जानिए कैसे निकाला जाये विवाह का मुहूर्त !

सही विवाह नही मिलान होने से वर ने आत्महत्या कर ली आज कम्पयूटर का जमाना है जिसे देखो अपने अपने कम्पयूटर में कोई न कोई सोफ़्टवेयर ज्योतिष वाला डालकर बैठा है,जैसे ही किसी भी वर कन्या की विवाह वाली बात की जाती है सीधे से वर और कन्या की जन्म तारीख समय आदि के साथ कुंडली बना ली जाती है और उन्हे सीधे से विवाह मिलान के लिये देखा जाता है,गुण चक्र नाडी दोष और भकूट दोष आसानी से कम्पयूटर का सोफ़्टवेयर निकाल कर दे देता है !

मंगल चाहे वक्री हो अस्त हो कम डिग्री का हो उसे मंगली दोष लगाते देर नही लगती है,चन्द्रमा चाहे बाल हो वृद्ध हो अस्त हो नीच हो उसे राशि मिलान करते देर नही लगती है,कन्या का गुरु बल चाहे बहुत ही कमजोर हो वर का सूर्य बल चाहे बिलकुल ही नही मिलता हो लेकिन कम्पयूटर के अनुसार गुण चक्र बताने मे कतई देर नही लगती है और फ़टाफ़ट फ़ैसला भी हो जाता है,चाहे दोनो का चन्द्र बल बहुत ही अच्छा हो !

इस प्रकार से कितने अर्थ के अनर्थ हो जाते है जिन लोगों को वास्तव मे कतई ज्योतिष की जानकारी नही है वे आसानी से वर-कन्या के गुण दोष बताने लगते है और जब उनसे कोई बात पूँछी जाती है तो वे अपने गुण को सर्वोच्च बताने की आशा मे अपने अनाप सनाप वाचाली नीति को अपनाने लगते है !

मूल अनुराधा मृगशिरा रेवती हस्त उत्तराफ़ाल्गुनी उत्तराषाढा उत्तराभाद्रपत स्वाति मघा रोहिणी इन नक्षत्रो मे और ज्येष्ठ माघ फ़ाल्गुन बैशाख मार्गशीर्ष आषाढ इन महीनो मे विवाह करना शुभ है ! विवाह का सामान्य दिन पंचांग मे लिखा रहता है अत: पांचांग के लिये दिन को लेकर उस दिन वर कन्या के लिये यह विचार करना कन्या के लिये गुरुबल वर के लिये सूर्य बल दोनो के लिये चन्द्रबल देख लेना चाहिये !

गुरुबल विचार:-गुरु कन्या की राशि से नवम एकादश द्वितीय और सप्तम राशि मे शुभ होता है दसम तृतीय छठा और प्रथम राशि मे दान देने से शुभ और चौथे आठवे बारहवी राशि मे अशुभ होता है !

सूर्य बल विचार:- सूर्य वर की राशि से तीसरा छठा दसवा ग्यारहवा शुभ होता है,दूसरा पांचवा सातवा और नवां दान देने से शुभ माना जाता है,चौथा आठवां बारहवां सूर्य अशुभ होता है !

चन्द्रबल विचार:- चन्द्रमा वर और कन्या की राशि से तीसरा छठा सातवां दसवा ग्यारहवां शुभ पहला दूसरा पांचवां नौवां दान से शुभ और चौथा आठवां बारहवां अशुभ होता है !

विवाह मे त्यागने वाली लगनें:- दिन मे तुला वृश्चिक और रात्रि में मकर राशि बधिर है,दिन मे सिंह मेष वृष और रात्रि में कन्या मिथुन कर्क अन्धी है,दिन मे कुंभ और रात्रि मे मीन दोनो लगने पंगु है,सिंह मेष वृष मकर कुम्भ मीन ये लगन सुबह और शाम के समय कुबडे होते है.

त्यागने वाली लगनों का फ़ल:- अगर विवाह बधिर लगन मे होता है तो वर कन्या चाहे कुबेर के खजाने से लदे हुये जाये लेकिन दरिद्र हो जायेंगे,दिन की अन्धी लगनो मे विवाह किया जाता है तो कन्या को वर से दूरी मिलनी ही है,रात्रि की अन्धी लगन मे विवाह होता है तो संतति होने का सवाल ही नही होता है और होती भी है तो जिन्दा नही रहती है,लगन पंगु होती है तो धन नाश और परिवार की मर्यादा का नाश होने लगता है !

लगन शुद्धि:- लगन से बारहवे शनि दसवे मंगल तीसरे शुक्र लग्न मे चन्द्रमा और क्रूर ग्रह अच्छे नही होते है लगनेश और सौम्य ग्रह आठवें भाव मे अच्छे नही होते है सातवे भाव मे कोई भी ग्रह शुभ नही होता है !

ग्रहों का बल:- पहले चौथे पांचवे नवें और दसवे स्थान मे गुरु सब दोषों को नष्ट करने वाला होता है,सूर्य ग्यारहवे स्थान स्थिति तथा चन्द्रमा वर्गोत्तम लगन मे स्थिति नवांश दोष को नष्ट करता है बुध लगन से चौथे पांचवे नौवें और दसवे स्थान मे हो तो अक्सर खराब से खराब दोष को शुभ करता है ! लगन का स्वामी और नवांश का स्वामी एक ही भाव राशि के हों तो भी अक्सर दोष शांति को माना जाता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

ग्रह हमारे साथ कैसे काम करते हैं : Yogesh Mishra

एक वैज्ञानिक विश्लेषण आम ज्योतिषियों की अवधारणा है कि व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह, …