शोषण का नाम लेते ही आरक्षण भोगी वर्ग तत्काल कटोरा लेकर खड़ा हो जाता है और जन्म जन्मांतर की कपोल कल्पित कहानियां सुनाने लगता है ! पिछले 75 सालों से तीन पीढ़ियों से आरक्षण का लाभ उठाने वाले इन राजनैतिक वोट बैंक के सदस्यों ने जितना शोषण सवर्णों का किया है, उसकी चर्चा यह लोग कभी नहीं करते हैं !
लोकतंत्र में हर व्यक्ति का वोट समान होता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए कि जो अपनी अय्याशी के लिए जितने ज्यादा बच्चे पैदा करता है, लोकतंत्र में उसकी भागीदारी इतनी प्रबल होती है और वह वर्ग राजनेताओं का उतना ही चहेता होता है ! क्योंकि देश की सरकारें उन्हीं के दम से बनती बिगड़ती हैं !
और जो सवर्ण व्यक्ति आत्म संयम के साथ सीमित बच्चों को पैदा करके उन्हें राष्ट्र हित में पढ़ा लिखा कर अपना देश के विकास में सहयोग करता है, वह वर्ग लोकतंत्र में प्रभावहीन होता है !
आज भारत का आरक्षण विहीन वर्ग ही भारत को सर्वाधिक कर अर्थात टैक्स दे रहा है और आरक्षण के कारण उसी वर्ग की देश में सबसे कम सुनी जाती है !
स्थिति तो यह है कि सवर्ण वर्ग बड़े-बड़े राजे रजवाड़े चलाने वालों ने अपनी संपत्ति जो राष्ट्र के हित में स्वेच्छा से दान की थी, वह भी अब इन तथाकथित शोषित वर्ग को मुफ्त में वोट पाने के लिए बांटी जा रही है ! फिर भी 75 साल में तीन पीड़ियों के बाद यह लोग अपना विकास नहीं कर पा रहे हैं !
और दूसरी तरफ इन्हीं आरक्षण भोगी वर्ग के लोग इन्हीं की राजनीति करने वाले टैक्स के पैसे से घोटाला करके विदेशों में संपत्ति जमा कर रहे हैं ! जिस पर कोई भी आरक्षण भोगी प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता है ! जो साक्षात् आज और अभी घट रहा है और बात करेंगे उस शोषण की जो कभी हुआ ही नहीं था !
ऐसा नहीं है कि यह प्रवृत्ति आरक्षण भोगियों की अब हुई है ! यह सदैव से ही थी ! जिसका खाना उसी का विरोध करना इनका स्वभाव रहा है ! इन्होंने भगवान राम की पत्नी सीता को भी रामराज्य में नहीं छोड़ा था ! इसीलिए तो सदियों से सभी सुख-सुविधाओं को पाने के बाद भी यह वर्ग न तो अपना सामाजिक विकास कर पाया और न ही बौद्धिक विकास कर पाया !
इसीलिए आज उन्हें आरक्षण की आवश्यकता है और इन्हें आरक्षण मिलना भी चाहिए क्योंकि देश के लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के सर्वनाश में इनका व्यवस्था विरोधी नीतियों के कारण बहुत बड़ा योगदान है ! जो इन्हें ही नहीं इस देश को भी ले डूबेगा !
इन्हीं के दम पर बड़े-बड़े शराब के कारखाने चलते हैं ! राशन में सरकारी सब्सडी से एक रुपए किलो गेहूं और दो रुपए किलो चावल राशन की दुकान पर इन्हीं शराबियों को बंटा जाता है !
जिस गेहूं और चावल को पाने के लिए सवर्ण वर्ग सभी तरह के टैक्स देने के बाद भी 25 से 30 गुना अधिक कीमत खुले बाजार में अदा करता है ! फिर भी कहा जाता है कि सवर्णों इन आरक्षण भोगियों का शोषण कर रहे हैं !
इनके पास शराब पीने के लिए पैसा है, अय्याशी करने के लिए पैसा है, महंगी महंगी मोटरसाइकिल और मोबाइल फोन लेने के लिए पैसा है, बस पैसा नहीं है तो किताब खरीदने के लिए ! जिसे पढ़कर यह लोग अपना बौद्धिक विकास कर सकें !
धन्य है भारत के राज्य नेता जो भारत के ईमानदार, मेहनतकश, सवर्ण टैक्स भोगियों को नष्ट करने की नित नई योजना बनाते हैं और सरकारी सुविधाओं पर अय्याशी करने वालों को मात्र वोट बैंक के लिए आरक्षण के नाम पर सारे संसाधन उपलब्ध करवाते हैं, जबकि संविधान में सबके साथ समानता से न्याय की शपथ लेते हैं ! फिर भी 75 साल में इनका विकास नहीं हो पाया है !!