शत्रु बाधा तथा कानूनी विवादों में बुरी तरह फ़स जाने पर जब कोइ मार्ग ना दिखाइ दे तब भगवती बगलामुखी की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.
दस महाविद्याओं में से प्रमुख महाविद्या बगलामुखी आदिकाल से आत्मज्ञानीयों की अधिष्टात्री देवी मानी जाती रही हैं. बगलामुखी देवी शत्रु संहार और शत्रु स्तम्भन के लिए विश्वविख्यात हैं. माता की साधना से सभी प्रकार के शत्रुओं, रोगों बाधाओं और समस्याओं के निराकरण का मार्ग सहज ही मिल जाता है.
साधनात्मक जगत में रक्षा कवच सबसे महत्त्वपूर्ण होता है जिसका रक्षा कवच जितना मजबूत होगा वह उतना सुरक्षित और शक्तिशाली माना जायेगा ! वह उतना ही प्रहारक शक्ति से युक्त होगा ! सभी रक्षा कवचों की शक्ति बगलामुखी ही होती हैं इसलिए बगलामुखी देवी की साधना से प्राप्त रक्षा कवच सबसे सुदृढ़ तथा शक्तिशाली माना जाता है.
माता बगलामुखी की साधना एक सम्पूर्ण विज्ञान है. वे श्री कुल की महाविद्येँ हैं. बगलामुखी के साधक के चारों ओर एक सुरक्षा चक्र का निर्माण हो जाता है जो उसकी शत्रुओं, रोगों और समस्त प्रकार की बाधाओं से निरंतर रक्षा करता रहता है.
बगलामुखी साधना से जहाँ साधक का अंतर्मन शुद्ध होता है वहीँ उसका बाह्य जगत और विराट में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में शुद्धता और सात्विकता का प्रसार होता है. मन अत्यंत चंचल होता है, साधना में उसका स्तम्भन अर्थात नियंत्रण करना होता है. यह नियंत्रण माता बगलामुखी ही प्रदान करती है. एक नियंत्रित मन ही नियंत्रित मष्तिष्क का निर्माण कर सकता है जो आगे चलकर एक अच्छे समाज का निर्माण करता है.
मानसिक शक्तियों का निरंतर विकास होते रहना चाहिए. उन्हें खिलौना नहीं बनने देना चाहिए. निरंतर प्रयास से हम पञ्च ज्ञानेन्द्रियों से परे भी जा सकते हैं और अपनी अतीन्द्रिय शक्तियों का विकास कर सकते हैं. इसलिये हमें शुद्ध अंतर्मन से बगलामुखी साधना करनी चाहिये |
बगलामुखी साधना का मन्त्र :-
॥ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदम स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं फ़ट स्वाहा ॥
इस साधना के सामान्य नियम :-
- साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
- साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
- साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
- साधनाकाल में क्रोध न करें.
- साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.