कहीं चीन को रोकने के लिये है कोरोना षडयंत्र ? : Yogesh Mishra

मैं एक राष्ट्रीय प्रेमी और विचारशील व्यक्ति हूं ! इसलिये मेरा यह कर्तव्य है कि कोरोना जैविक हथियार से सम्बंधित जो सूचनाएं मुझे प्राप्त हुई हैं ! उन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करूँ !

वर्तमान में कोरोना वायरस जो कि वास्तव में एक जैविक हथियार है, का आतंक जो पूरी दुनिया में फैला हुआ है और इसको बनाने और फैलाने का श्रेय जो चीन को दिया जा रहा है ! आजकल मैं उसी पर बौद्धिक तहकीकात कर रहा हूं ! कुछ तथ्य मेरे समझ में आ रहे हैं ! जो मैं इस लेख में आपके समक्ष रख रहा हूं !

जैसा की आप सभी को मालूम है कि 1990 के दशक के बाद चीन ने अपने देश की युवा शक्ति को पूरी तरह से औद्योगिक क्रांति की ओर मोड़ दिया और उनके द्वारा उत्पादित सामग्री को पूरे विश्व में लागत मूल्य पर ही अल्प लाभ के साथ बेचना शुरू कर दिया ! जिसका परिणाम यह हुआ कि देखते ही देखते चीन ने विश्व बाजार पर अपना कब्जा कर लिया और भारत, पाकिस्तान, इटली, स्पेन, जर्मन सहित अधिकांश यूरोप के देशों में वहाँ उत्पादित मूल्य से भी कम मूल्य पर अपना सामान बेचना शुरू कर दिया ! जो कभी अमेरिका का मार्केट हुआ करता था ! जिससे अमेरिका और ब्रिटेन के कल कारखाने बंद होने की कगार पर आ गये हैं ! अब चीन सैन्य हथियारों के क्षेत्र में भी प्रवेश करने जा रहा है ! जो दशकों से स्थापित अमेरिका के एकाधिकार के लिये चुनौती होगा !

पिछले 30 सालों में चीन के बढ़ते प्रभाव को कई अन्य तरीकों से रोकने के लिये ब्रिटेन और अमेरिका ने अनेकों संयुक्त प्रयास किये ! लेकिन उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी ! चीन का प्रभाव तो इस स्तर तक बढ़ गया था कि अमेरिका का राष्ट्रपति जब चीन गया ! तो उसके स्वागत में कोई भी चीनी पदाधिकारी तक नहीं आया और अमेरिका के राष्ट्रपति को मायूस होकर स्वयं ही बेशर्मों की तरह चीन के कार्यक्रम में उपस्थित हो कर तत्काल वापस आना पड़ा ! वहां पर उस कार्यक्रम में भी अमेरिका के राष्ट्रपति को किसी ने भी कोई महत्व नहीं दिया ! इससे जला भुना बैठा अमेरिका बराबर चीन के प्रभाव को कम करने पर विचार करने लगा !

अत: उसने अमेरिका की दवाई बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर एक विस्तृत कार्य योजना बनाई और इजराइल के सहयोग से एक ऐसे जैविक हथियार की खोज की ! जिसकी दवा, वैक्सीन मात्र अमेरिका के ही पास उपलब्ध है ! जिसका निर्माण इजराइल के प्रयोगशालाओं में किया गया है ! इस पूरे के पूरे प्रोजेक्ट पर अमेरिका ब्रिटेन और इजराइल के साथ संयुक्त रूप से कार्य कर रहा है ! यह तीनों महाशक्तियां अमेरिका, इजरायल और ब्रिटेन संयुक्त रूप से चीन के बढ़ते हुए प्रभाव को खत्म कर देना चाहती हैं !

इसीलिये जब वर्ष 2019 में चीन और अमेरिका की सैन्य शक्ति ने जब संयुक्त युद्ध अभ्यास किया था ! तब युद्ध अभ्यास के समाप्त होते ही अमेरिका के सैनिकों ने चीन के बुहान शहर के निकट जंगली पशु बाजार में एक जैविक हथियार अर्थात कोरोना वायरस को फैलाकर वहां से तत्काल वापसी ले ली थी !

