शिक्षा का तात्पर्य समग्र विकास है किन्तु विशेषज्ञता की शिक्षा के बहाने आज जो पढ़ाया जा रहा है वह हमें शिक्षित तो करता है पर हमारा समग्र विकास नहीं करता है !
जैसे एक गले का डाक्टर दन्त के विषय में कुछ नहीं जानता है ! मैकेनिकल इंजिनियर कैमिकल इंजिनियरिंग के विषय में कोई समझ नहीं रखता है ! सिविल साईड का वकील क्रमिनल ला की कोई समझ नहीं रखता है ! आदि आदि
वास्तव में ऐसा हुआ क्यों ?
क्योंकि आज शिक्षा के नाम पर हमें जो पढाया समझाया जा रहा है, वह हमारे एक शिक्षित होने का धोखा है ! हम वास्तव में शिक्षित होकर एक बौद्धिक मजदूर से अधिक और कुछ नहीं बन रहे हैं !
तभी तो भारत में आठ साल तक करोड़ों रुपये देकर पढ़े हुये डाक्टर को योरोप और अमेरिका के देशों में डाक्टर ही नहीं माना जाता है ! क्योंकि वह जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर पूरे जीवन पढ़ने के बाद भी हम उनके मुकाबले अनपढ़ और योग्य बौद्धिक मजदूर से अधिक और कुछ नहीं हैं !
ऐसा नहीं कि यह बात मात्र वही जानते हैं, बल्कि हमारे देश के योजनाकार भी यह सब जानते हैं कि भारत की वर्तमान शिक्षा नीति मात्र बौद्धिक मजदूर ही पैदा कर रही है बस ! फिर भी यह लोग वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं करना चाहते हैं !
क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक कारणों से यह योजनाकार बाध्य हैं कि भारत सदैव बौद्धिक मजदूर ही निर्मित करता रहे क्योंकि भारत के आम व्यक्ति के बौद्धिक चेतना का स्तर वैश्विक स्तर पर उच्चतम है ! इसीलिये इन राष्ट्रीय योजनाकारों को विश्व स्तर पर नियंत्रित करके भारत में प्रति व्यक्ति आय के साधन जानबूझ कर अविकसित अवस्था में रखे जाते हैं ! जिससे हम योरोप और अमेरिका जैसे देशों के बौद्धिक मजदूरों की आपूर्ति करते रहें !
यही कारण है कि आधुनिक शिक्षा में हमें विशेषज्ञता के नाम पर आधी अधूरी शिक्षा दी जाती है ! जिससे हमारे अन्दर बैद्धिक चातुर्य की कमी ही नहीं बल्कि हममें वैश्विक स्तर पर कुछ करने को लेकर उदासीनता भी विकसित हो रही है !
इसीलिये देश के कर्ण धारों द्वारा हमारा ध्यान बौद्धिक विकास के स्थान पर जानबूझ कर धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र आदि के विवादों में उलझाया जाता है और हममें जानबूझ कर बौद्धिक अपरिपक्वता विकसित हो और हम अपने को वैश्विक स्तर पर दीन हीन और दरिद्र समझें ! जिससे पश्चिम के तथाकथित विकसित देशों में कभी भी हमारे देश से बौद्धिक मजदूरों की कमी न हो सके !
यदि यही सब चलता रहा तो हम सदैव राजनैतिक दलों के लाभ के लिये उनका झंडा लेकर व्यर्थ ही दौड़ते रहने के अतिरिक्त अनेकों पीढ़ियों तक और कुछ न कर सकेंगे !!