गलत मंत्र का जप ही तो आपकी समस्या का कारण नहीं है ! Yogesh Mishra

गलत मंत्र का जप किसी भी अनुष्ठान करने या करवाने वाले व्यक्ति का सर्वनाश कर सकता है | मंत्र एक ऊर्जा का स्रोत है | ब्रम्हांड के अंदर ईशवरीय ऊर्जा विभिन्न रूप तैरती रहती है, उन ईशवरीय ऊर्जाओं को आकर्षित करने के लिए हमारे ऋषियों-मुनियों ने कुछ विशेष सूत्र स्थापित किए थे | इन्हीं सूत्रों में ध्वनि के विशेष क्रम और शब्दों के विशेष समूह को मंत्र की संज्ञा दी जाती है | मंत्र कई प्रकार के होते हैं | जैसे वैदिक मंत्र, पौराणिक मंत्र, लौकिक मंत्र, तंत्रोक्त मंत्र, साबर मंत्र आदि-आदि |

आजकल प्रायः ग्रह कष्टों के निवारण के लिए जब व्यक्ति ज्योतिषियों से परामर्श लेता है, तो जिस ग्रह से व्यक्ति को परेशानी होती है, उस ग्रह की शांति हेतु या तो ज्योतिषी जातक को स्वयं किसी विशेष मंत्र का जप करने की सलाह देता है या किसी भी योग्य ब्राह्मण से किसी विशेष मंत्र के अनुष्ठान करवाने का परामर्श देता है |

होता यह है कि जब व्यक्ति स्वयं मंत्र जप करता है या किसी मंत्र का अनुष्ठान करवाता है तो ब्रम्हांड के अंदर उस ग्रह से संबंधित ऊर्जा जो उसके परिभ्रमण चक्कर में तैरती रहती है, उसे वह व्यक्ति उस मंत्र के माध्यम से आकर्षित करता है और उससे उसकी समस्या का निवारण हो जाता है |

जैसे बहुत सारे मोबाइलों का अलग-अलग नेटवर्क हमारे वायुमंडल में अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर तैरते रहते हैं | हम जिस नेटवर्क से संबंधित ‘सिम’ अपने मोबाइल में डालते हैं | हमारा मोबाइल उसी नेटवर्क से कनेक्ट होकर हमें उसकी सुविधाएं प्रदान करने लगता है |

ठीक इसी तरह सही मंत्र के चयन करने से ब्रह्मांड के अंदर जो ईश्वरी ऊर्जा तैरती रहती है | उससे हमारी जीवनी ऊर्जा का संपर्क विशेष मंत्र के जप से स्थापित हो जाता है और उस ईश्वरी ऊर्जा से सम्पर्क हो जाने पर उसकी मदद से हमारा जीवन सुखमय और आनंदमय हो जाता है |

किंतु समस्या यह है कि हम किसी भी समस्या के लिए निवारण के लिये किस मंत्र का चयन करें | यह निर्धारित करना एक कठिन कार्य है | हम वैदिक मंत्र का जप करें कि पौराणिक मंत्र का जप करें | लौकिक, तंत्रोक्त, साबर आदि किस तरह के मंत्र का जप करें | इस का चयन कैसे किया जाए | यह अति विद्वान् व्यक्ति ही बतला सकता है |

जैसे उदाहरण के लिए देवी दुर्गा के अनुष्ठान में सर्वाधिक दुर्गा सप्तशती के अंदर वर्णित मंत्रों का जप किया जाता है | इसमें अधिकांश मंत्र तंत्रोक्त मंत्र हैं | अब प्रश्न यह है कि कोई व्यक्ति यदि “सात्विक प्रवृत्ति” का है | उसका आहार-विहार- विचार पूरी तरह सात्विक है | ऐसे व्यक्ति को किसी परिस्थिति में अगर देवी दुर्गा की आराधना या अनुष्ठान करने की आवश्यकता पड़ती है तो क्या दुर्गा सप्तशती के अंदर वर्णित किसी भी तंत्रोक्त मंत्र से वह वही लाभ प्राप्त कर सकता है जो एक तांत्रिक इस मंत्र से प्राप्त करता है | उत्तर है नहीं | देवी दुर्गा की ऊर्जा से यदि शक्ति प्राप्त करनी है तो सात्विक व्यक्ति तंत्रोक्त मंत्र के जप से सात्विक शक्ति प्राप्त नहीं होगी |

प्रायः देखा होगा कि मंत्र जप करने से व्यक्ति के अंदर रसायनों का परिवर्तन होने लगता है | सामान्य व्यक्ति क्रोधी हो जाता है | क्रोधी व्यक्ति शांत होने लगता है | स्वस्थ व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता है और प्राय: बिना समझे-बुझे इस तरह की साधना करने वालों का मानसिक संतुलन तक बिगड़ जाता है | कभी-कभी तो मृत्यु तक हो जाती है |

इन सभी गलत घटनाओं के पीछे एक मात्र वजह है | सही मंत्र का चयन न होना | व्यक्ति को किसी भी मंत्र का चयन अपने संस्कार, स्वभाव, क्षमता, आहार-विहार-विचार आदि को दृष्टिगोचर रखकर करना चाहिए |

यदि सात्विक व्यक्ति औघड़ या तंत्रोक्त मंत्रों का प्रयोग करेगा तो उसका विनाश सुनिश्चित है | इसी तरह कुछ कार्य करने के लिए औघड़ या तंत्रोक्त मंत्रों की ही आवश्यकता पड़ती है | ऐसी स्थिति में व्यक्ति यदि लौकिक या पौराणिक मंत्रों का जप करेगा, तो उसे वह परिणाम प्राप्त नहीं होंगे | जिस परिणाम के लिए वह इस तरह का अनुष्ठान कर रहा है या करवा रहा है |

अतः मंत्रों का चयन अत्यंत सावधानी से करने की आवश्यकता है | यदि सही मंत्र का चयन नहीं किया गया तो या तो आपको आपकी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम प्राप्त नहीं होंगे या फिर गलत मंत्र चयन के कारण आपको भयंकर क्षति का सामना करना पड़ेगा | इसका परिणाम किसी व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ने से लेकर उसके मृत्यु तक का हो सकता है |

अतः किसी भी पूजा अनुष्ठान को आरंभ करने के पहले अपने संस्कार, स्वभाव, आहार-विहार-विचार, परिवेश और जिस कार्य के लिए हम अनुष्ठान कर रहे हैं, उसकी प्रवृत्ति आदि को देखकर सही मंत्र का चयन करना चाहिए |

यदि किसी व्यक्ति में इस तरह के मंत्रों के चयन की योग्यता न हो तो किसी योग्य व्यक्ति से इस विषय में खुलकर परामर्श लेना चाहिए और उस व्यक्ति द्वारा सुझाये गये मंत्रों का ही जप या अनुष्ठान करना चाहिए या करवाना चाहिए | जिससे कि गलत मंत्र के चयन से होने वाली गंभीर क्षतियों से बचा जा सके |

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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