उसका परिणाम यह हुआ कि जब नवंबर में कोरोना वायरस से मरने वाला वाले पहले व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस के लक्षण पाये गये तो चीन के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस वायरस की गंभीरता को समझ नहीं पाये और उन्होंने इस पूरी की पूरी घटना को विश्व से छिपाये रखा ! इसी बीच चीन के खुफिया विभाग के अधिकारियों वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के माध्यम से जो कि वास्तव में अमेरिकी एजेंट थे ! विश्व को यह बताने की कोशिश की गई कि यह वायरस चीन के बुआन स्थित खुफिया लैब में बनाया गया है जो गलती से लीक हो गया !

जिसको अमेरिका और ब्रिटेन की एजेंसीयों होने सूचना प्रसार अर्थात टी.वी. और अखबार के माध्यम से इतना प्रचारित किया कि पूरी दुनिया को यह विश्वास हो गया कि कोरोना वायरस चीन की लैब में बना था ! जो गलती से लिक हो गया है !

इसी बीच अमेरिका में विश्व स्वास्थ्य संगठन, वर्ल्ड बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष संस्थान की मदद से इस कोरोना वायरस को अंतर्राष्ट्रीय महामारी घोषित करवा दिया और अपने अधिकार के विश्व के सभी देशों के नेताओं के माध्यम से बयान जारी करवा कर इस कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय मानक पर एक भयंकर महामारी के रूप में प्रस्तुत किया ! जिसका सारा आरोप चीन के ऊपर थोप दिया गया !

उसका परिणाम यह हुआ कि चीन जो पूरी दुनिया में अपना माल बेचता था ! उसके सामानों का अंतरराष्ट्रीय बाजार में विक्रय तत्काल प्रभाव से रुक गया और चीन के कल कारखाने बंद हो गये ! वर्तमान समय में चीन के अंदर व्याप्त महामारी के कारण चीन के उद्योगपतियों को अपने कारखाने चलाने के लिये मजदूर तक ढूंढे नहीं मिल रहे हैं ! यदि यह क्रम 3 साल तक चलता रहा, जो चलेगा ही ! तो चीन आर्थिक रूप से पूरी तरह तबाह हो जायेगा !

इस बात की पुष्टि दूसरे तथ्य से भी की जा सकती है कि चीन द्वारा उत्पादित सामग्री को खरीदने वाले देश भारत, पाकिस्तान, ईरान, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मन आदि देश जो पूरे के पूरे चाइना के उत्पाद को खरीदा करते थे कोरोना वायरस का प्रभाव सबसे ज्यादा इन्हीं देशों में देखा जा रहा है !

जबकि इसके विपरीत रूस, तुर्की, अफगानिस्तान, दुबई, इराक, इसराइल ब्रिटेन और अरब देश जो सीधे-सीधे अमेरिका के प्रभाव में थे ! उनमें कोरोना के महामारी का प्रभाव नहीं के बराबर है ! जो इक्का-दुक्का घटनायें हो भी रही हैं ! उन्हें अमेरिका की दवा बनाने वाली कंपनियों द्वारा निर्मित दवाइयों से तत्काल ठीक कर लिया जा रहा है ! परिणाम वहां पर मृत्यु डर लगभग जीरो है !

दूसरी तरफ मैं आपको लगे हाथ यह भी बतला दूं कि अमेरिका ने यूरोप के सभी देशों के नागरिकों की एंट्री अपने देश में प्रतिबंधित कर दी है ! लेकिन ब्रिटेन और इजरायल के नागरिक अभी भी अमेरिका में आ जा सकते हैं !

अमेरिका के इस छल का परिणाम निश्चित रूप से तृतीय विश्व युद्ध होगा ! क्योंकि चीन भी इस घटना के बाद चुप नहीं बैठेगा ! बहुत संभावना है कि इसी वर्ष के अंत में जब चीन इस महामारी से ऊबर जायेगा तो वह ब्रिटेन इसराइल या अमेरिका पर एक बड़ा सैन्य हमला करे ! जिससे तृतीय विश्व युद्ध छिड़ जायेगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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