाग्रह के कारण किसी निंदा, घृणा, द्वेष, ईष्या, पक्षपात, अहंकार आदि के भाव से नहीं भरा होता है ! बल्कि वह हर तरह के पक्ष विपक्ष के निष्कर्ष को हर स्तर पर स्वीकार करने के लिये तैय्यार होता है ! यही समालोचना है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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