भगवन शिव और चिलम जानिए किया है सच : Yogesh Mishra

शिव पुराण, लिंग पुराण, सहित किसी भी शैव ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान शिव भांग, गंजा, चरस आदि का सेवन किया करते थे !

किन्तु फिर भी बहुत से लोगों ने भगवान शिव के ऐसे ‍चित्र बना लिए, जिसमें भगवान शिव चिलम पीते हुए नजर आते हैं ! यह कृत्य भगवान शंकर का अपमान करने जैसा है ! यह भगवान शंकर की छवि खराब किए जाने की साजिश है !

भारत में अकबर बादशाह से पूर्व तंबाकू के प्रयोग का पता नहीं चलता है ! कहा जाता है कि जब अकबर के दरबार में वर्नेल नामक पुर्तगाली आया तो उसने अकबर बादशाह को तंबाकू और एक जड़ाऊ बहुत सुन्दर बड़ी सी चिलम भेंट की ! बादशाह को चिलम बड़ी पसन्द आई और उसने चिलम पीने की तालीम भी उसी पुर्तगाली से ली !

अकबर को धुम्रपान करते देखकर उसके दरबारियों को बहुत आश्चर्य हुआ और उनकी इच्छा भी तंबाकू के धुएं को गले में भरकर बाहर फेंकने की हुई !

कुछ विद्वानों के अनुसार तंबाकू को सबसे पहले अकबर बादशाह का एक उच्च अधिकारी बीजापुर से लाया था और उसे सौगात के तौरपर बादशाह को भेंट किया था !
फिर भी भारत के ज्ञात इतिहास के अनुसार भारत में धूम्रपान की शुरूआत सन् 1609 के आसपास हुई थी ! जिसे कालांतर में अंगेजों की ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने व्यवस्थित तरीके से अपने व्यावसायिक लाभ के लिये बढ़ावा दिया !

और अपने विज्ञापन के लिये भारतीय घुमक्कड़ साधुओं का उपयोग किया ! एकांत उजड़े शिव मंदिरों में इन्हीं साधुओं के माध्यम से युवाओं को नशे की लत लगाने के लिये मुफ्त तम्बाकू और चिलम बांटी गयी ! इसे प्रसाद नाम दिया गया !

इस तरह भगवान शिव को चिलम से जोड़ दिया गया ! कुछ ही समय में भारत के लोग तंबाकू को चिलम में रखकर प्रसाद और प्रतिष्ठा के लिये पीने लगे !

वैसे तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि ठन्डे देशों की संस्कृति का हिस्सा हैं ! प्रारंभ में अमेरिका में लोगों ने तंबाकू को पत्ते में लपेटकर बीड़ी के रूप में पिया और इंग्लैण्ड के लोगों ने तंबाकू को कागज में लपेटकर सिगरेट के रूप में इस्तेमाल किया !

भारत में हुक्के की शुरूआत मुगलकाल अकबर के दौरान हुई थी ! पन्द्रहवीं सदी में अकबरी सल्तनत में वैध अब्दुल ने तम्बाकू के दुष्प्रभाव से आंशिक बचने के लिये हुक्के का आविष्कार किया था ! उनका कहना था कि पानी के माध्यम से होने वाले धूम्रपान से सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है ! जबकि कालांतर में शोधों में यह तथ्य एकदम गलत साबित हुआ है !

इस तरह मुग़ल काल में अंग्रेजों के षडयंत्र के प्रभाव से महा योगेश्वर भगवान शिव को चिलम से जोड़ा दिया गया ! जिस चिलम में आज का युवा भगवान शिव के नाम पर अपना भविष्य धुयें में उड़ा रहा है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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