राष्ट्रीयता का नारा लगाने वाले लोग आज सत्ता में बैठे हैं l देश के हाईवे पर खुलेआम टोल टैक्स के रूप में लूट हो रही है ! देश के रेलवे स्टेशन बिकने की कगार पर आ गए हैं ! देश की सेना मैं आज विदेशी निवेश बढ़ गया है !
न्यायपालिका ने लोकहित याचिकाओं को यह कहकर सुनने से इनकार कर दिया कि “लोग सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए लोकहित याचिकाएं दाखिल करते हैं !” संसद के अंदर अब सत्ता की खुली लूट पर कोई चर्चा नहीं होती है ! मीडिया के मुंह पर ताला लगाने के लिए सीबीआई के छापे डलवाये जाते हैं ! समाज में कोई भी सामाजिक संगठन एक दूसरे के साथ नहीं खड़ा है !
भारत का आम नागरिक विश्वव्यापी षड्यंत्र के आगे घुटना टेकता नजर आता है और सत्ताधीश विश्व यात्राओं में संलग्न है ! पाकिस्तान चीन आदि शत्रुओं का बहाना करके देश की जनता को उसके मूल मुद्दे से भटकाने के लिए रातों में टीवी चैनलों पर डिवेट हो रही है ! देश के बेरोजगार युवाओं को सोशल मिडिया प्रभारी बना कर सत्य बोलने वाले को गाली दिलवाई जाती है !
ऐसे में क्या यह जरूरी नहीं कि राष्ट्र के हित को देखते हुए एक बार फिर भारत की आजादी को बचाने के लिए एक बार फिर “आजादी बचाओ आंदोलन” की शुरुआत की जाये यदि यह आवश्यक है तो फिर देर क्यों ?