कुण्डली में पराक्रम योग क्या है ? Yogesh Mishra

जीवन में भाग्य के साथ पराक्रम की भी आवश्यकता पड़ती है | कौन व्यक्ति कितना पराक्रमी है इसे कुण्डली से जाना जा सकता है | व्यक्ति पराक्रमी है या नहीं इसे निम्नलिखित से जाना जा सकता है |

मंगल बलवान हो लगन या दसवें भाव में हो रात्रि का जन्म हो तो व्यक्ति पराक्रमी होता है।
लगन में मंगल हो तो व्यक्ति क्रोधी भी होता है।

सातवें स्थान में बलवान मंगल स्थापित हो तो जातक जरा सी बात पर गुस्सा करने वाला होता है।

दिन का जन्म हो बलवान मंगल लगन में या दसवे भाव मे हो तो भी जातक क्रोधी होता है।

जन्म लगन का स्वामी निर्बल हो त्रिकोण में हो तो व्यक्ति क्रोधी भी होता है और जोखिम लेने वाला भी होता है।

लगन या सप्तम से कमजोर मंगल को शनि देखता हो तो व्यक्ति क्रोधी भी होता है और कमजोर भी होता है चालाक भी होता है।

लगन का स्वामी बारहवे या आठवें स्थान में हो तो भी जातक क्रोधी होता है।

धन स्थान का स्वामी गुलिक के साथ हो तो भी जातक के अन्दर क्रोध होता है।

लगन का स्वामी बुध से छठे स्थान में हो तो जातक क्रोधी भी होता है और बात बात में अपने का ही बुरा करने वाला भी होता है।

लगन के नवे भाव में राहु शनि इकट्ठे हो तो भी जातक अपने को शिक्षा देने वाले भला करने वाले व्यक्ति के साथ भी अपघात कर सकता है।

तीसरे स्थान में मंगल हो उसको चन्द्रमा और बुध देख रहे हो तो भी जातक अपने साथ भला करने वाले के साथ बुरा सोचने वाला होता है।

नवे स्थान में गुरु और सूर्य हो तो भी जातक अपने अहम के कारण विश्वास करने वाला नही होता है।

तीसरे स्थान में केतु के होन पर जातक को कलह ही अच्छी लगती है।

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

ग्रह हमारे साथ कैसे काम करते हैं : Yogesh Mishra

एक वैज्ञानिक विश्लेषण आम ज्योतिषियों की अवधारणा है कि व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह, …