1857 के क्रांति की मुख्य वजह : Yogesh Mishra

गाजीपुर जिले में लगभग 45 एकड़ जमीन में वर्ष 1820 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित हुए अफीम कारखाना 1857 के क्रांति की मुख्य वजह थी ! इस कारखाने में दो कंपाउंड, कई कोर्टयार्ड, पानी की अनेक टंकीयों की मदद से लोहे के शेड से बनी ऊँची बाउंड्री वॉल से सुरक्षित कई बिल्डिंग में लाखों टन अफीम तैय्यार की जाती थी !

फिर उन्हें पटना, कानपुर और कलकत्ता जैसे उत्तर भारत के महानगरों की अफीम कोठियों में संगृहीत करके पूरे एशिया में अच्छी कीमत पर बेचा जाता था ! जिसके सबसे बड़े खरीददार चीन के युवा थे ! जिससे चीन के चिंग राजवंश के शासक बहुत परेशान थे !

उन्होंने जब चीन में अफीम की खरीद बिक्री पर रोक लगाई ! तब अंग्रेजों ने वहां के युवाओं को भड़का कर चीन में गृह युद्ध करवा दिया ! जिसके परिणाम स्वरूप चीन में 2 करोड़ लोगों की हत्या हुई ! जिसे इतिहासकारों द्वारा लोकतंत्र के लिये ताइपिंग विद्रोह का नाम दिया गया !

जिस गृह युद्ध की घटना से उब कर चीन के राजा चिंग राजवंश के शासकों ने भारत के अंग्रेज विरोधी राजाओं साधु-संतों, मठाधीशों से संपर्क स्थापित किया ! क्योंकि उस समय भारत में साम्राज्य विस्तार हेतु अंग्रेजों की राज्य हड़प नीति बहुत जोर शोर से चल रही थी ! जिससे छोटी छोटी रियासतें भयभीत थी ! अधिक तक युवा पैसों और सुविधाओं के लालच में भारतीय राजाओं की सेना को छोड़ कर अंग्रेजों के कंपनी की सेना में भरती हो रहे थे ! जिससे भी समाज में भारी असंतोष था !

इस अवसर का लाभ उठा कर चीन के कुटनीतिकारों ने जिस तरह अंग्रेज चीन में गृह युद्ध भड़का रहे थे, उसी तर्ज पर भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध गृह युद्ध भड़काने का निर्णय लिया और जिसमें भारत के उन व्यापारियों से विशेष मदद ली गयी, जो उस समय व्यापार के सिलसिले में चीन आया जाया करते थे !

और चीनी योजनाकारों के इस प्रयास से 1857 में भारत में जो गृह युद्ध छिड़ा, उसे भारतीय इतिहासकारों ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया ! जबकि इसकी असफलता के पीछे चीनी योजनाकारों की जल्दबाजी में की गयी आधी अधूरी तैय्यारी थी साथ ही जल्दी धन कमाने के लालच में चीन का सहयोग कर रहा भारतीय व्यापारी वर्ग भी जल्दी से जल्दी धन कामना चाहता था ! दूसरी तरफ इस क्रांति को असफल बनाने वाले वह रजवाड़े भी थे जो अपने लाभ के लिये भारत के अस्तित्व को बेचने के लिए अंग्रेजों के साथ पहले से ही जुड़े हुए थे !

अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि भारत में अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के पीछे न तो कोई भारतीयों का दर्शन था ! न ही कोई योजना थी और न ही कार्य को अंजाम देने की कोई समुचित तैयारी थी !

इसमें उस समय भारतीय रजवाड़ों के दिमाग में अंग्रेजों की राज्य हड़प नीति के तहत व्याप्त एक आक्रोश मात्र था ! जिसका लाभ अंग्रेजों की अफीम नीतियों के कारण गृह युद्ध से जूझते हुए चीन ने उठा लिया !

इसीलिए अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति बहुत ही कम समय में पूरी तरह से कुचल दी गई और परिणामत: भारत के दो करोड़ युवाओं को या तो ढूंढ – ढूंढ कर मार दिया गया या उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों से उल्टा लटका कर जिंदा जला दिया गया और इस देश को हमेशा के लिये कांग्रेस पार्टी की स्थापना करके मौन कर दिया गया ! जो आज भी मौन है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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