मैने अपने निजी संज्ञान में वर्ष 2011 जनवरी से फेसबुक प्रयोग कर रहा हूं ! उस समय भारत में गिने-चुने बुद्धजीवी लोग ही फेसबुक का प्रयोग किया करते थे और जो लोग प्रयोग किया करते थे ! वह सामान्यतया समाज के उच्च वर्ग के चिंतक और विचारशील लोग हुआ करते थे !
क्योंकि उस समय न तो भारत में एंड्रॉयड फोन का उतना चलन था और न ही इंटरनेट का डाटा सहज उपलब्ध होता था ! व्यक्ति को डेक्स टाप या लैपटॉप पर ही फेसबुक चलाना पड़ता था ! जो डेस्कटॉप और लैपटॉप समाज में संपन्न वर्ग के विचारशील व्यक्तियों के पास ही हुआ करता था !
कालांतर में बटन वाले मोबाइल की जगह एंड्रॉयड स्मार्टफोन धीरे-धीरे समाज में सहज उपलब्ध होने लगे और 2014 के बाद राजनीतिक कारणों से इंटरनेट का डाटा भी आम जनमानस के लिए सहज उपलब्ध होने लगा !
अब इंसान डेक्सटॉप या लैपटॉप के स्थान पर अपने स्मार्ट मोबाइल फोन पर फेसबुक का प्रयोग करने लगा क्योंकि मोबाइल फोन डेस्कटॉप और लैपटॉप के मुकाबले बहुत ही कम मूल्य के थे और प्रयोग करने में भी सहज थे इसलिए समाज का हर वर्ग फेसबुक प्रयोग करने लगा !
और इस तरह धीरे-धीरे फेसबुक पर जनसंख्या के बहुतायत समाज जो निचले विचारहीन वर्ग का व्यक्ति था उसने कब्जा कर लिया और अपने अविकसित बौद्धिक क्षमता के अनुसार चिंतकों और विचारकों के लेखों पर गंदे और भद्दे कमेंट करने लगा ! उसका परिणाम क्या हुआ कि फेसबुक से बहुत से विचारक और चिंतक फेसबुक छोड़ कर चले गये और इन अविकसित सोच के लेबर क्लास ने फेसबुक पर अपना नियंत्रण जमा लिया !
उसी का परिणाम है कि आज फेसबुक ज्ञान व चिंतन के केन्द्र के स्थान पर कलह के केंद्र के रूप में विकसित हो गया है और अब विचारक और चिंतक फेसबुक से धीरे-धीरे पूरी तरह गायब हो गया है ! कुछ गिने-चुने लोग जो विचार या चिंतक हैं और इस समय फेसबुक को प्रयोग कर रहे हैं ! वह भी अपना लेख लिखने के बाद पलट कर कमेंट भी नहीं पढ़ते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि फेसबुक पर कमेंट लिखने वाला व्यक्ति न तो अध्ययनशील है और न ही मानसिक रूप से परिपक्व है ! उसके पास कोई चिंतन की स्पष्ट विचारधारा ही नहीं है !
यह घटना क्रम फेसबुक को प्रयोग करने वालों का दुर्भाग्य ही नहीं बल्कि राष्ट्र के वास्तविक जनमानस के मानसिक स्तर का पर्याय है ! जो भारत जैसे देश के बर्बादी का कारण हैं !!