हिटलर ने प्रकृति को ही हथियार की तरह प्रयोग करने के लिये एक ड्रीम बेल नामक यंत्र का निर्माण किया था ! जो पूरी तरह से स्वचालित यंत्र था ! इसमें प्रकृति के तीन तत्वों को नियंत्रित करने का सामर्थ्य था ! जल, अग्नि और वायु !
अर्थात हिटलर यदि किसी भी देश पर आक्रमण करना चाहता था तो उसके लिये उसे किसी भी तरह से अपने सैनिकों या हवाई जहाजों को भेजने की आवश्यकता नहीं थी ! वह मात्र अपने सैन्य कार्यालय से तरंगों द्वारा ड्रीम बेल शत्रु देश पर आक्रमण के लिये भेज सकता था !
जो ड्रीम बेल वहां जाकर वहां के वातावरण में हवा के दबाव में परिवर्तन कर आंधी तूफान आदि पैदा करके वहां के जन-जीवन को अस्त व्यस्त कर सकता था ! किसी विशेष स्थान पर वायुमंडल में विशेष रसायनों के छिड़काव करके इतनी अधिक मात्रा में प्राकृतिक वर्षा कर सकता था कि उस देश में बाढ़ आ जाये ! पानी के बहाव से बड़े-बड़े शहर बह जायें ! बांध टूट जायें और उस अतिरिक्त अप्रत्याशित हुये बरसात के पानी से वहां की बड़ी बड़ी बिल्डिंग ध्वस्त हो सकती थी !
इसी तरह किसी भी बड़े देश के जंगलों को यदि लक्ष्य बना दिया गया इस ड्रीम बेल को आदेश उस देश के जंगलों के ऊपर इस तरह के रसायन का छिड़काव कर के वहां पर स्वाभाविक रूप से आग लगायी जा सकती थी और उस आग का प्रभाव उस देश के हजारों हेक्टेयर जंगल को जलकर नष्ट कर सकता था !
इस तरह अपने विश्व विजय की परिकल्पना के लिये हिटलर ने दूसरे ग्रहों के निवासियों की मदद से उनकी तकनीक का सहारा लेकर ड्रीम बेल का निर्माण कर लिया था ! यह योजना जर्मन के युद्ध में हार जाने के कारण अपने अंतिम चरण में आकर रुक गई ! यदि हिटलर को मात्र 6 महीने का समय और मिल जाता तो यह निश्चित जानिये कि इस ड्रीम बेल के द्वारा हिटलर प्रकृति की मदद से जो विध्वंसक युद्ध होता उसकी मनुष्य कल्पना भी नहीं कर सकता है !
अब इसी ड्रीम बेल प्रोजेक्ट को अमेरिका “हार्प प्रोजेक्ट” के रूप में डेवलप कर रहा है तथा इस पूरे ड्रीम बेल प्रोजेक्ट को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांट कर अग्नि, हवा और जल को नियंत्रित करने वाले तीन अलग-अलग तरह के डिवाइस रूस, अमेरिका और चीन बनाने में लगे हुये हैं ! किंतु हिटलर ही वह पहला व्यक्ति था ! जिसने इन तीनों डिवाइसों का एक संयुक्त रूप तैयार किया था ! जिसे हिटलर ड्रीम बेल कहता था !!