प्रत्येक रोग का सम्बन्ध ग्रहों से है !! Yogesh Mishra

आरोग्यं परमं सुखम् अर्थात् अच्छा स्वास्थ्य सबसे उत्तम सुख होता है ! सभी प्राचीन डॉक्टर, आयुर्वेद के साथ-साथ, ज्योतिष का भी ज्ञान रखते थे ! इसी कारण बीमारी का परीक्षण ग्रहों की स्थिति के अनुसार सरलता से करते थे ! लेकिन युग परिवर्तन के साथ ज्योतिष की ये विद्या लुप्त सी हो गई है !चिकित्सा ज्योतिष को ज्योतिष द्वारा रोग निदान की विद्या भी कहा जाता है ! इसे मेडिकल ऍस्ट्रॉलॉजी, नैदानिक ज्योतिष शास्त्र भी कहा जा सकता है !

कुंडली की गणना के माध्यम से बीमारियों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है ! डॉक्टर, व्यक्ति के रोगी होने पर उसका इलाज करते हैं, परंतु ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा बीमारियों का पूर्वानुमान लगा कर उनसे बचने के उपाय किये जाये तो उसकी तीव्रता कम की जा सकती है !

ज्योतिष में चंद्रमा मन के कारक हैं ! लग्न शरीर का प्रतीक है तथा सूर्य आत्मा के कारक हैं अत: चंद्रमा, सूर्य एवं लग्नेश के बली होने पर व्यक्ति आरोग्य का सुख भोगता है !

जन्मपत्रिका में सूर्य एवं चन्द्रमा, लग्न की स्थिति एवं कुछ अन्य योग यह तय करते है कि हमारी जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसी होगी ! ज्योतिष के अनुसार किसी रोग विशेष की उत्पत्ति जातक के जन्म समय में किसी राशि एवं नक्षत्र विशेष में पाप ग्रहों की उपस्थिति, उन पर पाप प्रभाव, पाप ग्रहों के नक्षत्र में उपस्थिति एवं पाप ग्रह अधिष्ठित राशि के स्वामी द्वारा युति या दृष्टि रोग की संभावना को बताती है !

राशियों ,ग्रह तथा नक्षत्रों का अधिकार क्षेत्र शरीर के विभिन्न अंगों पर है इसके अतिरिक्त कुछ रोग, ग्रह अथवा नक्षत्र की स्वाभाविक प्रकृति के अनुसार जातक को कष्ट देते हैं !

कुंडली में षष्ठम भाव को रोग कारक व शनि को रोग जन्य ग्रह माना जाता है ! शरीर में कब, कहां, कौन सा रोग होगा वह इसी से निर्धारित होता है ! यहां पर स्थित क्रूर ग्रह पीड़ा उत्पन्न करता है !उस पर यदि शुभ ग्रहो की दृष्टि न होतो यह अधिक कष्टकारी हो जाता है ! रोग कारक ग्रह की अंतर्दशा-प्रत्यंतर्दशा एवं गोचर में जन्मकालीन भावो में स्थिति शरीर में रोग उत्पन होने की परिस्थिति का निर्माण करती है !

आधुनिक समय में चिकित्सा ज्योतिष की उपयोगिता –

ज्योतिष द्वारा रोग की अवधि निश्चित करने में सहायता मिलती है तथा रोग औषधि से ठीक होगा अथवा शल्य क्रिया द्वारा ठीक होगा, इसका निर्णय करने में भी सहयोग मिलता है !

कुंडली के ग्रहो का विचार करके ग्रहों के आधार पर रोगी की सहन-शक्ति सत्व तथा सामर्थ्य को जानकर ठीक मुहूर्त में आपरेशन पूर्ण सफलता प्रदान करता है ! ज्योतिषीय गणनाओं द्वारा यह निश्चय करने में सुविधा रहती है कि प्रसूता का प्रसव सरलतापूर्वक होगा या कष्टपूर्वक होगा ! बालारिष्ट योगों का ज्ञान करके बालक को निरोग रखने में मदद मिलती है !

औषधि निर्माण हेतु ज्योतिषी के मुहूर्त अनुसार विशेष योगो और नक्षत्रो में कार्य सम्पन्न किया जाये तो अत्यन्त गुणकारी होता हैं !

चिकित्सकीय ज्योतिषशास्त्र का उपयोग मनोविज्ञान मनोवैज्ञानिक रोगो में काफी लाभदायी है !

शनि यदि रोग का कारण है तो रोग की अवधि लम्बी होती है,
राहु जनित रोगो का कारण जल्दी से पकड़ में नहीं आता है !
भावों, राशियों, नक्षत्रों तथा ग्रहों एवं विशिष्ट समय पर चल रही दशाओं का संपूर्ण अध्ययन करके शरीर पर रोग का स्थान एवं प्रकृति, निदान तथा रोग का संभावित समय एवं तीव्रता को जाना जा सकता है !

यदि षष्ठेश, अष्टमेश एवं द्वादशेश तथा रोग कारक ग्रह अशुभ तारा नक्षत्रों में स्थित होते हैं तो रोग की चिकित्सा निष्फल रहती है ! यदि षष्ठेश चर राशि में तथा चर नवांश में स्थित होते हैं तो रोग की अवधि छोटी होती है ! द्विस्वभाव में स्थित होने पर सामान्य अवधि होती है ! स्थिर राशि में होने पर रोग दीर्घकालीन होते हैं ! रोग एवं उसके सही कारण तक पहुँचने के लिए छँठा भाव एवं षष्ठेश की स्थिति के साथ-साथ सर्वाधिक बली एवं निर्बल ग्रहों का भी विचार करना चाहिये !

ग्रहो से संबंधित रोग –

कई बीमारियों और किसी ग्रह के खास जगह पर होने के बीच रिश्ता है ! कुंडली में मौजूद कौन-सा ग्रह, कौन-सी स्थिति में है ! इससे तय होता है कि स्वास्थ्य कैसा होगा ! अलग-अलग ग्रहों का असर भी अलग-अलग होता है ! जैसे बुखार, हृदय सम्बन्धी रोग, नेत्र रोग, हड्डियों, मानसिक रोगों, छाती, दिमागी विकार, ऑपरेशन, उच्च रक्तचाप, गर्भपात, एलर्जी, पागलपन, मधुमेह, चिरकालीन बीमारियां, जोड़ों में दर्द, नाड़ी सम्बन्धी दोष, गठिया, लकवा, नाड़ी तंत्र आदि आदि !

यदि आधुनिक विज्ञान में ज्योतिष का समन्वय किया जाये तो शरीर के रोगो को सरलता से पहचान कर इलाज किया जा सकता है ! ग्रहों के द्वारा उत्पन्न रोगों में अपने सम्बंधित चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करना चाहिए ! कुशल ज्योतिषी की सलाह पर बीमारी से सम्बंधित भाव, भावेश तथा कारक ग्रह से सम्बंधित ज्योतिषीय उपाय करते हुए रोग के प्रभाव को कम करना चाहिए !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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